झुंड
झुंड
आज सुबह सुबह उठा,बाहर जाना था,नहा धोकर कपडे पहना और थोडा गॅलरी में टहल रहा था ।नीचे भोंकते हुए कुत्ते का झुंड किसी छोटे जानवर को घेर कर टूट पडा था और वह वह आतंक से बचने की कोशिश एक आखरी कर रहा था ।लेकिना दस बारा हट्टे कट्टे कुत्तो के झुंडके आगे व्यर्थ जा रहा था । भोर थी तो थोड़ा सा धुंधला सा नज़र आया बिल्ली थी ।पूरी तरह घिर चुकी थी और ड़र से म्याव की आवाज दबंग कुतो के भौकने और झपट में कब की गुम हो चुकी थी ।शायद अब भगवान पर भरोसा कर भगवान ही बचाएगा मान चुकी थी ।मैंने उपर से जोर से हट.. हड.. आवाज लगाई लेकिन कुत्ते मानने वाले नही लग रहें थे ।नीचे भागकर गया दो पत्थर उछाले तो कुछ पूंछ हिलाकर भाग गये ।दो फिर भी उसे खींचते हुए ले जा रहे थे ।फिर एक पत्थर मारा तो छोड़कर भागे ।बिल्ली मरनासन्न रास्ते पर पडी,बेहोश हुई ।मैंने पास जाकर देखा तो सांसे चल रही थीं लेकिन शायद दिमाग सुन्न हो चुका था । कोई हलचल नही ।
मुझे समझ नही आ रहा था क्या करुं..गाडी पकडू की बिल्ली की जान बचाऊं।एक बोरी लेकर उसपर ढंकने की कोशिश कर रहा,शायद हलचल हो ।नही.. कुछ हलचल नही..फिर सोचा.. पानी छिडक कर देखता हूं ।मिसेस को आवाज दी,उसने उपर से पानी की बोतल फेकी,बोतल की आवाजोर से हुई और आवाज से बिल्ली होश में आयी ।थोड़ी लंगडाते हुए उठी और फिर जोर लगाकर दिवाल को फांदकर आँखो से ओझल हो गयी ।सोच रही होगी,शायद..
भगवान हैं ।
यदि इसे हम इनसान के झुंड से जोड़कर देखे तो,एक आदमी को चार गुंडे प्रवृति के लोग घेरकर मार रहें होंगे तो पहले पचास लोग खडे हो जाएंगे देखने के
लिए.।वह बेचारा जान की भीख मांगेगा,गिड़गिड़ाएगा लेकिन सब हँसेगे या तो मोबाईल पर रिकार्ड करेंगे यादगार बनाने । गुंडे ने तलवार उठाईतो सब भाग जाएगे,उसे छोड़कर ।और वह बेचारा मरेगा यह सोचकर,शायद ..भगवान नहीं हैं ...!!