बेटी का स्वागत
बेटी का स्वागत
"बधाई हो! बधाई हो! लक्ष्मी! आई है।" सिस्टर चिल्लाते हुए- "ऑपरेशन रूम से बाहर आई ।सुनते ही लो! फिर बिटिया पैदा हो गई नेहा के पति ने अपनी मां से कहा-"नेहा की सास ने कहा -बेटा! तुम! परेशान मत हो!ये बेटियां पढ़ लिखकर तेरा नाम रोशन करेंगी। सिर्फ !तुम! इन्हें शिक्षित करना और अच्छी परवरिश देना। फिर तू ही मुझसे एक दिन कहेगा मां! बेटियां पराई क्यों होती हैं ?, तू इनको अपने आप से कभी दूर नहीं कर पाएगा।
ये बेटियां दो परिवारों को जोड़ती हैं इन्हीं से संस्कृति , रीति- रिवाज, तीज- त्यौहार का चलन है। पीहर से ससुराल तक सिर्फ सहजने का कार्य करती हैं इन्हीं से सारे रिश्ते व नाते बनते हैं।सारांश मां की बातों को सुनकर कहां पड़ा ,मां--बेरोजगारी
से ज्यादा मुझे बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंता हो रही है, किसी तरह से भी मेहनत करके मैं इनकी परवरिश तो कर ही लूंगा कभी इनको किसी भी प्रकार की कमी महसूस नहीं होगी लेकिन, मां- मै समाज से इनको कैसे सुरक्षित कर पाऊंगा? यह सोच कर मेरा मन डर जाता है।
सारांश की मां बड़े प्यार से समझाती हैं, बेटा! तुम्हारी भी तीन बहने हैं ।मैंने उनको समाज से लड़ना सिखाया, अच्छाई और बुराई में उन्हें फर्क बतलाया, सिर ऊंचा करके तुम्हारी बहनों को चलना सिखाया ।देखो! तुम्हारी तीनों बहनों में से एक असिस्टेंट प्रोफेसर, एक प्राइमरी में टीचर, और एक घर का कुशल पूर्वक नेतृत्व कर रही है जो सबकी लाडली है।
सारांश कहता है__"मां मुझे माफ कर दो! और मेरे मन की यह बात अपने तक ही सीमित रखना, नहीं तो नेहा! मुझ पर बहुत नाराज होगी। वह भी एक मां है और एक बेटी भी! साथ ही आपकी अच्छी बहू भी है। मां आपने मेरी आंखें खोल दीं।, मैं अपनी बेटियों को प्यार दुलार के साथ-साथ उनको शिक्षित करूंगा। अच्छा! मां_मैं मिठाई लेने जा रहा हूं आप सोहर गवाएं सबसे।"
सारांश का मन मां से बात कह कर हल्का- सा हो गया।वह खुशी - खुशी बेटियों की भविष्य की कल्पना करते हुए और अपनी बेटी का स्वागत कैसे करें? बाजार की ओर चल पड़ा। एक पिता का निश्छल प्रेम की अविरल धारा उसकी आंखों में खुशी के मारे बह रही थीं।
वह उतावला हो रहा था अपनी बेटी को सीने से लगाने के लिए! तेजी गति से बड़ी बिटिया को गोद में लिए चलता चला जा रहा था और उससे कह रहा था_ छोटी -सी प्यारी- सी बहन आई है, तुम दोनों मिलकर खूब! खेलना!।वह अपने आप से कह उठता है "मेरी दोनों बेटियों का स्वागत है!"
