हेलमेट
हेलमेट
"मैडम मैं आपको पिछले कई साल से देख रहा हूं । आप बाईक चला रही होती है, या किसी के पीछे बैठी हों, बिना हेलमेट बाईक पर कभी नहीं होती । आप जुनून की हद तक इस नियम का पालन करती हैं, कोई विशेष कारण ?"
"सुनो शादी से पहले, जैसे ही मैं कालेज जाने लगी मुझे स्कुटी मिल गई थी । मैं दिन भर उसे चलाती रहती, बिना हेलमेट के, ताकी लोग देख सके कि स्कुटी वाली लडकी कौन है। एक दिन हमारी गली में नये रहने आए अंकल ने मुझे रोका और कहा - बेटी हेलमेट पहनकर स्कुटी चलाया करो ।
मैंने बेपरवाही से कहा - नहीं अंकल, मुझे हेलमेट अच्छा नहीं लगता, मेरा कुछ नहीं बिगडेगा।
वे कुछ नाराज होते हुए बोले, - क्यों ? क्या तुम्हारा सिर पत्थर या स्टील का है ?
मैंने उन्हें खुश करने के लिये कह दिया -नहीं अंकल, सिर तो दुसरी लडकियों जैसा ही है, परइस पर आपका हाथ है । वे भावुक हो गये । मुझे वही रुकने का इशारा करअपने घर के भीतर गये और एक नये हेलमेट के साथ बाहर आये । भरी सी आवाज में बोले -
मेरी भी एक बेटथी, तुम्हारे जैसी । मैंने उसे बाईक दिलवाई थी ।वह भी बिना हेलमेट के ही चलाती थी । एक दिन मैं उसे बिना बताये उसके लिये यह हेलमेट, खरीद कर लाया था । मेरे घर पहुचते ही समाचार मिला कि उसके साथ सडक दुर्घटना हो गई है । मैं उसे यह हेलमेट नहीं पहना सका था । पिछले दो साल से यह मेरे पास है। मैंने किसी को भी इसके हाथ नहीं लगाने दिया ।आज इसे तुम्हारे सिर पर रख रहा हूं । उताराना मत । इसे मेरा हाथ मानकर सिर पर रखना .... ।"
