एक थी झनकू
एक थी झनकू
झनकू की कहानी किसी फंतासी से कम नहीं है। गरीब घर में पैदा हुई झनकू को भुखमरी के कारण बचपन में ही ठाकुर के यहां बेच दिया गया। ठाकुर ने अपनी बेटी के ब्याह में उसे दासी के तौर पर काम करने के लिए भेज दिया।
काम करते करते कब जवानी की दहलीज पर कदम रखा और वह प्रेम में पड़ गई उसे पता नहीं चला और
एक बेटी को पालते हुए और मालिकों का हुक्म बजाते हुए कब
उसकी जिंदगी गुज़र गई उसे पता नहीं चला कि अचानक
पेट में हुई बीमारी के कारण वह चल बसी।
रोटी कपड़ा और मकान व संतान सब कुछ मिला उसे नहीं मिला तो बस पति का नाम वह झनकू बनकर आई थी और
झनकू रहकर चली गई किसी ने उसे अपनाया नहीं बस इतनी सी है झनकू थी कहानी।