बरगद के नीचे
बरगद के नीचे
चारों भाई अपने पापा के साथ एक ही घर में रहते थे, सबको एक दूसरे की चिंता रहती थी, बड़े बेटे की शादी के बाद धीरे धीरे सब बदल गया, कोई किसी से सीधे मुंह बात नहीं करता था, उसके पापा यही सोचते थे कि बहु के आने से सब बदल गया है मेरा बेटा मेरा नहीं रहा, बड़ा बेटा यही सोचता क्या करूं की पापा को यकीन हो जाये। कि फिर एक दिन उनकी बहु "पापा आप मुझसे प्यार से बात क्यों नहीं करते मेरी क्या ग़लती है अगर कोई भूल हुई तो बताइए। अगर मैं आप लोगों को इतनी बुरी लगती हूं तो मैं घर छोड़कर जा रही हूं।"
बहु घर छोड़कर चली जाती है अपने मायके। उसके ना रहने से उसकी कमी खलने लगती है। बगल की सरला आई और बोली "ऐसी बहु सबको मिले आप के लम्बी उम्र के लिए दुआ मांगी, और हर दिन यही कहती मुझे घर वाले कब अपनाएंगे", ये सब सुन कर सबको दुःख हुआ, सभी लोग उसके घर पहुंचे "बहु मुझे माफ़ कर दो मैं नहीं समझ पाया तुम को हमारा घर एक बरगद का पेड़ है हम लोग उसके नीचे रहते हैं, क्या तुम हमारे साथ चलोगी",बहु हँसते हुए सर हिलाया। अपने घर के तरफ निकल पड़ी।
