फ़टी जेब

फ़टी जेब

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पाँच बच्चों का पिता राह पर चले जा रहा था।अपने सपनो के संग ,एक वकील एक डॉक्टर, तीन को भी उनके सपनों में ढालना था।

पर भूल गया कि मेरी आमदानी कितनी है।पर उदासी को धुत्कार रहा था।बार - बार कह रहा था मजबूरी नहीं, मजबूत हूं। अपने सपने से ज्यादा में तेज हुँ।भरोशा मुझे अपने पे है।कि में अपने बच्चों का कमज़ोर पिता हूँ।

इन्ही सब उधड़ बुन में अपने घर, पोहचा,बच्चे उसपे झूम गए पापा चॉकलेट लाये हो। पापा ने चॉकलेट निकाल कर सब मे बाट दिया।तभी छोटा बच्चा आकर अपने पिता के कंधे में झूम कर बोला पापा आपने हम को सब बाट दिया ना अपने लिए कुछ नहीं रखा।

पिताजी मुस्करा बोले बेटा ऐसी चॉक्लेट की कीमत मेरे लिए कुछ नहीं तुम सब की हँसी-ठिठोली ही मेरी करोड़ों की जमा पूंजी है।

मुझे कुछ नहीं चाहिए उस ऊपर वाले से की मुझे अब समझ आया कि जिनके पास धन तो है।पर बच्चे नही है,बच्चे तो है।पर साथ नहीं है।मुझे ऐसी धन दौलत नहीं चाहिए।

क्योंकि मेरी जेब भले ही फ़टी हो

पर मेरे बच्चे ही मेरी जायदाद है ओर धन सम्पति है

खुश हूं और अपनी भोली पत्नी का धन्यवाद ओर कृतज्ञ हुँ।

जो अपने कोर से बचा कर कहती है।

चलिए खाना आपका तैयार है।


ओर जब में कहता हुँ तुम्हारा खाना कहा है।

तो वो कहती है आपने ओर बच्चों ने खा लिया।

मेरा तो पेट ही तब भर गया था।आप मेरी चिंता नहीं करना

की बच्चों ने अपनी प्लेट से मेरी एक प्लेट बनाई

ओर उसमें मेने अपना खाना खा लिया है।


तब दोनों ने मिलकर कहा कि हमारी जेबे भले ही फ़टी है

पर ये करोड़ो की संपत्ति बच्चे हमारे पास है।यही हमारे

धन और दौलत है।तो हमे क्या जरूरत किसी ओर की

हम इसमें खुश थे,ओर खुश रहेंगें क्योंकि


यही हमारे जीवन के अनमोल खजानों के प्यारे रत्न है

ओर प्यारे धन से भरा घड़ा है।फिर हमें कोई धन और

दौलत की आस नही है।जेब भले ही फ़टी हो पर


हमारी औकात सबसे ऊपर है, पैसा नहीं बच्चे हमारे धन है।

और यही हमारी दौलत है, यही हमारा धन है।


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