STORYMIRROR

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Inspirational

4  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Inspirational

बंद दरवाजे

बंद दरवाजे

5 mins
266

दिलों की तरह होते हैं दरवाजे। कुछ खुले तो कुछ बंद। जैसे साफ दिल और घाघ दिल। वैसे ही खुले दरवाजे और बंद दरवाजे। जो लोग स्पष्टवादी , निर्मल हृदय और सरल होते हैं वे खुले दरवाजे की तरह होते हैं। सबको सब कुछ दिखाई दे जाता है। पारदर्शी व्यवहार होता है ऐसे लोगों का। मगर जिनके दिलों में कुछ और तथा होंठों पर कुछ और होता है वे बंद दरवाजे की तरह होते हैं। उनके मन की थाह पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे लोग बड़े शातिर, चालाक, धूर्त और मक्कार होते हैं। उनके दिल में क्या है इसका कोई भी चिन्ह उनके मुख या अन्य अंगों से प्रकट नहीं होता है। बंद दरवाजों के पीछे क्या कुछ होता है , किसे पता ? हालांकि लोग बंद दरवाजों के पीछे से आने वाली फुसफुसाहटों की टोह लेने की कोशिश जरूर करते हैं। बंद दरवाजों के पीछे कौन सी खिचड़ी पक रही है, इसको सूंघने की कोशिश भी करते हैं। मगर ये उनकी कलाकारी, ध्राण शक्ति और बंद दरवाजों की दरारों में से झांकने की प्रतिभा पर निर्भर करता है कि वे इसमें कितने सफल होते हैं और कितने नहीं।


लोग भी बड़े कमाल के होते हैं। दूसरे के घरों में ताक झांक करने की आदत बहुत ज्यादा है यहां पर। अपने घर पर उतना ध्यान नहीं रखते हैं जितना पड़ोसी के घर पर रखते हैं। बंद दरवाजों के पीछे से आने वाली आवाजों को कान लगाकर सुनते हैं। बंद दरवाजों में से आने वाली गंध को सूंघ कर अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं कि आखिर पक क्या रहा है ? बंद दरवाजों की "झिरी" में से ताका झांकी करते हैं। और तो और कुछ "जानजुगारे" और "सयाने" लोग तो ऐसे होते हैं कि दरवाजे की स्थिति से ही घटनाओं को भांप लेते हैं। कुछ कुछ वैसे ही जैसे कुछ लोग बंद लिफाफों से भी खत का मजमून पढ़ लेते हैं।


बड़े लोगों के दरवाजे अक्सर बंद ही रहते हैं। छोटे लोगों को दरवाजे बंद रखने की जरूरत ही नहीं होती है। छोटे लोगों को छिनने का भय नहीं सताता है। उनके पास छुपाने के लिए होता ही क्या है ? लेकिन बड़े लोगों को सब कुछ छुपाकर रखना पड़ता है। धन दौलत , मान मर्यादा , बहू बेटियां सब कुछ। चोर उचक्कों का क्या भरोसा ? कब घुस जाएं और लूट कर ले जाएं ? इसलिए धन दौलत और इज्जत को सात तालों में बंद रखना पड़ता है। लेकिन कुछ कलाकार ऐसे भी होते हैं जो आंखों से सुरमा उड़ाकर ले जाते हैं और कानोंकान खबर भी नहीं होती है।


नारी को घूंघट में क्यों रहना पड़ा ? इसीलिए कि कहीं किसी दुष्ट व्यक्ति की नजर ना पड़ जाए और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता खतरे में ना पड़ जाए। इसीलिए नारी को चारदीवारी में कैद हो जाना पड़ा। घूंघट में छुप जाना पड़ा। लेकिन सौंदर्य और खुशबू छिपाए कब छिपता है ? सौंदर्य का प्रकाश सूरज की भांति फैलता है और खुशबू हवाओं पर सवार होकर सब जगह फैल जाती है। दरवाजे चाहे कितने ही मजबूत क्यों न हों, चाहे हरदम बंद क्यों न रहें ? मगर हुस्न की चांदनी को बाहर छिटकने से रोकने में नाकामयाब ही रहते हैं ये बंद दरवाजे। सौंदर्य की खुशबू तो बंद दरवाजों के छिद्रों से भी निकल कर बाहर फैल ही जाती है।


हमारे पड़ोस में एक सज्जन गूढमल जी रहते हैं। सब काम नाप जोख कर करते हैं। बात भी उतनी ही करते हैं जितनी जरूरत हो। हंसते भी उतना ही हैं जितना कि सामने वाले को अहसास हो जाए कि वे हंस रहे हैं। उनकी पत्नी भी ऐसी ही है। सब लोग उनको घाघ ताई कहते हैं। उनका मुंह हमेशा घूंघट में रहता है मगर आंखें बड़े बड़े गुल खिलाती हैं। घूंघट में से झांकती आंखें बहुत कुछ कह जाती हैं जो घूंघट छिपाना चाहता है। उनके बंद दरवाजों से टोह लेते हैं लोग। उनके बंद दरवाजों की कीलों पर न जाने कितने लोगों के दिल टंगे हुए पड़े हैं। यह बात ताई भी जानती है और दिलों को सूली पर लटके देखकर खुश भी होती रहती है।


जहां पर भी थोड़ा सा रहस्य नजर आता है वहीं पर लोगों के कान खड़े हो जाते हैं। तरह तरह की कहानियां प्रचलित हो जाती हैं बंद दरवाजों की। उन घरों में अंदर तक जाने वाले लोग यथा नाई, धोबी, इलेक्ट्रिशियन , प्लंबर, दाई, बाई सबकी बड़ी इज्जत होती है बाजार में। लोग उनके माध्यम से बंद दरवाजों के पीछे पकने वाली खिचड़ी को सूंघने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों पर और ज्यादा नजर रखी जाती है। सुना है कि गूढमल जी के संबंध कामदेव के अवतार "तिवारी" जी की तरह कइयों के साथ हैं तो घाघ ताई भी कुछ कम नहीं हैं। और वैसे भी आजकल तो महिलाएं पुरुषों से हर मामलों में आगे ही हैं। अगर पुरुष एक गुल खिलाते हैं तो महिलाएं दस खिलाने की क्षमता रखती हैं। 


कोई जमाने में शादी और दूसरे शुभ अवसरों पर "गारी" गाने का रिवाज था। बारातियों को भांति-भांति की "गारी" गाई जाती थी। मसलन


या मूंछ वारो पूछै ओ मेरी अम्मा 


कै बापन को जायो , रंग बरसेगो


तो उसकी अम्मा यानी मां क्या जवाब देती है ?


" दो अगल खड़े दो बगल खड़े 


दो चाकी पर दंडोत करें 


दो चूल्हा ऊपर डांस करें 


दो और करूंगी मेरे बेटा , रंग बरसेगो "।


इसलिए बंद दरवाजों में यह सब हो सकता है। होता है या नहीं, पता नहीं। मगर होने की संभावनाएं अनंत हैं। अतः अपने अपने दरवाजों का खयाल अवश्य रखियेगा।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy