CHANDANA SHARMA

Inspirational

4.4  

CHANDANA SHARMA

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हौसले की उड़ान

हौसले की उड़ान

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 मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाँव की कलशी नाम की लड़की बचपन से ही पढ़ने में रुचि रखने वाली हुआ करती थी। पढ़ाई के साथ साथ वो घर का सारा काम भी करती थी। हर बोर्ड कक्षा में वह मेरिट में आई थी, तो मेरिट में टॉप करने के कारण बारहवीं और स्नातक की उसकी पढ़ाई का खर्चा मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दी गयी छात्रवृति से ही हुआ। कलशी का सपना था कि वह इंजीनियर बने और उसके रिश्तेदार उसकी शादी कराने की तय कर चुके थे । उसके नाम से रिश्तेदारों में कुंडली मिलवा ली और लड़का खोज लिया, और उसके पिताजी को खबर कर दी । उसके पिताजी को अपनी लड़की पर पूरा भरोसा था कि मेरी बेटी का एक दिन सपना जरूर पूरा होगा और मेरी बेटी एक दिन हमारा और हमारे गाँव का नाम रोशन करेगी। सीधी सादी कलशी का कोई सच्चा मित्र था, तो वो किताबें थी, वह अपनी सारी बातें किताबों से ही कहती थी और उसका सारा दिन किताबों में ही गुजरता था। वह पढ़ती थी और बच्चों को पढ़ाती भी थी। इस तरह कलशी अपना खर्च खुद उठा कर परिवार की आधी परेशानियों को खुद ही सुलझा देती थी। एक दिन कलशी के पिताजी ने तय किया कि भले की कम खा लेंगे लेकिन कलशी को शहर भेजेंगे जिससे कलशी का सपना पूरा हो सके। कलशी जानती थी कि उसके पिताजी किसान है, शहर में रहकर पढ़ाई करवा पाना, ये सब पिताजी कैसे करेंगे। कलशी ने पिताजी को मना कर दिया कि वह शहर पढ़ाई करने नहीं जाएगी। उसकी मां और पिताजी उसको समझाते रहें कि गाँव से बाहर उसको जाना ही पड़ेगा। कलशी के पिताजी हमेशा कलशी के सामने उसकी ढाल बन कर खड़े रहते । उसके पिताजी सबकी सहते रहते की लड़की को क्यों पढ़ा रहे हो। लड़कियाँ पराया धन होती हैं, लड़कियों की शादी कर दो, पढ़ती रहेगी अपनी ससुराल में। कलशी जब भी ये सब सुनती तो दुखी हो जाती , और कलशी ने तय किया कि अपना सपना पूरा करेगी। 

 शहर में आते ही कलशी आई. आई. टी. की तैयारी के लिए दिन रात एक कर मेहनत करने लगेगी, कलशी अपने पिता का नाम रोशन करना चाहती थी, कलशी अपना सारा वक्त किताबों के साथ ही बिताया करती है, इम्तिहान का दिन जैसे जैसे करीब आ रहा था, कलशी के दिलों की हलचलें तीव्र होती जा रही थीं। ।

एक दिन जब आई .आई. टी. का रिजल्ट आया तो कलशी को गाँव में किसी ने सूचित किया कि कलशी का सिलेक्शन आई.आई.टी.में हो चुका है। इस खबर को सुन कर कलशी और कलशी के पिता की आंखों से आँसू बहने लगे ,जो यह कहा करते थे कि लड़की को मत पढ़ाओ ,शादी कर दो ऐसे लोग कलशी को बधाई देने उसके घर आ रहे थे। कलशी की मां से जब पूछा गया कि कलशी के सिलेक्शन का राज़ क्या है ,उसकी मां ने कहा कि यह कलशी के हौसले की उड़ान है , और मुझे अपनी लड़की कलशी पर गर्व है। कलशी 4 साल के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन जाती और उसकी अमेरिका में जा कर जॉब करने लगती है। कलशी को 4 लाख रुपए महीने की तनख्वाह मिलती है। कलशी के कमाने से घर की लगभग वे सभी परेशानियां जो धन के अभाव में परिवार को झेलनी पड़ती थी। सब डोर हो जाती हैं। कलशी अपने पैरो पर खड़ी हो चुकी है, और सभी लड़कियों के लिए मिसाल बन जाती है।

सीख - लड़का और लड़की किसी में भी भेद भाव मत कीजिये ,सबको शिक्षा दीजिये । शिक्षा पाने का अधिकार सभी मनुष्य का है । 



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