Vikrant Narkhede

Inspirational

4.1  

Vikrant Narkhede

Inspirational

डायरी और मैं

डायरी और मैं

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"बिना इस 'डायरी' के कुछ

बचा नही मेरे है मेरे पास...

तेरी यादों का पता नही ,

कब तेरे शहर छोड़ आया..!"

डायरी... एक ऐसी दोस्त जो हम जी चुके है , उसे दोबारा झाँकने- देखने की अनुमति होती है..बीता हुआ ख़ुशी या ग़म का पल.. उसे याद रखने का ये मौका देती है..! मेरे "चाय" को अपने अंदर समाए , उन सभी लफ़्ज़ों को एक नौका देती है... आसान नही होता एक शायर , लेखक या कवि की मोहब्बत बनना.. जो ये बखुबी निभाती है..! सारा हमारा दुःख ,दर्द , वो ख़ुशी के पल सब अपने अंदर समां लेती है।

वैसे सच कहूँ तो बचपन से ही मेरा और डायरी का 36 का आंकड़ा, हस्ताक्षर इतना अच्छा न होने के कारण इसमें लिखना कम ही था.. पर जब दुःख बाटने के लिए कोई न था , ये होती थी मेरी सबसे अजीज़ दोस्त".. एनी फ्रैंक ने कहा है,,,कागज़ में इंसान से ज़्यादा सहनशक्ति होती है।." शायद ये बात सही लगने लगी और वो जो कभी 36 का आंकड़ा रखतीं थी.. जिंदगी भर की साथी बन गयी.. आज भी कलाम और अल्फाज़ो को अपना शस्त्र बनाकर हम इसपर वार किया करते है..! विथ लव..."मेरी डायरी" 

    


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