बर्ट्रेंड रसल और सिजर
बर्ट्रेंड रसल और सिजर
एक दिन सुबह मैं अपने द्वार के बाहर बैठा हुआ था और एक आदमी आया और उसने कहाः महाशय ! आप बड़ी कठिन किताबें लिखते हैं, खैर आपकी ज्यादा किताबें तो मैंने पढ़ी नहीं, लेकिन एक किताब मैंने पढ़ी जिसमें मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया। एक वाक्य भर मेरी समझ में आया और वह वाक्य एकदम गलत है। जो समझ में आया है वह एकदम गलत है, झूठ है वह वाक्य। बर्ट्रेंड रसल ने कहा कि कौन सा वह वाक्य है जो आपकी समझ में आया? और क्या भूल है उसमें? उस आदमी ने कहाः आपने लिखा हैः सिजर इ.ज डेड। सिजर मर चुका है। यही मेरी समझ में आया और यह बिल्कुल झूठ है, यह बात अफवाह है।
बर्ट्रेंड रसल तो हैरान हो गया ! सिजर को मरे तो सैकड़ों वर्ष हो चुके। उन्होंने पूछा कि आपके पास क्या प्रमाण है कि यह बात गलत है ? तो उस आदमी ने कहाः मैं खुद सिजर हूं। बर्ट्रेंड रसल ने उस आदमी से और बातचीत करनी उचित न समझी, उसे नमस्कार किया और कहाः माफ करिए, नये संस्करण में मैं सुधार कर लूंगा। वह आदमी प्रसन्न होकर चला गया। पीछे पता चला कि वह एक नाटक में सिजर का काम किया था। और तब से दिमाग उसका खराब हो गया। वह अपने को सिजर ही समझने लगा। और ठीक ही वह बर्ट्रेंड रसल को सुझाव देने आया था कि अपनी भूल सुधार लो। सिजर अभी जिंदा है।