बेचैनी
बेचैनी
नींद ना आना कोई बिमारी या व्यथा नहीं है, ये वो क्षण है जब में अपने उन पलों को याद करता हूँ जो मैंने बिताये या बिताना चाहता था। झरना शायद यही महसूस करता होगा जब वो अलग होता है पहाड़ों से और चल पड़ता है बेसुध हो कर और सिमट जाता है समुद्र की गोद में और निकल पड़ता है एक अनंत यात्रा पर। लेकिन उसके मन में हमेशा पहाड़ों की याद बसी रहती होगी। वो झूमना, वो अटखेलियां लगाते हुए पत्थरों से टकराना, कभी अचानक सहम जाना, कभी तेज़ी से बह निकलना।।
आज उसकी भी आँखों में नींद नहीं होगी, जैसे नींद मेरी आँखों से कोसो दूर है...।