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Dr. Poonam Gujrani

Drama

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Dr. Poonam Gujrani

Drama

बिन बाजा बारात

बिन बाजा बारात

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विवेकानंद गार्डन के ये कौना सुबह-सुबह बुजुर्गों के हास्य व्यायाम से गुलजार होता है ।लगभग बीस-पच्चीस बुजुर्गों की टोली एक दूसरे की टांग खींचते हुए कभी मतलब से तो कभी बेमतलब से हँस-हँसकर लौट- पौट होते रहते हैं ।

" अबे ये बनवारी आया नहीं अब तक , कहाँ मर गया साला...." मुकुट बाबू ने ठहाका लगाते हुए पूछा ।

" अरे मरेगा कैसे , अभी तो कांधा देने वालों का इंतजाम भी नहीं हुआ " बिहारी नाचकर गोल घूमते हुए बोला।

" ए ...लो...आ गया साला...." गणपत बाबू ने जोर ताली बजाते हुए कहा।

" लो मिठाई खाओ यारों, आज तो शुगर , केलस्ट्रोल , हाई बीपी वाले सहित सब खाओ ", कहते हुए बनवारीलाल ने मिठाई की डिब्बा आगे बढ़ा दिया ।

"किस खुशी में दावत दे रहा है कंजूस ", दो तोन साथियों का समवेत स्वर गूँजा।

"अब मैं दादाससूर बन गया , पोते रवि की शादी करदी ।

" कब... ,कहाँ... , किससे....ऐसे अचानक..... उङ़ा ले आया होगा लौडा किसी को.....आखिर जाएगा तो अपने यार पर ही ....एकदम इश्किया स्टाइल ... " सब अपनी- अपनी राग अलाप रहे थे।

" अरे यारों कभी तो अपनी हुङ़दंगबाजी से बाज आया करो ।हुआ यूं कि कल पोते के लिए लङ़की देखने गये थे ।लङ़की सबको पसंद आ गई। बस फिर क्या था हमने लङ़की वालों से पूछा उन्होंने कहा हमें लङ़का पसंद है।बच्चों को थोड़ा समय दिया और दोनों की सहमति ले ली। 

सबसे सलाह , मशविरा किया और दो वरमाला मंगवाकर वहीं मंदिर में जाकर शादी कर दी '। 

" न बाजा, न बारात..., कंजूस.... डूब मरो बनवारीलाल जाकर ...धज्जियाँ उङ़ा दी सारे रीति - रिवाजो की " वर्मा ने बुरा सा मूँह बनाया।

" अरे वर्मा जी मैंनें चार बेटियों की शादी की है ।एक पिता की पीङ़ा से भली- भांति परिचित हूँ । किसी बेटी के पिता को मैं दहेज , रीति-रिवाज की कशमकश में फसा हुआ नहीं देखना चहाता था। इसलिए ये कदम उठाया " बनवारीलाल ने सपाट स्वर में कहा।

" अरे जीओ मेरे यार , तुमने तो समाज में उदाहरण पेश कर दिया ।दिखावे की दुनिया में तम तो खरा सोना निकले....सुबह- सुबह बहुत बढ़िया खुशखबरी दी ....।अब बताओ घर पर बुलाकर चाय कब पिला रहे हो " गणपत भाई ने आगे बढ़कर बधाई देते हुए पूछा।

" अरे सब्र करो, चाय क्यों पार्टी दूँगा सबको...।कंजूस हूँ पर इतना भी नहीं ....।बेटी के पिता पर बोझ नहीं डाला पर अपनी पॉकेट जरूर ढ़ीली करूँगा " बनवारी लाल ने कहा तो सारे दोस्तों ने बनवारीलाल जिन्दाबाद का नारा लगाया ।

आज सचमुच सभी को अपने इस दोस्त पर गर्व हो रहा था।


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