घर की इज्जत, व्यथा
घर की इज्जत, व्यथा
18जनवरी2020 को सुरेश की ससुराल में उसकी मृत्यु हो गई जिसकी खबर सुनकर सभी उसके ससुराल गये और उसको घर लेकर आये सुरेश की पत्नी काम्या भी उसके साथ ही थी वह भी साथ में घर आ गई। पूरे परिवार में मातम् सा छा गया था। सुरेश जोकि परिवार का सबसे बड़ा लड़का था अपने चाचा-ताऊओ में भी । खैर फिर विधि पूर्वक उसका अंतिम संस्कार किया ,फिर तीसरे दिन उसके तीजे पर लोग एकत्रित हुए एवं सलाह करने लगे कि आगे क्या करें क्योंकि उसके 5 बच्चे थे और सभी छोटे थे, काम्या की की भी उम्र ज्यादा नहीं थी तो काम्या को भी बुलाया गया और पूछा गया कि तुम क्या चाहती हो यदि तुम चाहो तो हम तुम्हारा पुनर्विवाह भी कर देंगे, जो तुम चाहोगी वो ही होगा, किंतु काम्या ने साफ इंकार कर दिया और कहा कि मैं यही रहूंगी और खुद करके खाऊंगी उसकी इस बात पर सभी को हर्ष व गर्व की अनुभूति हुई।
सुरेश के छोटे भाई रमेश(जोकि विवाहित था व दो बच्चों का पिता पिता भी था)उसने जिम्मेदारी ली कि यदि कोई समस्या हो तो मैं जिम्मेदार हूँ।
समय बीता गया काम्या के परिवार वालो को काम्या पर शक होने लगा कि वह किसी को घर पर बुलाती है, यह बात धीरे धीरे पूरे गांव में फैल गई, काम्या के देवर रमेश ने भी देखा और उस व्यक्ति को पकड़ कर धमकी दी कि आगे से ऐसा कुछ ना हो तो बात कुछ दिनों तक थम गई। कुछ दिन बाद यह सिलसिला फिर चलने लगा। काम्या अपने बच्चों को नींद भी गोलिया खिलाती और उस आदमी को बुला लेती।
इस बात पर रमेश ने लोगों को इकट्ठा किया और काम्या के प्रति जो उसकी जिम्मेदारी थी उसको वापस लिया,तो लोगों ने काम्या को बुलाया उसे दोबारा बात पूछी तो उसने माफी मांग ली रमेश के चाचा ने भी काम्या की इच्छा पुन: जाननी चाहिए परंतु काम्या ने साफ इंकार कर दिया और आगे कोई गलती नहीं होगी यह सात्वना दी।(लेकिन यह बात एक सात्वना ही थी)
फिर 1दिन रात में करीब 10साढ़े10 बजे रमेश का फोन उसके चाचा के लड़के मिस्टर कुमार के पास आया, कुमार जब अपने परिवार के साथ टीवी देख रहे थे नवंबर का महीना का मौसम में थोड़ी ठंडक थी। कुमार ने फोन उठाया -हेलो
रमेश- (तेजी से बोला) हेलो भाई जल्दी से तुम चाचा को लेकर घर पर आ जाओ और हां दूसरे चाचा को भी लेते आना
कुमार- (हिचकिचाते हुए) क्या हुआ भाई ?
रमेश- यहीं आके पता चल जाएगा (इतना कहकर फोन काट दिया)
कुमार ने अपने पापा को यह बात बताई। (कुमार के पापा काफी सज्जन व्यक्ति हैं और कुछ समय से बीमार भी चल रहे है) तो इस बात पर कुमार अपने पापा और ताऊजी के साथ रमेश के घर गए, वहां गए तो देखा काम्या के दरवाजे पर रमेश व दो अन्य लोग खड़े हुए थे। उनसे जाकर पूछा तो उन्होंने बताया कि काम्या के घर में कोई पराया व्यक्ति है, तो सभी अंदर गये तो यह बात सच थी। यह देख कर सबका खूल खौल गया (और ऐसा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि बहू घर की इज्जत होती है और उसपर कोई हाथ डाले तो क्या करें)
तो सभी ने मिलकर उस पर व्यक्ति की धुनाई करदी (और करते भी क्या)
काम्या उसे छुडाने का प्रयास करती रही और कह रही थी कि छोड़ दो इसे एक बार इसकी बात तो सुन लो फिर पर कुमार ने लोगों को रोका और वह व्यक्ति से आने का कारण पूछा तो उसने कहा कि मैं काम्या को रखना चाहता हूँ ये सुनकर सभी सन्न रह गए। लेकिन जैसे तैसे काम्या को उसके साथ भेजने की हां हो गई और ग्राम प्रधान को रात को ही बुलवाया गया सभी लोग प्रधान के साथ बाहर बैठे हुए थे काम्या जो कि अंदर कमरे में थी ने पुलिस को फोन कर दिया तो पुलिस आई और काफी बातचीत के बाद थाने में चलने की बात हुई कि जो बात होगी थाने में ही होगी। तो कुमार के पापा, रमेश तथा वो पराया आदमी भी पुलिस के साथ गया।
सुबह को सभी लोग थाने में गए उस आदमी के परिवार को भी बुलवाया गया उन्हें सारी का बताई लेकिन उसकी मां व भाई ने साफ इंकार कर दिया कि इस बेकार चरित्रहीन नारी को हम अपने घर में नहीं ले जाएंगे और फिर पीछे 5 बच्चे भी। उस व्यक्ति का भी एक लड़का था और उसकी पत्नी मर गई थी। काफी मशक्कत के बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ फिर उन तीनों को जेल भेज दिया गया तीसरे दिन जमानत पर वह बाहर आए काम्या ने जो वकील किया था उसको भी अपनी लाईन पर रख लिया था।
खैर सभी काम निपट गये और घर आ गये। फिर इसके बाद उस पराये व्यक्ति ने भी उसे ले जाने से मना कर दिया क्योकि वो तो सिर्फ उसका इस्तेमाल कर रहा था वरना उसका भी एक बेटा था और 5 बच्चे काम्या के भी थे,भला छ: बच्चो को कौन पाले।
इससे सबसे बड़ी हानि काम्या को हुई उसने अपनी इज्जत भी गंवाई अपने परिवार से भी दूर हुई और अपने बच्चो के भविष्य में होने वाले सम्मान पर भी एक कलंक सा रख दिया।
काम्या जिस घर की बहू थी वो परिवार बहुत ही सीधा व सरल था इसमें कुमार के पापा इतने सज्जन ,इमानदार व इज्जतदार व्यक्ति है जिनका पूरा गांव सम्मान करता है लेकिन कोई भी व्यक्ति दुनिया से जीत सकता है पर अपनो से हार जाता है।
और रही बात बहू की तो घर की बहू पर कड़ाई से भी पेश नहीं आया जा सकता। कहते हैं कि 'जिस बहू को शादी से पहले पूरा कुनबा देखने जाता है शादी के बाद वह अकेली पूरे कुनबे को देख लेती है'
हर जगह सिर्फ पुरुष ही गलत नही होते कही पर कुछ स्त्री भी गलत होती है।
अंत में मिस्टर कुमार कहते है-
हमारे घर की इज्जत किसी की रखैल हो गयी, गुनाह किसी का था और हमें जेल हो गयी।
