बरसात की रात जो आज भी याद आती है भाग-1
बरसात की रात जो आज भी याद आती है भाग-1
बरसात की वो रात जो आज भी याद आती हैं तो दिल के किसी कोने में टिस उठती हैं।किस हाल में पहुँचा दिया था मैंने उसे शायद सारी गलती मेरी नही थी फिर भी अगर मैने एक मजबूत कदम उठाया होता तो आज वो इतनी दूर न होती। काश।
ट्रेन के इन्तेज़ार में मैं स्टेशन पर बैठा था।उर अपनी ट्रेन के आने की राह देख रहा था।अचानक लगा कि पास में बैठी lady कुछ कहना चाह रही हैं उसका चेहरा दिख नही रहरहा था तो मुझे कुछ समझ मे भी नहीं आ रहा था ।एका एक वो मेरी तरफ मूडी ओर पानी की ओर इशारा किया इससे पहले की मै बोटल से उसे पानी देता मै एकदम से जम गया। खुशी।तुम।
मुझे तब तक उसे पानी देने का खयाल ही नहीं आया उर वो वही बेहोश हो कर सीट पर गिर गई। मैंने हड़बड़ा कर उसे चिल्ला ते हुए उठाने की कोशिश की तभी उसके हाथों को मेरा लगा उर मुझे समझ आया इसे तो बहुत तेज fever है ।अब क्या करूँ दिमाग ने तो एक साथ इतने surprize या शॉक देखकर काम करना बंद करदिया था। लोगो की आवाज़ से मेरी तन्द्रा टूटी मैंने लोगो से कहा मैं इसे जनता हु आप चिन्ता न करे।
तुरंत मैने हॉस्पिटल शिवम में फोन कर इमरजेंसी के लिए बोल कर अपने दोस्त रोशन को फोन किया जो थोड़ी देर पहले मुझे यहां ड्राप करके गया था।
मैं यानी कि वंश प्रताप चौहान।
वंश- रोशन जल्दी से गाड़ी लेकर वापस आजा।
रोशन- क्या हुआ जाने का इरादा बदल दिया फिर से।
रोशन की बाते अभी वंश को irritate कर रही थी उसने कहा जैसकहा वही करो जल्दी आओ स्टेशन।
रोशन- पता नही इसे क्या हुआ अचानक वापस क्यों बुला लिया सोचते हुए स्टेशन पहुँचा। ढूढ़ते हुआ वंश के पास पहुंचा वहां उसकी गोद मे लडक़ी कोदेख कर कुछ पूछताछ करता उसके पहले ही ।
वंश- जल्दी कर इसे हॉस्पिटल ले चलना है।
रोशन- पर ये है कौन ओर हमलोग क्यों इसे हॉस्पिटल
वंश- please रोशन बाकी बातें गाड़ी में करते हैं जल्दी कर।
वंश और रोशन दोनो उस लड़की को लेकर हॉस्पिटल पहुचे रास्ते भर वंश खुशी खुशी बोल कर उसे होश में लाने का प्रयास करता रहा पर रोशन की किसी बात का जवाब नहीं दिया।
हॉस्पिटल में पहले से ही स्ट्रेचर लेकर वार्डबॉय ओ र इमरजेंसी भी रेडी थी आखिर हॉस्पिटल के बेस्ट surgeon मेसे एक जो थे Dr.vansh जल्दी से खुशी को एडमिट किया गया।जिसे खुद वंश ने ही ट्रीट किया सारी रात dr की निगरानी में fever कम हो गया था पर बॉडी में कमज़ोरी बहुत हैं इसलिए अभी होश नही आया था। सिस्टर को उसका खयाल रखने को बोल कर वंश अपने केबिन में आ गया ।जहाँ सोफे पर ही रोशन सो गया था।
उसे सोया देखकर वंश ने राहत की सांस ली।नहीं तो अभी तक सवालों की बरसात हो चुकी होती।
वंश भी थोडी देर आंख बंद कर आराम करना चाहा पर चाहने से सब कुछ मिलता तो शायद इस दुनिया मे कोई परेशानी ही नहीं होती।
वंश ने आंखों को आराम देने की कोशिश की पर ऐसा लग रहा था कि जलन से उसकी आंखें बाहर आ जाएंगी। उसका खुद पर कोई कंट्रोल ही नहीं रह गया था उसे समझ नहीं आ रहा था कि खुशी इस हालत में वो भी इस शहर में क्या कर रही थी वो अकेली क्यों। इतने सारे सवालों के जवाब उसे जानने थे जिसके जवाब बस खुशी के पास थे।
सवाल सबके है बहुत से है। खुशी कौन, रौशन के सवाल, वंश के सवाल और आपके सबके जवाब अगले भाग में
चरणं शरणं गच्छामी

