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दोगलापन

दोगलापन

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विद्यालय से आते हुए गांव की चौपाल में लोगों की भीड़ इकट्ठी देखकर रमेश ने सहसा मोटरसाइकिल रोक कर एक सज्जन से पूछा -

" भाई साहब, क्या कार्यक्रम है, क्यो इकट्ठे हो रहे हैं यहाँ "

सज्जन बोले- "अभी-अभी यहाँ नशा मुक्ति केंद्र से टीम आने वाली है वो नशे की रोकथाम व नशे से होने वाली हानियों के बारे में ग्रामवासियों को जागृत करेंगे।"

रमेश ने भी सोचा, चलो सुन लेते हैं क्या बताते हैं डॉक्टर साहब।

इतने में नशा मुक्ति टीम आ गई।

एक अधेड़ उम्र के अधिकारी मंच पर आए और बोले- "सभी ग्रामवासियों को नशा मुक्ति केंद्र टीम की ओर से नमस्कार, देखिए समाज में नशा एक बहुत बड़ी बुराई है, नशा बहुत अधिक मात्रा में फैल चुका है जैसे शराब, तम्बाकू, गुटखा, अफीम, गांजा, चरस आदि। ये सब हमें एक दिन खत्म कर देंगे, तम्बाकू जहाँ कैंसर का कारण बनता है वही शराब, अफीम कई हानिकारक बीमारियों की जड़ हैं, सबसे ज्यादा आज का युवा नशे में फंसकर बर्बाद हो रहा है साथ ही साथ समाज को भी खोखला कर रहा है, इसलिए हमें इन सभी नशों से दूर रहना चाहिए।"

अधिकारी अपना भाषण समाप्त करके एक तरफ खड़े हो गए, अपना बायां हाथ पेंट की जेब में डाला, तम्बाकू की पुड़िया निकाली और हथेली में रगड़ते हुए तम्बाकू की चुटकी भरकर दबा लिया होठों में..रमेश खड़ा-खड़ा मन ही मन सोच रहा ये कैसा दोगलापन ...


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