Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

तरुण आनंद

Drama Tragedy

3.9  

तरुण आनंद

Drama Tragedy

चुभन

चुभन

2 mins
141


पुरानी साड़ियों के बदले बर्तनों के लिए मोल भाव करती सम्पन्न घर की महिला ने अंततः दो साड़ियों के बदले एक टब पसंद किया। "नही दीदी, बदले में तीन साड़ियों से कम तो नही लूँगा।" बर्तन वाले ने टब को वापस अपने हाथ में लेते हुए कहा। "अरे भैया, एक एक बार की पहनी हुई तो हैं बिल्कुल नयी जैसी। एक टब के बदले में तो ये दो भी ज्यादा हैं, मैं तो फिर भी दे रही हूँ। "नही नही, तीन से कम में तो नही हो पायेगा " वह फिर बोला।

एक दूसरे को अपनी पसंद के सौदे पर मनाने की इस प्रक्रिया के दौरान गृह स्वामिनी को घर के खुले दरवाजे पर देखकर सहसा गली से गुजरती एक अर्द्धविक्षिप्त महिला ने वहाँ आकर खाना माँगा। आदतन हिकारत से उठी महिला की नजरें उस महिला के कपड़ो पर गयी। अलग अलग कतरनों को गाँठ बाँध कर बनायी गयी उसकी साड़ी उसके युवा शरीर को ढँकने का असफल प्रयास कर रही थी। एकबारगी उसने मुँह बिचकाया पर सुबह सुबह का याचक है सोचकर अंदर से रात की बची रोटियां मंगवायी।

उसे रोटी देकर पलटते हुए उसने बर्तन वाले से कहा "तो भैय्या क्या सोचा ? दो साड़ियों में दे रहे हो या मैं वापस रख लूँ !" बर्तन वाले ने उसे इस बार चुपचाप टब पकड़ाया और अपना गठ्ठर बाँध कर बाहर निकला। अपनी जीत पर मुस्कुराती हुई महिला दरवाजा बंद करने को उठी तो सामने नजर गयी। गली के मुहाने पर बर्तन वाला अपना गठ्ठर खोलकर उसकी दी हुई साड़ियों में से एक साड़ी उस अर्धविक्षिप्त महिला को दे रहा था। हाथ में पकड़ा हुआ टब अब उसे अब चुभता हुआ सा महसूस हो रहा था !


Rate this content
Log in

More hindi story from तरुण आनंद

Similar hindi story from Drama