हरि शंकर गोयल

Comedy Romance Fantasy

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हरि शंकर गोयल

Comedy Romance Fantasy

हवेली में होली

हवेली में होली

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फिजां में अबीर गुलाल उड़ने लगा है। कुछ तो गुलाल की लाली , कुछ पलाश के फूलों का लाल सुर्ख रंग और कुछ गोरियों के खिलते मुस्कुराते गुलाबी गालों की रंगत का असर था कि दिल उड़ा उड़ा जाने लगा। दिल में गिटार सा बजने लगा था। मन गाने लगा था 

आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन , मेरा मन, मेरा मन 

शरारत करने को ललचाए रे, मेरा मन, मेरा मन , मेरा मन 


सच में, मन बड़ा शरारती हो रहा था। छेड़खानी करने की इच्छा हो रही थी। वैसे तो हमारे मौहल्ले की सारी लड़कियां अनन्या जी, ज्योति जी, शिल्पा जी, अपनेश जी, वगैरह सज धज कर कहीं जा रही थीं। शायद प्रतिलिपि हवेली जा रही थीं। 

हां, याद आया। वहां पर होली का हुड़दंग रखा है। सब उसमें हुड़दंग करने जा रही थीं। एक मन तो किया कि शरारतें शुरू कर दें। छेड़खानी कर दें इनके साथ। हम पहले बहुत छेड़खानी करते थे। जब कॉलेज में थे तो कुर्सी से किसी लड़की की चुन्नी बांध देते थे। फेवीकोल कुर्सी की सीट पर डाल देते थे। जब लड़की खड़ी होती तब पता चलता। फिर हम जोर से हंसते। फिर हमारी शिकायत होती और पनिशमेंट मिलता। मगर , बेशर्मी तो कूट कूट कर भरी पड़ी है हम में। हमारी खाल भी गेंडे से भी ज्यादा मोटी है, कुछ असर ही नहीं होता था। बाद में लड़कियों ने शिकायत करना ही बंद कर दिया। 


मन छेड़खानी का तो था मगर अब वो "खाल" नहीं थी जो पहले थी यानि कि अब मोटी खाल नहीं है। इसलिए डर लगने लगा। समाज नामक संस्था में हमारा भी कुछ नाम है। उस पर बट्टा लगने का सवाल था। इसलिए हिम्मत नहीं हुई। हालांकि उनकी शक्ल से लग रहा था कि वे चाहती हैं कि हम उन्हें छेड़ें मगर हमारी हिम्मत जवाब दे गई। 


इतने में छमिया भाभी आ गई। उन्हें छेड़ने का लाईसेंस हमने हमारी मौहल्ला विकास समिति से ले रखा था। बस, ज्यादा सोच विचार की जरुरत नहीं थी , शुरू हो गए " होली की राम राम भाभी" 

"कौनों पगला गये हो का भैया। अभी तो होली मा टाइम बा।" 

हमें आज पहली बार पता चला कि छमिया भाभी बहुत ही सानदार भोजपुरी बोलत हैं। हमें बड़ी ख़ुशी हुई , या बात जान कै। 

"आज तो गजब ढ़ा रही हो भाभी ! क्या बात है , इतना बन ठन कर कहाँ जा रही हो" ? और हमारे होंठ गोल गोल हो गए और सीटी बजने लगी। फिर गाने लगे 


बन ठन चली देखो ये जाती वो जाती रे 

बन ठन चली देखो ये जाती रे। 

पैरों में तेरे घुंघरू की बिजुरिया 

छन छन छन छन छनकाती रे। 


"क्या बात है देवर जी, आज तो फुल मस्ती में लग रहे हो" ? 

"अब क्या बताएँ भाभी कि किस कदर मदहोश हैं 

तुम्हारे नैनों की मधुशाला में गिरकर हम बेहोश हैं।" 


हमारी शायरी सुनकर छमिया भाभी जोर से हंस पड़ी। मौहल्ले की सब लड़कियां जो हवेली जा रहीं थीं, हमें ठहाके लगाते देखकर हमारे पास आ गई। 


छमिया भाभी ने पूछा "हुस्न की गंगा किधर जा रही है। मस्तानी सुगंध से मस्ती सी छा रही है।" 


लड़कियां काफिया जड़ने में एक्सपर्ट थीं। मोर्चा अनन्या जी और अपनेश जी ने संभाला 


हुस्न से ही बहार है, हुस्न से सबको प्यार है 

हुस्न के पहाड़ के सामने बौना सा ये संसार है 


हम भी कूद पड़े 


लचकता है बदन जैसे शाख हों अनार की 

फिसलती हैं नजर चिकने बदन पे ये खुमार की 


हम काफिया जड़ने में मशगूल थे कि पीछे से किसी ने हमारे बालों में फेवीकोल डाल दिया। हमारी कमर में कमरबंधा बंधा था। किसी लड़की ने उससे एक कनस्तर बांध दिया। यह सब इतनी चतुराई से किया कि हमको पता ही नहीं चला। छमिया भाभी और अनन्या जी ने हमें बातों में उलझाए रखा और पीछे से ज्योति जी और अपनेश जी ये सब करती रहीं। हमें पता ही नहीं चला। वो तो घड़ी घड़ी में हमें हमारे बचे खुचे चार बाल संभालने पड़ते हैं इसलिए अपनी उंगलियों से उन्हें संवारते रहते हैं। जैसे ही हमारी उंगलियां बालों तक पहुंची, वे बालों से चिपक गईं। इस अचानक घटना से हम घबरा गये और आव देखा न ताव, भाग छूटे। जैसे ही भागे, पीछे पीछे कनस्तर शोर करता हुआ हमसे बंधा बंधा हमारे पीछे चलने लगा। हमारी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। समस्त नारी शक्ति एकत्रित होकर जोर जोर से ताली पीट पीट कर खिलखिलाने लगीं। वातावरण में जोर शोर से नारे गूंजने लगे। 


