बेजान मुस्कान
बेजान मुस्कान
तेरे माथे की ये छोटी सी बिंदिया
शायद उड़ाती है तेरी रातो की निंदिया,
तेरी ये चंचल हसीन सी मुस्कान
किसी अपनों से हुई थी बेजान।
तेरी ये पलकों की काली सायें
तुझे अपनी भूल की याद दिलाए
तेरी खूबसूरत चेहरे की एक झलक
खोले हर मुश्किलों की फलक।
तू न सोच अपनी मंजिल के रास्ते
सबसे बड़ा खुदा ही है तेरे वास्ते,
रखना होगा खुद को यूँ संभाल कर
जैसे भोले रखते, गंगा जी को बाल पर।
तू कर हर वो काम जो लगे नाक़ाम
ताकि दुनिया भी करे तुझे सलाम।