वो मुलाकात
वो मुलाकात
राधिका और राघव एयरपोर्ट पर बैठे फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे। राधिका नई दुल्हन की तरह सजी हुई थी। आंखों में नए जीवन के सपने संजोए अपने हनीमून पर जाने को उत्साहित थी। एयरपोर्ट पर बैठे-बैठे वो राघव को देखते हुए छह महीने पहले की यादों में खो गई जब उनकी पहली मुलाकात हुई थी ।
राधिका को आज राघव और उसके परिवार वाले देखने आने वाले थे। राधिका के घर में सुबह से तैयारियां शुरू थी। राघव एक बहुत अच्छे परिवार का पढ़ा-लिखा सिधा-सादा लड़का था। चेन्नई के एमएनसी कंपनी में जॉब करता था । राघव के पिता रिटायर्ड जज थे और राघव उनका इकलौता बेटा था। राधिका भी एमबीए करके चेन्नई में ही एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती थी । राधिका भी अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। राधिका को उसके माता-पिता ने अच्छे संस्कारों के साथ-साथ आज़ादी भी दी अपने फैसले खुद करने की। राधिका खुले विचारों वाले परिवार में पली बढ़ी थी वही राघव का परिवार पुराने विचारों वाला था।
राघव के परिवार ने राधिका को पसंद कर लिया। राधिका से भी उसकी मर्जी पूछी गई तो उसने भी हां कर दी। अच्छे मुहूर्त की कमी की वजह से पन्द्रह दिन बाद सगाई और एक महीने बाद शादी तय हो गई।सब इतनी जल्दी मे हुआ कि राधिका एवं राघव कभी ठीक से बात ही नहीं कर पाये। सगाई के बाद राधिका को राघव के फोन के इंतजार रहता और राघव से मिलना भी चाहती थी ताकि शादी से पहले के वो पल जो है हर लड़का लड़की का सपना होता है उसे जी सके पर राघव ने कभी फोन नहीं किया। राधिका ने हिम्मत करके राघव को फोन किया तो राघव ने यह कहकर फ़ोन रख दिया कि वह अभी मीटिंग में है बाद में बात करेगा। राधिका को अजीब लगा पर वह राघव के फोन का इंतजार करने लगी। शाम को राघव का फोन आया राधिका की आंखों में फोन पर राघव का नाम देखकर चमक आ गई, फोन उठाने पर राघव ने पहले माफी मांगी और ऑफिस के बाद कॉफी पीने के लिए बुलाया। राधिका ने भी हां कर दी। उसकी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था उसने जल्दी से काम खत्म करके कॉफी शॉप पहुंचने की तैयारी कर ली ।
राघव पहले से उसका इंतजार कर रहा था। दोनों टेबल पर बैठे और कॉफी ऑर्डर किया, थोड़ी देर दोनों के बीच खामोशी पसरी थी राघव ने पहल की कैसा रहा आपका दिन, राधिका ने कहा "जी अच्छा, आपका ?"राघव ने भी सर हिला कर मुस्कुरा कर ठीक होने का इशारा किया। राघव हिचकिचाते हुए कहा "मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं", राधिका राघव की तरफ देखने लगी। उतने मे राघव बोलते हुए एक लड़की राघव के गले लग गई। वह लड़की बिना राधिका को देखे राघव से ही बातें कर रही थी राधिका भी कुछ समझ पाती कुछ केह पाती उससे पहले उसका फोन बजा और वहां से निकल गई ।
राधिका को ऑफिस से फोन था। बॉस को कुछ अर्जेंट फाइल चाहिए था तो वह देकर वह ऑफिस के कैब से घर के लिए निकल गई। पूरे रास्ता बस यही ख्याल में थी कि वह लड़की कौन थी, वह राघव से ऐसे बात क्यों कर रही थी, राघव मुझसे ऐसा क्या जरूरी बात करना चाहता था सब सोचते हुए उसका सर फटा जा रहा था। कैब ड्राइवर ने जैसे ही घर के सामने ब्रेक लगाया राधिका तेजी से उतर कर अपने कमरे में चली गई और राघव को फोन करके सारी बातें स्पष्ट करना चाहती थी इतने में राघव का फोन पर मैसेज आया कि कल सुबह उसी कॉफी शॉप में मिलने आ सकती हो क्या, राधिका ने भी हां लिखकर के मैसेज कर दिया।
