जीजा जी
जीजा जी
होली का समय था। हमारी कॉलोनी में एक दीदी की शादी हुई थी शादी के बाद उनकी पहली होली थी, उन दीदी के पति यानी हमारे जीजा जी होली खेलने के लिए दीदी के घर आए हुए थे। हम सब बहनों व सहेलियों ने सोचा कि जीजा जी को मिलकर खूब रंग लगाएंगे, छोटी होली के दिन रात को होलिका दहन के बाद हम सब इकट्ठे होकर जीजा जी को रंग लगाने गए, उनके घर जाकर पता चला कि वे तो सो गए हैं। हम सभी ने अगले दिन जीजा जी को रंग लगाने की योजना बनाई।
अगले दिन होली पर हम जीजा जी के रंग लगाने पहुंचे। जीजा जी को पहले ही भनक लग गई थी कि दीदी की सभी छोटी बहन तथा सहेलियां रंग लगाने आने वाली है, जैसे ही हम उनके पास रंग लग पहुंचे उन्होंने दीदी की छोटी बहन को खूब सारा रंग लगा दिया तथा कहने लगे आओ आप सब भी मेरे रंग लगाओ ऐसा कहते हुए वह तेजी से एक पैर पर चारों तरफ घूमने लगे।
सभी सहेलियां यह देखकर वहां से रफूचक्कर हो गई कि कहीं उन्हें ही रंग ना लग जाए। होली के दिन शाम को दीदी जीजा जी ने हम सभी को खाने पर बुलाया तथा दिन की घटना पर चर्चा कर हम सभी बहुत हंसे। होली का वह दिन यादगार बन गया।