हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Romance

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Romance

एक अनोखी प्रेम कहानी : भाग 16

एक अनोखी प्रेम कहानी : भाग 16

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छाया भाभी का राज खुल चुका था । सपना को लगा कि उसने शिव पर नाहक ही शक किया था । ये तो छाया भाभी थी जो पता नहीं क्या षड्यंत्र रच रही है । अत: दोनों को उससे सतर्क रहना होगा । 

सपना शिव से दूर नहीं रह सकती थी । वह एक रात और आधा दिन शिव से दूर रही थी इसलिए अब वह इसकी भरपाई करना चाहती थी । लेकिन उसे शिव के कमरे में देर भी बहुत हो चुकी थी और अभी दिन का समय भी था इसलिए रिस्क बहुत ज्यादा थी । वह शिव को एक गहरा किस करके नीचे आ गई । 


शिव छाया भाभी के बारे में सोचने लगा । छाया भाभी का क्या उद्देश्य हो सकता है ? कहीं वह उसे ब्लैकमेल करने के चक्कर में तो नहीं है ? रात में जब वह गहरी निद्रा में सो रहा हो तब छाया भाभी उसके साथ कुछ आपत्तिजनक फोटो ले सकती है और उन फोटोग्राफ से उसे ब्लैकमेल कर सकती है । यह संभावना ज्यादा लग रही थी उसे । उसने छाया से सतर्क रहने का प्लान सोचा पर उसे सूझा कुछ नहीं । 


होली का त्यौहार भी आ गया था । शिव और सपना दोनों एक दूसरे को रंगने को आतुर हो रहे थे मगर अड़चन यह थी कि वे दोनों होली खेलें तो खेलें कैसे ? शिव ने कहा "इट्स वैरी सिम्पल । ब्रज की होली का कार्यक्रम घर पर रख लो , मैं कृष्ण और तुम राधा बन जाना । अपनी सखियों को बुलवा लेना । फिर जमकर होली खेलेंगे" । 

सपना ने कहा "आइडिया तो ठीक है पर मम्मी को पटाने की जिम्मेदारी आपकी होगी"। 

"सपना डार्लिंग, आपके लिए तो हम कुछ भी कर सकते हैं , जब बेटी को पटा लिया तो मां को भी पटा ही लेंगे, बस देखती जाओ" । शिव ने आंख मारते हुए कहा 

"बदमाश कहीं के ! पूरे शैतान हो" ! 

सपना का मन वहां से जाने का नहीं था मगर जाना तो था ही । इसलिए वह शिव के साथ नीचे आ गई । शिव गीता जी के पास चला गया । उसने बातों का ऐसा चक्कर चलाया कि गीता जी ने आगे से फागोत्सव मनाने की बात कह दी । शिव को मुंहमांगी मुराद मिल गई । शिव ने यह खुशखबरी सपना को दी तो वह खुशी के मारे शिव से बुरी तरह लिपट गई । सपना फागोत्सव की तैयारी करने लगी । 


रात को खाना खाकर शिव लेट गया था । उसे अंदेशा हो गया था कि आज की रात छाया कुछ न कुछ करने वाली है इसलिए वह सतर्क रहकर पड़ौस के मकान पर ध्यान रखने लगा । आधी रात के बाद उसने देखा कि छाया उसके कमरे की ओर ही आ रही है । वह चुपके से पिछले दरवाजे से बाहर निकल गया । 


छाया धीरे धीरे उसके कमरे में दाखिल हो गई । उसने अपना मोबाइल निकाला और उसकी टॉर्च से बिजली जलाई । शिव ने अपने कमरे में एक सीसीटीवी लगा लिया था और अपने मोबाइल में छाया की सारी गतिविधियां देख रहा था । छाया ने बिस्तरों की ओर देखा तो वहां पर शिव को सोते हुए पाया । उसने एक चादर ओढी हुई थी । योजना के मुताबिक छाया ने अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिये । जब वह केवल अंतर्वस्त्रों में रह गई तब उसने शिव के साथ फोटोग्राफ लेने के लिए चादर हटाई तो उसकी चीख निकल पड़ी । चादर के अंदर शिव नहीं था, केवल तकिया था । छाया शिव के जाल में फंस गई थी । वह उसी हालत में वहां से भागी मगर दरवाजे पर शिव खड़ा था । सारा वाकिया सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो चुका था । शिकारी खुद शिकार हो गया । 


सामने शिव को देखकर छाया हतप्रभ रह गई । उसका भंडाफोड़ हो चुका था । ऐसे में उसके पास एक ही विकल्प बचा था और वह था आंसू निकाल अभिनय का । उसने ब्रह्मास्त्र चल दिया । वह शिव के चरणों में गिर पड़ी और बार बार क्षमा मांगने लगी । शिव तो भोले भंडारी हैं , जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं । उसने छाया को उसके वस्त्र दे दिये और उन्हें पहनने को कहा । छाया ने लाइट बंद की और कपड़े पहनने लगी । कपड़े पहनने के बाद शिव ने उसे अपने सामने बैठाकर ये सब करने का कारण पूछा तो वह रोते रोते बोली 

"आप मुझे नहीं जानते पर मैं आपको बहुत सालों से जानती हूं । आपका एक नौकर था बिरजू । मैं बिरजू की बहन की लड़की हूं । एक बार जब मैं बिरजू मामाजी के घर गई तो मैंने आपको देखा । तब मैं जवान हो चुकी थी । आप कक्षा 11 में पढ़ रहे थे । आप तब जवानी की दहलीज पर पैर रख रहे थे । आप बहुत हैंडसम थे और अब तो और भी ज्यादा हैंडसम हो गये हो । मेरे मन में प्यार का अंकुर फूट गया था । मगर हम दोनों का संसार अलग अलग था । मेरी नजरों को बिरजू मामा ताड़ गये थे और उन्होंने मुझे उसी दिन अपने गांव भेज दिया और आनन फानन में मेरी शादी एक अनाथ युवक से कर दी । 


तीन चार दिन पहले जब मैंने आपको इस छत पर देखा तो मेरी दमित वासना फिर से जवान हो गई और मैं आपको पाना चाहती थी । इसी के लिए मैं आपको ब्लैकमेल कर अपनी दमित इच्छा की पूर्ति करना चाहती थी लेकिन आपने मेरी सारी योजना पर पानी फेर दिया । अब मैं आपकी शरण में हूं, आप जो उचित समझें, करें । चाहे तो पुलिस को दे दें या चाहे मुझे बदनाम कर दें । मुझे सब मंजूर है" । वह गिड़गिड़ाने लगी । 


शिव ने इस स्थिति की कल्पना नहीं की थी । उसने तो छाया भाभी को एक तेज तर्रार, षडयंत्रकारी, बुद्धिमान औरत समझा था मगर ये तो "प्यार की प्यासी नारी" निकली । मुकाबला बराबर वालों में ही अच्छा लगता है , कमजोर को अखाड़े में धूल चटाई तो क्या मजा ? शिव को छाया भाभी एक बेबस और लाचार औरत लगी इसलिए उसने उसके अपराध माफ कर दिये और उसे जाने दिया पर भविष्य में उसकी सहायता करने का वादा ले लिया । इस तरह छाया भाभी का पर्दाफाश हो चुका था । अब वह कल होने वाले फागोत्सव में सपना को रंगने की जुगत सोचने लगा । 


क्रमश:



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