चेहरा
चेहरा


मैं 18 वर्ष की हो गई थी और कॉलेज जाना शुरू किया था।
मेरे पिताजी मुझे रोज़ कहते थे " तुम किसी से भी शादी करो मगर शादी तो करो "। मैं रोज़ अपना सिर हीलाके "जी " कहती थी।
ये सब चल ही रहा था कि एक दिन यश शर्मा कॉलेज में दाखिल हुआ। वह देर से दाखिल हुआ था क्योंकि उसके माता पिता गुजर गए थे और उसका इस दुनिया में कोई नहीं था। वह बहार में काम करता था और पढ़ाई भी करता था। मुझे वह बहुत पसंद आया और एक आम लड़की की तरह उसको मैंने मेरे लिए प्यार जगाया।
अब हम दोनो एक दूसरे से प्यार करने लगे थे।
हमारे कॉलेज में एक और लड़का था ' रवी '। उसे मैं पसंद थी पर मुझे वो पसंद नहीं था। मुझे उसका चहरा पसंद नहीं था। रवी, यश का बहुत ही नजदीकी दोस्त था। रवी और यश की आवाज भी एक जैसी थी
यहाँ कॉलेज कत्म हुआ और मेरी और यश की शादी तय हुई।
हम दोनों की शादी बहुत धूम -धाम से हुई।
1 साल बाद
मैं और यश एक दूसरे के साथ खुश थे। सब ठीक था।
यश मुझे छुट्टियों में घुमाने ले जाता था। यश अच्छा पैसा कमा लेता था। उसका खुद का रेस्टोरेंट था।
एक दिन यश घर से निकला और घर नहीं लौटा। मैंने पोलीस कंप्लेंन की मगर यश नहीं मिला।
1 महीने बाद अचानक से
दरवाजे़ पर दस्तक हुई। मैंने दरवाजा खोला और वो वही चहरा था यश का। मैं देखते ही खुश हो गई। यश से पूछने से पहले ही उसने कहा की उसका मोटर दुर्घटना हो गया था और फोन भी टूट गया था और उसे मेरा फोन नंबर याद नहीं था इसलिए वह मुझसे बात नहीं कर पाया। मैंने उसे माफ कर दिया और बहुत खुश हो गई।
50 वर्ष बाद ,
मैं अपनी आखरी सास ले रही थी और मेरे साथ हॉस्पिटल में यश था। उसने मुझे जीवन भर बहुत प्यार दिया और मैंने उसे उसका शुक्रियादा किया।
उसने कहा की ' मैं यश नहीं हूँ , मैं रवी हूँ '। मैं अचम्बीत हो गई और मैंने उसे बोला ' क्या' ..
रवी ने बताया की यश की मौत 50 साल पहले ही हो गई थी। उसने कहा " यश को केंसर था और उसका औप्रेषन फेल हो गया। यह बात वो तुम्हें नहीं बताना चाहता था क्योंकि वो तुम्हेंखुशियों से भरा जिंदगी देना चाहता था।
औप्रेषण से पहले यश ने मुझे कहा की ' अगर मैं नहीं रहा तो तुम मेरी बीवी का ख्याल रखना '। इसलीए मैंने प्लास्टिक सर्जरी करवाया और मैंने तुम्हेंबेइन्तेह मोहब्बत दी। अगर कोई गलती हुई हो तो माफ़ कर देना "।
रवी की बात कत्म होते ही मेरी सास रुख गई। मरने के बाद भी मेरा जिस्म सोचता है कि मुझे यश से प्यार था या उसके चेहरे से ?