Anju Gandhi

Inspirational

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Anju Gandhi

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जिंदगी का लचीलापन

जिंदगी का लचीलापन

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ललिता अपने पति निमेष और 5 साल के बेटे के साथ एक आरामदायक जिन्दगी जी रही थी। उसके पति का अपना खुद का व्यवसाय था। ललिता शादी से पहले अपने पिता के बिजनेस में हाथ बटाती थी। शादी के बाद घर परिवार की जिम्मेदारियां, बच्चो की देखभाल करने में ही व्यस्त हो गई थी।

कुछ दिनों से उसके पति निमेष बहुत परेशान चल रहे थे। ललिता के बहुत जोर देने पर निमेष ने बताया कि कुछ गलत निर्णय लेने के कारण उन्हें बहुत आर्थिक नुकसान हुआ है। हालत इतने बिगड़ गए थे कि सब कुछ बेचने की नौबत आ गई थी

इस जिल्लत को निमेष सहन नहीं कर सका और उसने आत्महत्या कर ली।

ललिता के ऊपर एक साथ बहुत से दुखो का पहाड़ टूट पड़ा था। ललिता के मां बाप उसे और उसके बेटे को अपने घर ले आए।

ललिता इस सदमे के कारण बीमार पड़ गई। और रोते हुए अपने पिता को बोली ," जैसे निमेष ने आत्महत्या की है, वैसे ही मैं कर लेती हूं, पापा आप मेरे बेटे को संभाल लेना। मेरी जिंदगी में अब कुछ नहीं बचा है। सब लोग मेरे को दया वाली नजरो से देखते है, कोई मेरा मजाक उड़ाता है, कोई कहता है बहुत आसमान में उड़ रही थी, देखो कैसे धरती पर आकर गिरी है। मैं अब जी कर क्या करूंगी। ना मेरे पास पैसा है, निमेष के दिवालिया और उसके बाद आत्महत्या करने के बाद मेरी कोई इज्जत ही नही रह गई है"।

ललिता के पिता ने उसके सिर पर हाथ कर उसे समझना शुरू किया," इतने में ही हार मान ली। इतिहास गवाह है कि कितने लोग गिर कर वापस उठे हैं। और तुम्हारी तो कोई गलती नही है। निमेष कमजोर निकला जो हालात का सामना नहीं कर सका, पर तुम बहादुर लड़की हो। याद है तुम्हे सुधा चंद्रन की कहानी, जिसने पैर कट जाने के बाद भी हिम्मत नही हारी, जयपुर पैर लगा कर भरतनाट्यम की शिक्षा जारी रखी, एक कुशल नृत्याग्ना के नाम से मशहूर हुई। उसकी अपनी जिंदगी पर बनी पिक्चर में उसने खुद काम किया अगर वो हिम्मत हार जाती तो क्या आज वो वर्ल्ड होती।

बेटा सिर्फ गूगल सर्च करोगी तो इतने कितने ही उदाहरण मिल जायेगे जब हारने के बाद भी लोगो को जीत मिली है। तुम्हारे तो हाथ पैर सब सलामत है, तुममें काबलियत है, वापिस मेरी ऑफिस में आकर काम संभालना शुरू करो"।

" देखो बेटा, इंसान में इतना लचीलापन होना चाहिए कि जरा से तकलीफ से हार कर नहीं बैठ जाए बल्कि दुबारा उठने की लचक होनी चाहिए"

" तुम्हारे पास दो रास्ते है, चाहे तो हिम्मत हार का अपनी और अपने बेटे की जिंदगी बरबाद कर दो, या फिर अपने पर भरोसा करके वापस उठ जाओ। "

" दुख की दुनिया में गुम होने और आंसुओ में डूबने की बजाय स्प्रिंग की तरह वापस उछल जाओ। एक बहुत मशहूर प्रवचक ने कहा है, " लचीलापन और आत्म-जवाबदेही होने पर लगभग कुछ भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता है।"

फैसला तुम्हारे हाथ है"

ये सुनने के बाद ललिता को मानो नई जिंदगी मिल गई, वो वाकई स्प्रिंग की तरह उछल कर बैठ गई," पापा आपने मुझे नई रह दिखा दी है, कुछ पल के लिए में नाकामी के दलदल में फांस गई थी। पर अब नहीं। मुझे अपनी जिंदगी की राह मिल गई है"

और वाकई ललिता में नए जोश का संचार हुआ। उसने वापस ऑफिस जाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते पापा की सारी जिम्मेदारी अपने सिर ले ली। सफलता उसके द्वार पर दस्तक देने लगी थी।

एक बार उसको टी वी पर इंटरव्यू के लिए बुलाया गया तो उसने बहुत गर्व के साथ अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने पिता को दिया।

मैं सबसे यही कहना चाहती हू

ऐसी कड़क और भरी गेंद मत बनो जो जमीन पर मारते ही नीचे बैठ जाती है बल्कि ऐसी लचकदार गेंद बनो जो जितना जोर से जमीन पर मारोगे उतना ही ऊपर उछलेगी। तुम्हारी गिर कर वापस उठने की कला में ही तुम्हारी सफलता छुपी है।



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