हरि शंकर गोयल

Comedy

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हरि शंकर गोयल

Comedy

गांधी भक्त

गांधी भक्त

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पलटूराम जी आज बड़े व्यस्त हैं । घड़ी भर की भी फुरसत नहीं है उनके पास । और फुर्सत हो भी तो क्यों ? आज तो उनके आराध्य , भगवान , स्वामी गांधीजी की जयंती है । वैसे तो आज एक और जयंती लाल बहादुर शास्त्री जी की भी है मगर हमारे पलटूराम जी तो गांधीजी के अनन्य भक्त हैं इसलिए वे केवल गांधी जयंती ही मनाते हैं । 

बड़ा व्यस्त कार्यक्रम रहता है उस दिन उनका । अल सवेरे 5 बजे जगकर भैंसों को चारा खिलाते हैं , पानी पिलाते हैं और फिर उनका दूध निकाल कर गटागट पी जाते हैं । अब आप कहेंगे कि बापू तो गायों और बकरियों की सेवा करते थे भैंसों की नहीं और दूध भी बकरियों का ही पीते थे भैंस का नहीं ।तो ऐसा है जनाब , कि उन दिनों में संविधान में धर्म निरपेक्षता शब्द जोड़ा नहीं गया था । जब इंदिरा गांधी जी ने यह शब्द जोड़ दिया तो फिर आप ही बताइये कि पलटूराम जी "गौ सेवा" कैसे कर सकते हैं ? यह धर्म निरपेक्षता और संविधान का अपमान नहीं है क्या कि एक सांप्रदायिक जानवर की सेवा पलटूराम जी जैसे धर्म निरपेक्ष व्यक्ति करें ? इसलिए वे भैंसों की ही सेवा करते हैं क्योंकि भैंस एक धर्म निरपेक्ष जानवर है और गाय एक सांप्रदायिक । इसलिए तो पलटूराम जी ने कक्षा एक के पाठ्यक्रम से ग से गाय हटवा कर ग से गधा करवा दिया था क्योंकि गधा सबसे बड़ा धर्म निरपेक्ष जानवर है और बहुत स्वामी भक्त भी । पलटूराम जी जिस दल में हैं वहां स्वामी भक्ति बहुत जरुरी है । अब आप यह मत कह देना कि भैंसा तो यमराज जी की सवारी है । हां , हां , मैं भी जानता हूँ । मगर यमराज जी तो सबसे बड़े धर्म निरपेक्ष देवता हैं । वे हिन्दू को भी अपने साथ लेकर जाते हैं तो बाकी धर्मावलंबियों को भी अपने साथ लेकर जाते हैं । वे जाति धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं इसलिए धर्म निरपेक्ष देवता के जानवर भी धर्म निरपेक्ष ही कहलाएंगे न । अतः उन्होंने यह "मध्यम मार्ग" अपना लिया और भैंसों की सेवा करके पुण्य कमा लेते हैं । इससे यमराज जी भी प्रसन्न रहते हैं । हमने साक्षात देखा है कि कई बार भयंकर दुर्घटना होने पर भी उनका बाल भी बांका नहीं हुआ । यमराज जी की कृपा पूरी रहती है उन पर ।

भैंसों की सेवा पूजा करने के बाद वे नहा धोकर तैयार होते हैं । उनको नहलाने के लिये बहुत सारी सेविकाएं लगी हुई हैं । चूंकि वे गांधीजी के पक्के चेले हैं और गांधीजी भी सेविकाओं से घिरे रहते थे इसीलिए पलटूराम जी बहुत सारी सेविकाएं हमेशा अपने साथ रखते हैं । उनका सारा काम सेविकाएं ही करती हैं । नारियों के प्रति उनके स्नेह को देखकर सब लोग उन्हें पक्का गांधीवादी कहते हैं । 

तैयार होने के बाद वे सर्व धर्म प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं । हिन्दू , मुस्लिम , सिख , ईसाई , सगुण , निरगुण , कबीर , दादू , नानक सबकी प्रार्थना होती है वहां पर । यही असली धर्म निरपेक्षता है । वे कुरान की आयतें पढते हैं । गुरुवाणी का पाठ करते हैं । बाइबल भी पढ लेते हैं मगर भूलकर भी गीता और रामायण नहीं पढते क्योंकि गीता और रामायण घोर सांप्रदायिक किताबें हैं । इनके पढने से वे सांप्रदायिक कहलाने लगेगें । पलटूराम जी जैसी धर्म निरपेक्षता के दर्शन करके हम तो अपने आपको धन्य समझते हैं । हमने गांधीजी तो देखे नहीं इसलिए पलटूराम जी को ही गांधी का अवतार मानकर उनकी पूजा कर लेते हैं ।

