एक निशान के पीछे की कहानी
एक निशान के पीछे की कहानी
लड़के वाले नेहा को देखने आने वाले थे । उसकी माँ हर तरीके से उसे समझा रही थी, ऐसे बोलना, ऐसे जाना। क्योंकि इसके पहले भी 5 लड़के वालों ने मना कर दिता था। लेकिन नेहा हमेशा से बोलती आई थी कि झूठ बोलकर शादी नहीं हो सकती। ये बात उसने अपनी माँ और पापा दोनों को बोला था, पर हर बार नेहा के बारे में झूठ बोलते आए थे। इस बार भी वहीं हुआ, सब मना कर गए थे, फिर से।
दरअसल, नेहा की एक आँख खराब थी जन्म्जात और दिखाई बिल्कुल कम देता था, साथ में उसके पैर पर सफ़ेद निशान भी था । नेहा शादी करना ही नहीं चाहती थी, वो खूब पढ़ाई करके जिंदगी को एक मुकाम देना चाहती थी। पर माँ पापा के ज़िद के कारण लड़कों के आगे अपने को लेकर आती रही है।
पर अब नेहा ने कमर कस लिया था, अपनी कमियों को शक्ति बना लिया था। अब वो खुद के मंन का ही करेगी।
यही सब सोचते वो नींद के आगोश में चली गई थी।
सुबह जब उठी तो सबसे पहले उसने I.A.S का फॉर्म ऑनलाइन भर दिया, बिना किसी को भी बताए और तैयारी भी शुरू कर दिया। पूरी मेहनत से तैयारी कर रही थी, उसका साथ देने के लिए उसका खुद का आत्म्विश्वास के सिवा कुछ भी नहीं था। अपने आपको झोक दिया था, परीक्षा की तैयारी में और 2 महीने बाद परीक्षा भी था ।
उसने सोचा परीक्षा देने कैसे जाएगी बाहर। उसने किसी तरह अपने छोटे भाई को पटाया की चलो उसके साथ बाहर कुछ काम है। जब उसका भाई उसके साथ आया तो नेहा ने अपने भाई को सच्चाई बता दी। भाई को अपनी बहन का ये राज जानकर अच्छा लगा कि कुछ जिंदगी में करना चाहती और जिंदगी को सही तरीके से जीना चाहती और अपने अंदर की कमियों को शक्ति बनाना चाहती उसकी बहन। अब नेहा के साथ उसका भाई भी था।
नेहा ने परीक्षा पास कर ली और आगे की परीक्षा की तैयारी शुरू की। हर बार परीक्षा दिलवाने उसका भाई जाता था। एक दिन वो समय आ गया, जब उसका चुनाव होने का परिणाम आने वाला था। जब परिणाम आया तो पता चला, नेहा एक राज्य की कलेक्ट्रेट बन गई है और जल्द पोस्टिंग भी होगी।
जब किसी पड़ोसी ने ये खबर उसके माँ पापा को दिया तो समझ आया कि उनकी बेटी जो डरी सी, सहमी सी रहती थी अपने निशान और कमियों को छुपाती थी, वहीं आज उसको एक उच्चे मुकाम तक ले गया था। उनलोगों को भी लगा कि हम बेवजह उसकी शादी के पीछे लगे थे, अब तो उसके जिंदगी का वो दौर शुरू हुआ है, जहॉ से उसकी कमियां कोई मायने नहीं रखती।
नेहा को गले लगाकर उसके माँ पापा उसके हर कदम पर साथ देने को चल पड़े, जिंदगी का एक नया शुरूआत करने चल पड़े।
