बन ठन के रहने वाली औरत
बन ठन के रहने वाली औरत
बन ठन के रहने वाली औरत है वो
आदमी की इन्द्रियों में रस घोलने
वाली औरत है वो
अपने शरीर को ही अपना हथियार
मानने वाली औरत है वो
पर एक न एक दिन तो उस औरत के
खूबसूरत चेहरे पर बुढ़ापे की
झुर्रियाँ आएगी और उसकी जवानी
ढल ही जाएगी और शायद तब
वो अपने चाहने वालों से उपेक्षा की
शिकार होगी और यह उपेक्षा उसके
अंतर्मन पर गहरी चोट करेगी और शायद
तब ही वो सुनेगी अपनी चेतना की पुकार
जिसे मुक्ति की आकांक्षा है।
