STORYMIRROR

PANKAJ DUBEY

Drama

2  

PANKAJ DUBEY

Drama

धाक

धाक

2 mins
245

पुलिस में भर्ती होने के बाद मैं अपनी पत्नी के साथ बाजार घूमने के लिए निकला, बाजार घूमने के बाद हम दोनों बस का इंतज़ार करने लगे। कुछ ही देर में बस आ गई बस में ज्यादा भीड़ न थी। तभी मैंने देखा एक आदमी महिलाओं कि सीट पर बैठा है। मैंने उसे डाँटते हुए कहा - "अरे तुम्हें दिखाई नहीं देता यह महिलाओं कि सीट है।"

वो जल्दी उठ खड़ा हुआ और बोला - माफ़ करना सर। 

सब लोग मेरी तरफ आश्चर्य के साथ देखने लगे। पत्नी जी बड़े गर्व के साथ सीट पर बैठी.!

  बस अगले स्टॉप पर फिर से रुकी तभी उसमें कुछ बदमाश और आवारा किस्म के लड़के मुंह में पान और सिगरेट दबाये बस में दाखिल हुए और महिलाओं के सामने गन्दी और अभद्र भाषा में बात करने लगे। बहुत देर तक चुप रहने के बाद एक बूढ़ी महिला ने कहा -"अरे बेटा कम से कम औरतों का तो लिहाज करो।"

उन लड़कों में से एक लड़के ने कहा - अगर किसी को तकलीफ हो तो बस से उतर जाओ हमने किसी कि साड़ी का पल्लू तो नहीं पकड़ रखा।" महिला निरुत्तर हो गई। वो आदमी जिसे मैंने सीट से उठाया था अब मेरी तरफ देख रहा था।  मैं जानबूझ कर खिड़की के बाहर देखने लगा मेरी धाक उसी स्टॉप पर ख़त्म हो गई थी। 

                       


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama