धूल
धूल


यह बात हैं जब मेरा विद्यालय बदला। मैं कन्या विद्यालय में अयी। इस स्कूल में मुझे ख़ुद को जानने का मौका मिला। मुझ में क्या है और मै क्या करसकती हू यह पता चला। शुरुआत से ही मेरे दोस्त नहीं बने इसका मतलब यह नहीं कि कोई मुझसे बात नहीं करता था।
सब बात करते थे पर ऐसा कोई नहीं था जिसके साथ में एक सच्चे साथी जैसा महसूस करती। पता नहीं कैसे कैसे साल बीत गए ज़िन्दगी में बहुत लोग आए। मैंने हर पल को जीना भी अपने स्कूल से सीखा। मेरी ग्यारहवीं और बारहवीं क्लास में तो मुझसे पूरी क्लास ने बात ही नहीं की। है स्क्रिबल वाले दिन से कुछ दिन पहले मैंने सब की कही बातों को भूल कर अच्छी यादे ले जाने की बात रखी।
आसान नहीं होता पर इसका मतलब यह नहीं कि आप कोशिश ना करे। मैंने बहुत कुछ सिखा हर तरह के लोग आए ज़िन्दगी में कुछ लोगो ने मेरा विश्वास तोड़ दिया।
पर मुझे किसी से शिकायत नहीं है। ज़िन्दगी आगे बढ़ने का नाम है। हा बुरा तब लगा जिस इंसान पर मैंने बहुत भरोसा किया उसने भी मेरा विश्वास तोड़ दिया। मझे हमेशा लगता था कि सब लोग उसके बारे में गलत सोचते है वो बुरा नहीं है। सब मुझसे कहते थे कि उसकी ज़िन्दगी में मेरी कोई जगह नहीं है।
पर मैंने अपनी दिल की सुनी और उससे काफ़ी नजदीकियां बढ़ा ली पर फिर एक पल पता चलता है कि में उसकी ज़िन्दगी में कुछ नहीं उसने याह तक कहा कि में रुकी या नहीं रुकी उसको कोई फर्क नहीं पड़ता। हमारे बीच काफी लडाई हुई थी पहले भी पर पता नहीं था कि यह महज धोका था मेरी आखों का। सोचो कितना चुभता है जब आप किसी को बेहद दिल से चाहो और वो आपको यह सब दिखाए।
पर उसकी ज़िन्दगी है जबरदस्ती और मजबूरी में कोई रिश्ता नहीं टिकता। मैं बस ज़िन्दगी में ऐसे इंसान की तालाश करूंगी जिसकी रूह में कोई झूट ना हो। जिसके दिल में धूल ना हो। शिकायत कसी से नहीं हैं। ज़िन्दगी है बहुत सिखा गया हर पल।