मछली पकड़ना
मछली पकड़ना
एक बार हमारे कॉलेज के समूह ने मिलकर मछली पकड़ने के लिए समुंदर के पास गए थे। जिसकी यादें अब तक जहन में छ्पी हुई है।
वो खुशनुमा सुबह थी, जो शायद गलती से हो सकती थी....!
फिर हमलोग 7 दोस्त मछली पकड़ने के लिए सारे सामानों के संग चल पड़े थे। साथ में नाव था जिस पर सवार होकर हमलोग समुंदर के थोड़ा अंदर जाकर मछली पकड़ना था।
नाव बहुत बड़ी थी और चलाने वाला एक नाविक भी साथ था। हमलोग गाना गाते मस्ती में चलें जा रहे थे, कितनी मछलीयों को देखते जा रहे थे।
हम उस जगह पहुँँच गये जहॉ से मछली पकड़ना था। एक छोटा सा टापु था। हमलोग उतर गए, नाव को किनारे रखकर एक अच्छे से जगह पर पहुँचकर मछली पकड़ने का डंडा निकाला, उसमें मछलीयो के खाने का चारा लगा दिया।
चार दोस्त मछली पकड़ेंगे और 3 दोस्त उसको पकायेगे। ऐसा ही हमलोग सोच कर आए थे। बस फेंका था सबने काँटा समुन्दर में। थोड़ी देर बाद मेरे एक दोस्त के कांटे में हलचल हुई, वो चीखा था कुछ फंसा। हमने उसे बोला खिंचौ पर वो खीच नहीं पा रहा था। लगा जैसे कोई उसे ही समुन्दर के अंदर खीच रहा है।
जब तक हमलोग कुछ कर पाते, उसको खीचकर अंदर ले जा चुका था......!
अब तो हमारी हालत खराब एक दोस्त जिसे अच्छे से समुन्दर के अंदर की जानकारी थी, कूद गया उसे बचाने को पर रस्सी बाँधकर कूदा था। उसे अपना दोस्त दिखा, उसने उसके पैर को जोरों का पकड़ लिया और रस्सी को झटका देने लगा ताकि हम उसे खीचकर बाहर ला पाते।
किसी तरह हम उन्हें खीचकर बाहर निकाले और उस दोस्त से पूछें की किसने खीचा था तो उसने बोला मैंने काँटा अच्छा हुआ छोड़ दिया था, वरना आज जिंदा नहीं होता। वो एक व्हेल मछली थी, जो खीच रही थी।
हमलोगों का मछली पकड़ना मिट्टी में मिल गया पर मेरा एक दोस्त बोला अरे! दोस्तों मैंने 5 - 6 मछली पकड़ रखी है। अब तो हमलोग ख़ुशी से उछ्ल पड़े। सबने मिलकर उसे पकाया और खाकर वापसी की।
मछली पकड़ना जिंदगी भर के लिए यादगार बन गया !