सर्व धर्म प्रार्थना के पश्चात वे किसी हरिजन बस्ती में जाते हैं । अरे, आप फिर गलत समझे । वो वहां पर सफाई करने नहीं अपितु फोटो शूट कराने जाते हैं । गांधीजी को हरिजनों से विशेष लगाव था न इसलिए पलटूराम जी हरिजन बस्ती में जाकर साफ सफाई करते हुए एक फोटो जरूर खिंचवाते हैं जिसे मीडिया को दे दिया जाता है । फिर मीडिया पलटूराम जी की गगनचुंबी जय जयकार करता रहता है । उन्हें हरिजन हिताय दलित प्रेमी और ना जाने क्या क्या बताता रहता है । 

हरिजन बस्ती से आकर एक बार फिर से नहाते हैं पलटूराम जी । और गंगाजल छिड़क कर शुद्ध भी होते हैं । पर ये अंदर की बात है , सबको पता नहीं है । ऐसी बातें बाहर थोड़ी ना बताई जाती हैं । 

अब लंच का समय हो जाता है । पलटूराम जी का सिद्धांत है कि वे गांधीजी के दर्शन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं । इसलिए उनके चमचे रोजाना कम से कम एक सूटकेस की व्यवस्था अवश्य करते हैं । एक सूटकेस में जितने लाल हरे नोट आ सकते हैं उन पर गांधीजी की फोटो देखकर ही वे अन्न जल ग्रहण करते हैं । उन नोटों की पूजा करके वे प्रसाद ग्रहण करते हैं । इसके लिए एक विशेष वसूली अभियान चलता है । ऊपर गांधीजी की आत्मा भी कितनी प्रसन्न होती होगी पलटूराम जी जैसे सच्चे पुजारी पाकर । गांधीजी वहां बैठे बैठे सोचते होंगे कि वे कितनी बड़ी विरासत छोड़कर आये हैं । पलटूराम जी जैसे भक्त उनकी शिक्षाओं को किस तरह समाज में फैला रहे हैं , यह देखकर वे आनंदित हो जाते होंगे । 

वैसे तो वे कभी खादी पहनते नही हैं लेकिन 2 अक्टूबर के लिए दो जोड़ी कपडे खादी के बनवाये जाते हैं । उन्हें पहनकर खादी आश्रम जाकर "खादी अपनाओ" कार्यक्रम में एक शानदार भाषण देते हैं फिर वही पर बने एक चेंज रूम में खादी उतार कर कैजुअल वीयर पहन लेते हैं । उनकी खादी भक्ति देखकर खादी के भी आंसू आ जाते हैं । 

उसके पश्चात वे अनाथ और विधवा महिलाओं से मिलने जाते हैं । उनके उत्थान के लिए उन्होंने बहुत सारी योजनाएं बनवाई । मगर वो सब कागजी थीं । असली तो कुछ और थीं । 

बस, कमी केवल एक ही रह गई थी । शराब । छी छी छी । गांधी भक्त और शराब । राम राम । पलटूराम जी ऐसा कैसे कर सकते हैं । उनसे बड़ा कोई गांधी भक्त नहीं । इसलिए पलटूराम जी शराब के केवल इंजेक्शन लगवाते हैं । गांधीजी के उसूल टूटने नहीं दिये उन्होंने कभी । इसे कहते हैं सच्ची श्रद्धा । ऐसा गांधी वादी देखा है और कोई ?

अरे, बातों बातों में मैं एक बात बताना तो भूल ही गया कि पलटूराम जी बहुत बड़े अहिंसावादी हैं । वे सुबह से लेकर शाम तक गाली गलौज करते हैं । हाथापाई करते हैं । कई बार तो उन्होंने ना केवल लात घूंसे चलाये हैं अपितु उन पर दुष्कर्म और हत्या तक के मामले भी दर्ज हैं मगर वे तो एकदम भोले भाले मासूम हैं । इतने बड़े अहिंसा वादी हैं कि आतंकवादियों को बचाने के लिए रात को बारह बजे भी माननीय उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा देते हैं । लश्करे तैयबा की आतंकी को भारत की बेटी बता कर पुलिस पर प्रश्न खडा करते हैं । एनकाउंटर में मारे गये आतंकवादियों को शहीद बता देते हैं । "अफजल हम शर्मिंदा हैं , तेरे कातिल जिंदा हैं" नारे लगाने वालों के साथ खड़े हो जाते हैं । ऐसे अहिंसा के पुजारी को बारंबार प्रणाम ।



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