हवस

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बेसमय सोहन को घर आया देख शुभा का माथा ठनका। यह सोच के कि तंतु विस्तृत होकर अपना असर दिखाएं इससे पहले शुभा ने स्वयं को संतुलित करते हुए, सोहन पर प्रश्न दागा


“क्यों, मुझे लगता है आज फिर तुम लगा लगाया काम छोड़ कर आ गए हो? क्यों तुम्हें एक जगह टिक कर काम करना नहीं आता? बड़ी मुश्किल से तुम्हे तुम्हारा मनचाहा काम इस बार मिला था। कब तुम्हारे स्वभाव में बदलाव आएगा? बहुत हो गया मैं थक चुकी हूँ तुम्हारी बेरोजगारी और बार बार फांकों की जिंदगी गुजारते। आखिर कब तक इंसानियत और सच्चाई की नीव पर तुम हमें स्थापित करते रहोगे?”


शुभा की बात सुन कुछ पल सोहन मौन रहा, फिर आहिस्ता से अपने पास बैठाकर हौले से उसका हाथ अपने हाथों में ले कर सहलाते हुए बोला


“तुम सच कह रही हो कि इस बार मुझे मेंरे मनानुसार TV आर्टिस्ट के सह मेंकअप मैन का काम मिला था और मेंरा सपना भी यही था कि मैं इस फील्ड में काम करके आगे बढूँ। पर शुभा वहां का माहौल मेंरे जमीर को गंवारा नहीं कर पा रहा है। वहां काम करते हुए मेंरा मन बहुत विचलित होता रहता है, मेंरी आत्मा मुझे बहुत कचोटती रहती है। कुछ दिनों से, आजकल बहु-चर्चित, नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होने के लिए एक शार्ट मूवी की शूटिंग चल रही है। जिसमें एक 15/16 साल की बहुत ही कम कपड़े पहने एक लड़की के डांस का शूट चल रहा है। रिहर्सलके दौरान उस लड़की के साथ होती बदतमीजियों को बर्दाश्त कर पाना मेंरे बस की बात नहीं हो पा रही है। वहां मौजूद हर आदमी उस लड़की पर अपना पूरा अधिकार समझ कर या उसे अपनी खरीदी हुई चीज कर समझकर मन मुताबिक उस पर अत्याचार कर रहा है। आते जाते चाहे वह छोटा कैमरा मैन ही क्यों ना हो, डायलॉग सिखाने वाला ही क्यों ना हो, सीन समझाने वाला भी क्यों ना हो, यानी कि हर वह आदमी जो इस शूटिंग का हिस्सा है उस 15 साल की लड़की के बूब्ज़ दबाता रहता है। कोई उसको जोर से पकड़ कर होठों को किस कर देता है तो कोई उसकी जांघों को थपथपता है”

“आज तो हद हो गई जब डायरेक्टर ने उस मासूम लड़की को सब के सामने बेड पर पटक के उसके साथ बदतमीजी करना शुरू की, तब मुझसे रहा नहीं गया। मैने डायरेक्टर को उस लड़की के ऊपर से खींचकर हटाते हुए गालियां देना शुरू किया और यह सब करने को मना किया तो जानती हो उस आदमी ने मुझसे कहा कि अबे साले क्या तेरे में मर्दानगी नहीं है जो तू इतना गरम माल देखकर ठंडा पड़ा रहता है, तुझे किसने रोका है तू भी इसके साथ मनमानी कर मुझे क्यों रोक रहा है। अरे औरत को बनाया ही इसीलिए है। मैंने उसकी बात का जवाब देना उचित नहीं समझा क्योंकि मेंरी बात उसकी समझ के परे थी। यह सब उसके रोज का काम था। उस नाबालिग लडकी, जिसमें अभी तक नारीत्व के अंग प्रत्यय का पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाया है फिर भी उस मासुम पर कितना बुरी तरीके से शारीरिक शोषण किया जा रहा है। ना जाने क्यों सारी दुनिया नारी के सीने में उभरते, अपने बच्चे के भरण पोषण के साधन को कितनी बुरी नजर से देखती है। पूरी दुनिया इसकी दीवानी है मुझे यह सब सहन नहीं होता”


मेंकअप करते समय मैंने उस लड़की से पूछा कि इन सब की बदतमीजियों को क्यों बर्दाश्त कर रही हो? क्यों नहीं तुम इनकी हरकतों पर हस्तक्षेप कर रही हो? क्यों तुम इन सब को यह सब करने के लिए बढ़ावा दे रही हो?


उस लड़की की बात सुनकर मैं अचंभित हो बर्फ की तरह जम गया


 “क्या हासिल होगा मुझे इन सब पर आवाज उठाकर? क्या होगा इन लोगों को मेंरे मना करने पर? अरे तुम क्या जानो औरत कहीं पर भी है, किसी क्षेत्र में भी है, उसके साथ कहीं ना कहीं, किसी ना किसी तरीके से इस प्रकार के शोषण होते ही रहते हैं। शादी के बाद पति भी अपनी पत्नी पर पत्नी के मनानुसार कभी कोई हरकत नहीं करता। जब उसका जैसा जी चाहता है अपनी पत्नी पर अपना अधिकार जमा कर अपनी हवस पूरी करता है। तो फिर वह भी तो सब बुरा है”


“तो मैं कहां-कहां किस किस बात पर ऑब्जेक्शन उठाऊँ? किस-किस का तिरस्कार करूँ? और यह मेंरे लिए फिल्म लाइन का पहला अवसर है जो मुझे काम मिला है। इस लाइन में काम करने के लिए पूरी जिंदगी लोग सपने देखते मर जाते हैं और सपने पूरे नहीं होते। अब मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, इन सब बातों का। अगर नन्ही चिड़िया ने आसमान छूने की मन में ठान ली तो फिर उसे अपने आसपास उड़ते बसते बाज, गिद्दो से डरना बंद करना पड़ेगा। मैंने बहुत कम उम्र में पुरुष प्रधान देश में पुरुष की मानसिकता, उसकी सोच उसके आचार विचार, उसकी चाहत, उसकी कितनी उड़ान है सब कुछ समझ लिया है। बड़े से बड़ा व्यक्ति, चाहे करोड़ों अरबों पति हो, बहुत बहुत ऊंचे पद पर हो, पर औरत के आगे दुम ही हिलाता है। तुम अपने काम से काम रखो इससे ज्यादा सोचने की तुम्हें जरूरत नहीं है”


सोहन की बातें सुनकर समझ कर शुभा पूरी तरह से निरुत्तर हो गई।


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