राधिका कॉफी शॉप पहुंची। टेबल पर राघव को उस लड़की के साथ बैठा हुआ देख राधिका का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वह उनके टेबल तक पहुंची तो उस लड़की ने हाथ आगे करके कहा "मेरा नाम दीपाली है, मैं राघव की चचेरी बहन हूं।कल ही ऑस्ट्रेलिया से आई हूं।मुझे माफ करना सगाई में नहीं आ पाई और कल सुबह भी राघव से घर पर मुलाकात नहीं हुई तो उसे यहां देख कर मैं थोड़ी एक्साइटेड हो गई और तुम्हें नोटिस नहीं किया मुझे माफ कर दो।" दीपाली सब एक सांस में बोल गई । राधिका को भी सब सुनकर जान में जान आई और उसने मुस्कुराते हुए दीपाली से हाथ मिलाया।
राघव ने कहा "मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है" । राधिका "बोलिए राघव" बैठते हुए बोली।
"मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता राधिका"
राधिका और दीपाली राघव की ओर एकटक देखने लगे। राधिका को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। "तुम क्या कह रहे हो राघव" दीपाली ने पूछा
राधिका मे कुछ बोलने की ताकत नहीं रही, वो बस आंसू टपकाए जा रही थी।
"मैं तुमसे क्या किसी भी लड़की से शादी नहीं कर सकता क्योंकि मुझे लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं गे हुँ।"
राधिका और दीपाली को एक झटका सा लगा अपने आप को संभालते हुए राधिका बोली "तो आपने यह बात अपने घर वालों को क्यों नहीं बताई" ।
राघव बोला "मैंने अपने घर वालों को बताया, बहुत समझाया पर उनको यह बस सब मेरे दिमाग का फितूर लगा और शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा कहने लगे।माँ ने तो मुझे अपनी कसम दे दी।
" फिर आज मुझे यह सब क्यों बता रहे हैं"
" मैं मेरे परिवार की खुशी के लिए तुम्हारी जिंदगी के साथ तो नहीं खेल सकता हूं ना। प्लीज तुम यह शादी तोड़ दो" बोलकर राघव वहां से आंखों में आंसू लिए चला गया। दीपाली भी उसके पीछे उसे पुकारते हुए चली गई।
उसी शाम राधिका और उसका परिवार राघव के घर पहुंचे। राघव का पूरा परिवार वहां मौजूद था। राधिका के पिता ने हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए शादी तोड़ने की बात कही। सब हैरान रह गए। राधिका ने कहा "यह शादी भी हुई तो राघव और मैं खुश नहीं रह पाएंगे और उसका कारण आप सब जानते हैं।"
राघव की माँ रोते हुए राधिका से बोली पर "फिर हमारा वंश आगे कैसे बढ़ेगा?"
राधिका ने राघव की मां का हाथ अपने हाथ में पकड़ कर कहां "मां आज के जमाने में सब कुछ मुमकिन है परिवार बढ़ाने के लिए शादी करने की जरूरत नहीं है। राघव सरोगेसी के जरिए भी बाप बन सकता है और आप सब बच्चे के लिए राघव की खुशियों का गला नहीं दबा सकते। शादी करके न राघव ना उसकी बीवी ना आप लोग कोई भी खुश नहीं रहेगा ।
राघव के पिता बोले " दुनिया क्या कहेगी"?
तभी दिपाली बोली "बड़े पापा क्या आप मेरी शादी ऎेसे लडके से करेंगे जो मुझसे प्यार नहीं करता? बाकी रही दुनिया की बात तो दुनिया के बारे में सोचकर आप अपने बेटे की खुशियां छीनेंगे।" राघव के परिवार को अपनी गलती का एहसास हो गया। उनहोंने राघव से माफी मांगी अौर गले से लगा लिया।
राघव ने राधिका को धन्यवाद दिया। उसकी वजह से राघव के परिवार ने अपने बेटे को उसकी असलियत, उसकी खुशी के साथ अपनाया।
तीन महीने बाद राधिका की साहिल से शादी पक्की हुई। शादी की तैयारियों में राघव ने एक दोस्त की तरह बहुत मदद की। शादी में राघव का पूरा परिवार आया।
आज का दिन:
फ्लाइट के अनाउंसमेंट के साथ राधिका अपने ख्यालों से बाहर आई उसने राघव को गले लगाया और अपने पति साहिल के साथ हनीमून के लिए निकल गई ।
आज दो साल बाद राधिका और राघव बहुत अच्छे दोस्त हैं।सरोगेसी से राघव को एक बेटा हुआ। उसका पूरा परिवार बहुत खुश है। राधिका भी अपने दोस्त राघव के बेटे को देखने आई और उसे ढेर सारी बधाइयां दी।
अगर राधिका ने हिम्मत करके राघव के परिवार से बात नहीं की होती और शादी तोड़ी नहीं होती तो आज दोनों अपने रिश्ते में घुट रहे होते।पर आज भी उनका एक रिश्ता है दोस्ती का जो अनमोल है।
