बड़ी चंचल है वो
बड़ी चंचल है वो
चंचल जैसा नाम वैसा स्वभाव, हमेशा हंसमुख किसी को दुखी नहीं देख सकती थी। उसके घर वाले कहते तू तो मय्यत में जाकर भी हंसा देगी। उसके स्वभाव से उसके घर वाले परेशान थे कि इससे शादी कौन करेगा और शादी के बाद ये घर कैसे संभालेगी। हमेशा ही बचपना सवार रहता था।
सूरज मिलिट्री में था, उसकी पोस्टिंग जयपुर में थी। घरवालों की जिद की वजह से इस बार छुट्टियों में आकर शादी कर लेने का फैसला किया। सूरज की मां ने 6 महीने पहले ही सारे रिश्तेदारों को बोल कर रख दिया कि लड़की देख कर रखें, इस बार सूरज को घोड़ी चढा़नी ही है चाहे जो हो। सूरज की मौसी जी के गांव से एक रिश्ता आया। सूरज के आते ही सब सहपरिवार लड़की देखने गए। सूरज को लड़की पसंद नहीं आई पर ,बाद में बताते हैं बोलकर वहां से चल दिए। मौसी ने २ दिन रुकने का आग्रह किया तो वे लोग रुक गए।
सूरज अगले दिन अपनी मौसी की बेटी रानों के साथ गांव घूमने निकला, रास्ते में ही उन्हें चंचल मिल गई। रानो और चंचल बचपन की सहेलियां और पड़ोसी भी थी। रानू ने चंचल और सूरज की पहचान कराई। चंचल वहां से चल दी। सूरज को चंचल देखते ही पसंद आ गई पर वो उसे थोड़ा और जानना चाहता था। रानों से चंचल के बारे में उसने पूछताछ की, रानो भी समझ गई भाई के दिल की बात| सूरज को छेड़ते हुए बोली "आप बोलो तो मां और बड़ी मां से बात करूं?"
सूरज बोला "तू क्या बोलेगी मैं ही बोल दूंगा मां से, मिलिट्री मे हूं किसी से नहीं डरता, पर एक बार तेरी सहेली से बात तो करवा दे।"
रानो बोली "रात को छत पर मिलवाती हूं अपनी होने वाली भाभी से मेरा तोहफा तैयार रखना।"
रात को छत पर चंचल रानो से मिलने आई, सूरज भी था। चंचल ने जो बोलना शुरू किया सूरज देखता ही रह गया। रानो तो सो भी गई पर चंचल और सूरज बहुत देर तक बात करते रहे। अगले दिन सूरज ने अपनी मां और मौसी को चंचल के बारे में बताया, मौसी तो चंचल के स्वभाव से अच्छी तरह वाकिफ थी तो बोली "बेटा वो बहुत चंचल स्वभाव की है तेरा घर कैसे संभालेगी?"
सूरज बोला "शादी तो उससे ही करूंगा चाहे जो हो"
सूरज की जिद के आगे सब को झुकना पड़ा और चंचल के घर रिश्ता लेकर गए। उसके परिवार को और क्या चाहिए था, बस चट मंगनी और पट ब्याह हो गया। शादी के बाद चंचल कुछ समय अपने ससुराल में बिताने के बाद सूरज के साथ जयपुर चली गई।
अब जयपुर में बस वो दोनों, बहुत खुश थे दोनों। २ महीने बाद ही खुशखबरी भी मिल गई, सूरज की तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था बोला "बेटा हो या बेटी वो भी मेरी तरह देश की सेवा करेंगे।"
कुछ दिनों बाद बॉर्डर में लड़ाई शुरू हो गई और उसमें सूरज शहीद हो गया। चंचल की तो दुनिया ही खत्म हो गई पर उसने पूरे धैर्य से काम लिया, आखिर फौजी की पत्नी थी। सूरज का पार्थिव शरीर लेकर वो खुद अपने ससुराल पहुंची। ससुराल में खबर पहुंचा दिया गया था, ससुरजी ने बोला भी कि मैं आता हूं पर चंचल ने मना कर दिया। ससुराल पहुंचने तक चंचल ने एक आंसू भी नहीं टपकाया पर जैसे अपनी सास को देेेखा गले लग कर जोर से रो पड़ी "मां मुझे छोड़ कर चले गए, देश के लिए कुर्बान हो गया मेरा सुहाग। मैं क्या करूंगी अब माँ, बताओ?
