चेतावनी
चेतावनी
"सुनो! घर के पिछवाड़े में लगा आम का पेड़ बहुत परेशान करता है। उफ़! दोपहर को आम तोड़ते बच्चों का शोर...और सारा दिन सूखे पत्तों का ढेर..पक्षियों की बीट...बस इसका कोई समाधान ढूंढो..इतना बूढ़ा हो चुका है..इसे कटवाकर परे करो।" माया की रोज रोज की झिकझिक से तंग आकर मनोज ने आज पेड़ कटवाने का फैसला कर लिया।
उधर..पिछले कमरे में लेटे बाबू जी यह सुनकर विचलित हो गये। उन्हें आने वाले दिनों में अपना हश्र भी बूढ़े पेड़ की तरह दिखाई दे रहा था। घबराकर बाबूजी ने चुपचाप हरिद्वार वृद्धाश्रम में रह रहे अपने मित्र को अपने आने को फोन लगा दिया....उधर पेड़ पर कुल्हाड़ी चल रही थी और इधर बाबूजी तीव्रता से अपना थैला बिस्तरा समेट रहे थे।
