ग्रीन रूम

ग्रीन रूम

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तुम्हारे कहने पर प्रतियोगिता में भाग तो ले लिया है लेकिन ड्रेस वगैरह

की सभी तैयारियां तुम्हीं करोगी।

- अरे सुनो तो, गाना कौन सा?

- घुमड़.... ।

मेरे कुछ और पूछने से पहले उसने रिमोट का बटन दबाया और आंखें टीवी पर टिका दी।

"घुमड़...," मन ही मन मुस्कुराते हुए आलमारी के निचले खाने से मलमल में सहेज कर रखा थैला निकाला- काली गोटेदार पट्टी पर सुनहरी जरदोज़ी के गठे

हुए काम की चमक अब भी बरकरार थी, सुर्ख़ लाल और कत्थई के बीच खिले रंग काकलीदार लहंगा संग मेल खाती कुर्ती और छोटे सितारों शीशे से सजी जरदोज़ी

किनारे वाली ओढ़नी और उसी के साथ श्रृंगार के डिब्बे से झांकती रंग बिरंगीचूड़ियां, सुनहरा बोरला जिस पर समय के रंग चढ़ने लगे थे ।

- ये देख लो एक बार तुम्हारा सारा सामान सजा दिया है

- तुम रहोगी ही ग्रीन रूम में, हर बार की तरह

- अरे ये वार्षिकोत्सव नहीं और इस बार कार्यक्रम कला भवन में है...

- नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना, तुम मेरे साथ चल रही हो बस।

उसके मासूम आग्रह का बहाना या दमित स्वप्न को जीवंत देखने की ललक, मैं

मना नहीं कर पाई। दशक पहले की अपेक्षा आयोजन बड़ा था और अधिक व्यवस्थितभी। लहंगे की कलियों में अपनी अपूर्ण इच्छा का पैबंद टांक, उसे काजल का

नजरबट्टू लगाया और बढ़ती धड़कनों को थामे बाहर आ गई।

दीप प्रज्ज्वलन, वन्दना, स्वागत गान, समयानुसार बढ़ते कार्यक्रमों को छोडपूर्वाग्रह से आशंकित मेरा मन न जाने कितनी बार अतीत की गलियों में घूम

आया - जब बरसों पहले इसी जगह आयोजकों के मतभेद में ग्रीन रूम से मंच की

दूरी पाटने में असफल मैं, सपनों को सुर्ख़ लाल - कत्थई धागों संग सहेज आईथी।

हारमोनियम संग तबले की संगत और महीने भर के अभ्यास के बाद मंच के कोने पर

सजे साज संग बोल से तन्द्रा टूट गई -"मोरा अस्सी कली का लहंगा देखो घुमड़री" थिरकती नन्हीं परियों ने दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया था । तीन

दो तीन की खड़ी-पड़ी कतारों के बीचोबीच संगीत में डूबी उसकी भाव भंगिमा मेअपना प्रतिबिंब निहारती मैं उसके पंखों से उड़ान भर रही थी।

सुने ताखों पर प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह करीने से सजाकर मलमल के

थैले को वापस आलमारी के निचले खाने में रखते वक़्त अंतर बस इतना की ओढ़नपर 'ग्रीन रूम' में टूटे सपनों का दाग़ फीका पड़ गया और जरदोज़ी के किनातालियों की गूंज में डूब दमक उठे।रे

#पॉजिटिव_इंडिया


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