STORYMIRROR

होड़

होड़

2 mins
7.8K


आरुष के स्पोर्ट्स डे से लौट कर शुभ्रा बहुत अनमनी थी।

"रात दिन इसे लेकर इस क्लास से उस क्लास भागती रहती हूँ और ये है कि कुछ भी नहीं कर पाया। पूरे साल कोई भी मेडल नहीं।"

"क्या करूँ इस लड़के का ! कुछ समझ नहीं आता, हर तरफ इतना कॉम्पटीशन है, ऐसे कैसे चलेगा। स्केटिंग, स्विमिंग, कराटे,डांस, ट्यूशन फिर सप्ताहांत की क्लासेज.. हमने अपनी दिनचर्या बदल ली इसके लिए, पर ये है कि कुछ करना ही नहीं चाहता ...पड़ोस वाले ऋषभ को देखो...पढ़ाई हो या खेल सब में प्रथम.."

गुस्से में उसने आरुष से बात भी नहीं की, वो सारा दिन अपने कमरे में उदास बैठा, सिसकता रहा।

शाम को स्वाति ने टीवी ऑन किया ही था कि आरुष आ कर रोता हुआ उससे लिपट गया... "माँ माफ कर दो, अब और मेहनत करूँगा.. अब से कार्टून देखने की जिद भी नहीं करूँगा, ना ही शाम को पार्क में खेलने जाऊँगा.. माफ कर दो माँ.. माफ कर दो.. गुस्सा मत हो मुझसे.. मुझे पानी से डर लगता है इसलिए स्विमिंग क्लास को मना करता हूँ, तुम बोलोगी तो अब वो भी जाऊँगा..प्लीज़ माँ प्लीज़।"

शुभ्रा ने देखा, आरुष बुखार से तप रहा था..

उधर टीवी में न्यूज आ रही थी कि एक बड़े स्कूल में कक्षा में प्रथम आने के लिए एक बच्चे ने अपने से ज्यादा होशियार बच्चे की हत्या कर दी।

शुभ्रा ने कस कर आरुष को गले लगा लिया..


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational