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Dr Pragya Kaushik

Inspirational

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Dr Pragya Kaushik

Inspirational

गुरू बिन ज्ञान नहीं ,ज्ञान बिन प्रेम नहीं

गुरू बिन ज्ञान नहीं ,ज्ञान बिन प्रेम नहीं

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गुरू बिन ज्ञान नहीं, ज्ञान बिन प्रेम नहीं

न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्ते।  


ज्ञान के समान कुछ भी पवित्र, शुद्ध, वास्तविक नहीं है। और गुरू बिन ज्ञान नहीं। अगर आपकी जिन्दगी में कोई गुरू नहीं तो ज्ञान का रास्ता कठिन और दुर्गम बनता जाता है। गुरू का निश्चल ,प्रेममय आशीर्वाद मनोबल के साथ -साथ पथप्रदर्शक भी रहता है।


गुरू आपके माता- पिता,बन्धु , परिवार के सदस्य और शिक्षक भी हो सकते हैं। एकलव्य की तरह स्वयम् प्रेरित शिष्य अनभिज्ञ गुरू से भी सीख ले लेता है। आज के डीजिटल युग में अनेकों ने वर्चुल लरनिंग के माध्यम से भी ज्ञान और कौशल प्राप्त किया है जो कि सीखने के लिए अच्छा है परन्तु जिस शिष्य के सिर पर गुरू का हाथ भी हो और स्नेह की बरसात हो वो शिष्य कभी शून्यवत नहीं रहता।


जब गुरू शिक्षक है तो जिज्ञासु बन प्रश्न करें , सीखने के लिए। जब तक आप किसी समस्या, असामान्य या सामान्य स्थिति पर सवाल नहीं करेंगे, तब तक प्रगति और उन्नति गतिहीन ही रहेगी। शिक्षक पाठ्यक्रम के अलावा व्यवहारिक ज्ञान भी देता है। माता पिता से बढ़ कर निःस्वार्थ कोई गुरू नहीं परन्तु उनका हर कौशल में दक्ष होना जरूरी नहीं इसलिए विषय विशेष के गुरू की हमें आवश्यकता रहती है। पूर्वाग्रह रहित, जिज्ञासु बन गुरू कृपा की कामना से समर्पित शिष्य बनें।


जीवन भी अपने आप में एक महान शिक्षक और शिक्षा भी है। जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण आपको अधिक सीखने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे में एक गुरू का सानिध्य जीवन को सुगम बना देता है। अपवाद हर क्षेत्र में मिलेंगे ,स्वयं के प्रति ईमानदार रहें, समर्पित रहें गुरू जरूर मिलेंगे


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