बंटी बबली के पापा
बंटी बबली के पापा
' बंटी ,बबली के पापा ' कहानी 1
राधा ने अंतर द्वंद्व की अभिलाषा बबली के सामने प्रकट की बबली अगले माह करवा चौथ है,पापा को याद भी है या नहीं पता नही? फोन लगता नही,मुझे खत तो लिखते आता नही ।
फिक्र मत कर माँ,मैं हूँ ना? छः साल की बबली ने राधा को हिम्मत दी।
बंटी बबली के पापा ,
सादर चरण स्पर्श
ईश्वर की अनुकम्पा से आप स-कुशल ओर स्वस्थ होंगे हमें विश्वास है। माना के आपकी दिनचर्या बहुत जोखिम भरी व्यस्त होती है। सरहद पर न जाने आप कितनी बार जान जोखम में डालते होंगे? सही मायने में आप ही खतरों के खिलाड़ी है। कितनी अजीब बात है न?घर की याद आती भी होंगी पर आप चौबीस घण्टे के वादों से बंधे है।
आप जैसे जांबाज सरहद पर डंटे रहते है,
जब तो हम यहां चैन कि साँसे लिया करते है।
बंटी बबली के पापा आप पर हमें नाज है।
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बच्चे भी गर्व से कहते है ,के हमारे पापा फौजी है।
अगले माह की पंद्रह तारीख को करवां चौथ है, आपकी लाजवंती हर साल की तरह इस वर्ष भी
निर्जला उपवास रखेगी ,आपकी लंबी उम्र के लिए ।और सज धज कर आपका इंतजार करेगी। चूंकि आपके हाथों से ही मैं उपवास छोड़ती हूँ। याद है ना?
और फिर चार दिन बाद दीपावली भी आ रही है। फिर बंटी का बर्थ डे भी है। वह दिन जब याद आता है तो सिहर जाती हूँ ।
चार वर्ष पहले दीपावली के पुजन के तुरंत बाद आपने
मुझें दवाखाने में भर्ती करवाया था ,मेरे कहराने,रोने से आप,कितना घबरा गए थे।
आपने भी मेरी सलामती के लिए अन्न जल त्याग दिया था। पहली बार एक फ़ौजी को इतना परेशान होते मैने देखा था। पर मैं लाचार थी ।
खुद बे हाल थी,और मैं कर भी क्या सकती थी ?
आखिर भगवान ने हमारी लाज रख ली,आपके उपवास का ही फल था? जच्चा खाने से मुझे बाहर लाया नर्स ने कहां बेटा हुआ है तो आपने पूरे
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अस्पताल में मिठाइयाँ बाँटी थी, याद है ना ?
अबकी आप आओ तो लम्बी छुट्टी लेकर आना ।
कुछ अपनी सुनाओ,कुछ हमारी सुनो,हम सभी बे सब्री से इंतजार कर रहे है।
बंटी और बबली ने खूब लंम्बी सूची बनाकर रखी है। उन्हें क्या क्या लेना है आपके साथ-- बाजार जाकर ।
आपकी लाजवंती
' राधा '
अरे भैया सुनो सुनो
" चिठ्ठी आई है,के घर कब आओगे?
संदेसे आते है,के घर कब आओगे?
के तुम बिन ये घर सुना सुना है । "
मैं तो पंद्रह दिन की छुट्टी डाल रहा हूँ , देखो देखो मेरी लाजवंती का खत आया है। अगले माह करवां चौथ,
फिर दीपावली है,फिर मेरे बंटी का बर्थ डे है? चारसाल का हो जाएगा मेरा बंटी ?
साथियों कितनी उम्मीदें लगाते है ये घरवाले?पर
दुनिया को क्या मालूम हम रोज मरते है,और रोज
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जिंदा होते है? कुछ समय तो उनकी खुशी में रहना होगा ? फिर पता नही आगे क्या होगा?
बात तो तुम्हारी सही है,इन महिलाओं के व्रत और उपवास के कारण ही तो यमदूत हमारे रास्ते भी नही आते है। कितनी ताकद है दुआओ में, सामने मौत दिखती है और अनायास गायब भी हो जाती है।
वाकई में ऊपर वाले की कृपा है।
अब नाचते ही रहोगे के चिट्ठी का जवाब भी लिखोगे ?
हा यार मैं तो खुशी के मारे भूल ही गया ।
मेरी प्रिय लाजवंती
तुम्हें समुद्र की गहराई ,आकाश इतना विशाल ,सूर्य की सप्त रश्मि के समान ,इंद्र धनुष के चमकते सात रंगों इतना ,ढेर सारा प्यार,बंटी बबली को शुभाशीष
मैं आ रहा हूँ लाजवंती, मैं आ रहा हूँ। मेरे चाँद को सीने
से लगाऊंगा ,उसके माथे को चुमूँगा,उसकी जुल्फों से खेलूंगा । मैं आऊंगा, मैं आ रहा हूँ, मैं पक्का आऊंगा ।
तुम तो जानती हो लाजवंती फ़ौज की नौकरी में जैसा सोचते है वैसा होना मुश्किल होता है।
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हलांकी ,अभी अभी युद्ध समाप्त हुआ है,फ़िलहाल
शांति है,दुश्मन भी अपनी अपनी सरहदों में जा चूंके है। पंद्रह दिन के छुट्टी की अर्जी आज ही लगाता हूँ।
मुझे भी वो सिर पर से पल्लू ओढ़े ,पाँव में -----
पैंजनियां पहनी,कोहनी तक मेहंदी रची हुई,गुलाबी गुलाबी होंठों वाली ,अपनी मदहोशी नजरो से घायल करने वाली की कातिल नजरों में समा जाने को मैं
आतुर हूँ। छुट्टी मंजूर होगी तो मैं पक्का आऊंगा ।
पर यदा कदा छुट्टी ना मिले तो अभी आना असंभव होगा ।पर तुम चिंता मत करना, कुछ ऐसा वैसा दिल में नहीं लाना। तुम्हारी दुआओं से ही हर रोज नई जिंदगी का बोनस मुझे मिलता है।
भूखे पेट ज्यादा नहीं रहना ,चँद्रमा को भोग लगाकर
उपवास छोड़ देना । मानो मुझे मिलगया और मैने ही तुम्हारा उपवास छुड़वा दिया ।
इतना विश्वास जरूर रखना,बच्चों का ख्याल रखना
उनकी मर्जी से शॉपिंग भी करवा देना,ता कि त्यौहार
की खुशी बरकरार रहे।मेरे वहाँ पहुँचने पर ढेर सारी बातें करेंगे । तुम्हें प्यार, बंटी बबली को आशेष,करवा
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चौथ की दीपावली की असीम शुभकामनाए ।
और हाँ वह मावे की गुजिया जरूर बनाना, तुम्हें तो
मालूम है तुम्हारे हाथों की गुजियाँ मुझें बहुत पसंद है।
मुहल्ले में सभी को प्रणाम कहना ।