गाँव के सभी लोग वहां आ गए थे, चंचल का रोना सुनकर तो पत्थर दिल भी रो पड़ता। चंचल के मायके वाले भी आ गए थे पर बेटी तो उनसे भी नहीं संभाली जा रही थी। इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा दुख ,कैसे जियेगी हमारी बेटी यह सोचकर माता-पिता का कलेजा मुंह मे आ गया।
कुछ दिन बाद चंचल अपने एक दुख से सम्भली भी नहीं थी कि सूरज की आखिरी निशानी भी भगवान ने छीन ली। ये सारा सदमा चंचल के ससुर जी नहीं सह पाए और वे भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए।चंचल के माता पिता ने उसको मायके चलने के लिए कहा पर उसने मना कर दिया। अब बहुत बदल गई थी चंचल, चुप रहने लगी थी।
कुछ महीनों बाद रानो की शादी पक्की हुई, चंचल और उसकी सास नहीं जाना चाहते थे पर रानो ने दोनों को कसम देकर आने को बोल दिया। चंचल जब अपने मायके आई तो सब उसको दया दिखा रहे थे। उससे ये सहन नहीं हुआ, वो अपने कमरे में दरवाजा बंद करके बैठ गई। रानो ने बहुत आवाज लगाई, थोड़ी देर बाद चंचल ने दरवाजा खोला,रानो को अंदर लिया और दरवाजा बंद कर दिया।
रानो ने पूछा "क्या हुआ है तुझे ? क्यों ऐसी हो गई है तू? अंदर क्यों आ गई?"
चंचल बोली "तुझे सब पता तो है और लोगों की दया मुझे पसंद नहीं।"
रानो बोली "चंचल ये मौका उन लोगों को तूने दिया है। अपनी हालत देख क्या थी और क्या हो गई। अब भाई को गुजरे भी बहुत समय हो गया है, मैं जानती हूं ये कमी कभी पूरी नहीं हो सकती पर उसके लिये जीना तो नहीं छोड़ देगी ना? तेरी सास को देख, बेचारी उन्होंने भी बेटा, पति और होने वाला पोता या पोती इस उमर में खो दिया है। तुझे देख कर जी रही है। अभी मां से भी कहते हुए सुना कि चंचल को मैं अब फिर से पहले जैसी हंसती खेलती कब देख पाऊंगी। उसकी चंचलता से मेरा घर कितना खिल गया था। तेरी मां भी वहीं थी, दोनों तेरे लिए कितना रो रही थीं। "
"तुझे पता है मेरे भाई ने तुझसे क्यों शादी की क्योंकि तुझमें उसको जिंदगी दिखती थी। उसने जब तुझसे शादी की बात की तो मेरी मां ने कहा कि वो तो बहुत चंचल है तो भाई ने कहा था वही तो सही मायने में जिंदगी जी रही है। जहां बॉर्डर में रोज मौतें देखी है तो इसको देखकर जिंदगी हसीन दिख रही है। उसकी मुस्कुराहट मुर्दे में भी जान डाल दे इसलिए उसने तुझसे शादी की और अब तू क्या कर रही है? तुझे अगर मेरे भाई से प्यार है तो पहले खुद से प्यार कर ले। तुझे ऐसा देखकर तो उसकी आत्मा को भी शांति नहीं मिलेगी" बोलकर रानो रोते हुए वहां से चली गई।
चंचल ने अब अपने आंसू पोछे और तैयार हो गई वो पुरानी चंचल बनने की राह पर चलने के लिए। थोड़ी मुश्किलें तो थी पूरी तरह पुराने अवतार में आने मे पर उसने कोशिश शुरू कर दी थी। चंचल ने नई साड़ी निकाली तैयार होकर रानू के घर पहुंची। सब चंचल को देखते रह गए। पूरी तो नहीं पर पुरानी चंचल की हल्की सी झलक सबको दिखी। रानो ने अपनी सहेली को गले लगा लिया। चंचल ने शादी की तैयारी में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। घर वाले सब खुश थे पर गांव वाले, कुछ लोग तो बातें बनाएंगे ही पर चंचल ने किसी की कुछ भी ना सुनने का फैसला कर लिया था।
ये दुनिया वाले बस बातें करेंगे पर मेरे सुख-दुख से इन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मेरी खुशी और मेरे दुख में बस मेरा परिवार ही खड़ा था, है और रहेगा। मुझे इनके लिए जीना है ये सोचकर चंचल आगे बढ गई। चंचल की सास भी बहुत खुश थी।
चंचल ने बी एड की पढ़ाई की और शहर में ही उसे अच्छे स्कूल में नौकरी भी मिल गई। सब ने दूसरी शादी का दबाव डाला पर चंचल नहीं मानी और उसने बेटी गोद ली, नाम रखा सेजल। कुछ सालों बाद चंचल की सास भी बीमारी से चल बसी। शहर में अकेले रहकर चंचल ने अपनी बेटी को पढ़ाया-लिखाया। चंचल को नई-नई चीजें सीखने का शौक था, तो उसने राइफल शूटिंग करने की ट्रेनिंग ली। नेशनल लेवल तक खेलने भी गई। बेटी को भी अपनी तरह निडर होकर जीना सिखाया। सेजल ने बड़े होकर एयरफोर्स जॉइन किया जो उसका अपना फैसला था। आखिर सूरज का सपना भी पूरा हुआ देश की सेवा में अपनी बेटी को भेजने का।
आज सेजल की शादी है और उसका कन्यादान उसकी मां चंचल कर रही है जो सेजल की इच्छा और शर्त थी।