जो हमसे टकरायेगा 

चूर चूर हो जाएगा 


महिला एकता। जिंदाबाद, जिंदाबाद 


इतने में हेमलता आई, शीला शर्मा मैम , रीता गुप्ता मैम, शशिकला मैम , पुष्प लता मैम, कलका मैम, सुनंदा, सुषमा मैम भी आ गई। आशा गर्ग मैम भी सुपर सोनिक जेट की तरह अचानक अवतरित हो गई। नीलम गुप्ता, विनिता जी, कोमल मैम भी स्कोडा से आईं।

हमारी दशा देखकर आई ने सबको डांटा। बोली "अभी तो होली बहुत दूर है। अगर 'हरफनमौला' को अभी से तंग करोगी तो ये भाग जाएंगे। फिर क्या करोगी तुम ? इसलिए इन्हें तंग तो करो मगर थोड़ा थोड़ा।" 


हेमलता आई का डबल रोल देखकर हमारा सिर चकराया। मन ही मन भन्नाया। आई तो हमें बेटा बेटा करती हैं और इधर इन लड़कियों को भी शह देती हैं। ये कौन सी कूटनीति है। 

आई बोली "बेटा , ये सही में कूट नीति है। अगर तुम बेटे हो तो ये भी तो बेटियां हैं। मेरे लिए तो दोनों बराबर। अब, आज के लिए इतना ट्रेलर काफी है। समझे बच्चू।" 


हमारी अक्ल के बंद दरवाजे भटाक् से खुल गए। मां को बेटी ज्यादा पसंद होती है क्योंकि वह उसमें अपना प्रतिबिंब देखती है। बाप अपने बेटे में अपने अधूरे सपने खोजता है। 

हमसे सहानुभूति जताते हुए रीता गुप्ता रश्मि मैम लड़कियों को डांटकर बोली "देखते नहीं हो तुम लोग। कितने बड़े हैं "हरि" सर। कितने बड़े लेखक हैं ये, क्या तुम्हें पता है ? इनकी रचनाएं इतनी बढ़िया होती हैं कि बोरे में भरकर कबाड़ी को बेचनी पड़ती हैं। इनका गला इतना मधुर है कि सारे गर्दभ इकट्ठे होकर सहानुभूति जताते हैं जिनके "ढेंचु, ढेंचू" की आवाज में इनकी आवाज दबकर गायब हो जाती है। और शरीर इतना सींकिया है कि कोई दो लड़कियां अगर जोर से फूंक मारे तो ये हवा में ही उड़ जायें।" आज तो रीता गुप्ता मैम ने अपनी बरसों की भड़ास हम पर निकाल दी। सारी लड़कियां खी खी करके हंसने लगीं थीं। 


शशिकला मैम तो मिनी स्कर्ट पहनकर आईं थीं। बॉब कट बाल और रे बैन के गूगल्स। उन्हें देखकर पुरानी फिल्म बॉबी की हीरोइन डिंपल कपाड़िया याद आ गईं। 


कहने लगीं "सर ने राजपूती अंगरखा , सफेद धोती, मारवाड़ी पचरंगी साफा , उस पर मोरपंख की किलंगी , जुर्राब, जूती आज ही तो लीं हैं। क्या पता किराये पर लाये हों। गुलाबी कमरबंधा कसकर ऐसे लग रहे हैं जैसे मेवाड़ के राजकुमार हों। तनी हुई मूंछें बता रही हैं कि अभी कुंवारे हैं अन्यथा मूंछें झुकी हुई होतीं। घरवाली के आगे अच्छों अच्छों की मूंछें नीची हो जाती हैं। इनकी अभी तक तनी हुई हैं इससे इनके कुंवारे होने का सबूत मिल रहा है।"


फिर सब लड़कियां अपनी अपनी पोशाकों का "दिखावड़ा" करने लगीं। ज्योति पांडे जी कहने लगी "ये मेरा टॉप है ना ये मैंने लंडन से खरीदा था , जब मैं कंपनी के ट्यूर पर लंडन गई थी। और ये जींस। ये तो आस्ट्रेलिया से ली थी जब प्रतिलिपि ने एक सेमिनार वहाँ रखी थी जिसमें मुझे मुख्य अतिथि बनाया गया था। ये लिपिस्टिक शिकागो की है, घड़ी जर्मनी की , सैंडल फ्रांस के और बेल्ट इंडिया की है। बेल्ट इंडिया की इसलिए कि यहां मनचले बहुत हैं। रास्ते में छेड़ते रहते हैं। इस बेल्ट से मवालियों की खैर खबर लेती हूँ। बहुत मजबूत होती है ये।" सच में ज्योति मैम बुलबुल की तरह फुदक रही थीं। 


शेष अगले अंक में 


आप सभी लोग अपने होली के यादगार संस्मरण लिखकर लिंक कमेंट में भेज सकते हैं। कृपया सब लोग अपने अपने पहनावे का भरपूर वर्णन अपने कमेंट के माध्यम से अवश्य करें। 


बुरा ना मानो होली है 



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