गंदी मानसिकता
गंदी मानसिकता
"महिलाओं पर अत्याचार तब तक होते रहेंगे, जब तक लोग उन्हें भोग-विलास की वस्तुमात्र समझेंगे। अतः लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी और इसके लिए हमें आगे बढ़कर उनकी अस्मिता के लिए लड़ाई लड़नी होगी।" छात्र नेता शहर के एक चौक पर युवक-युवतियों से भरी भीड़ को संबोधित कर रहा था।
'तड़ाक!...' इधर थप्पड़ , उधर चिल्लाई, "बंद करो अपना भाषण। स्त्री-अस्मिता की बात करते हो और इसमें शामिल लोग भेड़िये हैं, भेड़िये।" पूरी भीड़ आवाज की तरफ मुखातिब थी।
"क्या हुआ ? क्या हुआ ?...।" टकराती कई आवाजें निकलीं।
"वही हुआ, जो लोगों के गंदे दिमाग में है। जिस उद्देश्य के लिए सभा हो रही है, उसी में एक लड़की के साथ छेड़खानी.....!" छेड़ी गई वह युवती बोली।
"कौन है..., कौन है ? मारो- मारो...।" और भीड़ उसे खोजने और मारने को तैयार हुई।
"उसे नहीं, पहले अपने वैसे दिमाग को मारो। और सम्मान करो स्त्रियों का।" युवती वहाँ से चल पड़ी थी।