Lavanya Naidu

Drama

5.0  

Lavanya Naidu

Drama

ये उन दिनों की बात है

ये उन दिनों की बात है

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"यार भाभी आ रही है" अदिति जब भी संजय के क्लास के सामने से गुज़रती अक्सर ये आवाज उसके कानों में पड़ती और वो सर झुकाकर हल्की सी मुस्कान के साथ अपनी चोटी को पीछे कर अपनी सहेली का हाथ दबा आगे बढ़ जाती।

अदिति क्लास ९वी मे थी और संजय १०वी में, दोस्तों के छेडने से ये सिलसिला शुरू हुआ था। वो टीनएज का पहला प्यार जब पूरी दुनिया हसीन लगने लगती है, स्कूल पहुंचने की जल्दी, लंच ब्रेक का इंतज़ार, जब संडे से नफरत होने लगती है उस उम्र में थे दोनों। एक दूसरे के सामने से गुजरते हुए टकरा जाना बहुत देर तक दिल की धड़कने बढ़ा देता था। किताबों में दोनों के नाम का पहला अक्षर जोड़कर लिखना एक अलग ही खुशी देता था। फ्लेम्स से कॉपी भरी होती थी जैसे हर बार कुछ अलग नतीजा आने वाला हो।

स्कूल के वार्षिक समारोह में अदिति का डांस परफॉर्मेंस था ये बात संजय पहले से जानता था, अदिति जब मेकअप रूम से तैयार होकर परफॉर्मेंस के लिए निकली संजय जो बाहर अदिति का बाहर इंतजार कर रहा था उसकी धड़कन जैसे रुक गई अदिति को देख कर। अपनी मुस्कान के साथ हाथों से सुंदर दिख रही हो का इशारा कर वहां से चला गया, अदिति भी तो इसी का इंतजार कर रही थी वो भी शर्म से पानी हो गई। साथ में जो सहेली थी उसने आदिति को छेड़ना शुरू कर दिया। फंक्शन के बाद वापस घर जाते हुए स्कूल बस में संजय अदिति के पीछे वाली सीट में बैठा था। दोनों बिना बात के न जाने आंखों से कितना कुछ बोल गए।

एग्जाम में जब ९वी और १०वी को साथ बिठाया गया संजय और अदिति पास-पास बैठे, भगवान ही जाने दोनों ने उस दिन एग्जाम में क्या लिखा होगा। कभी-कभी संजय साइकिल में अपने दोस्त के साथ अदिति के घर के चक्कर काट कर चला जाता, अदिति अपनी छत से उसे देख लेती अौर छुप जाती। संजय की साइकिल की स्पीड भी अदिति के घर के पास कम हो जाती और उसकी नजर अदिति को ढूंढती। दोनों ने कभी एक दूसरे से बात नहीं की पर ये कुछ अलग था दोनों के बीच।

देखते-देखते संजय का फेरवेल का दिन आ गया, सब ने खूब मज़े किये। फंक्शन खत्म हुआ अदिति ने सबसे छुपकर ग्रीटिंग कार्ड संजय को पकड़ा दी, उसमे एग्जाम की अौर आने वाले जीवन के लिए शुभकामनाएं थी। संजय ने भी जो गुलाब दिया अदिति ने चुपचाप अपनी डायरी में छुपा लिया।

कुछ दिनों में दोनों अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए। कभी-कभी संजय चक्कर लगा जाता अदिति के घर के तरफ, धीरे-धीरे वो अपने कॉलेज में बिजी हो गया और अदिति अपनी पढ़ाई में। १-२ साल बाद संजय जब अचानक आदिति की सहेली से मिला तब उसे पता चला अदिति के पापा का ट्रांसफर हो गया और वे लोग दूसरे शहर चले गए।

आज इतने सालों बाद अदिति का फ्रेंड रिक्वेस्ट देखकर संजय अपनी बीते दिनों की सैर कर आया और कई सवाल दिमाग में लिए उसने एक्सेप्ट बटन दबा दिया। अदिति तो जैसे इसी नोटिफिकेशन का इंतजार कर रही थी। रात १२:०० बजे मोबाइल की आवाज से अदिति की जो नींद उड़ी मुस्कुराते हुए यादों में उसने रात बिता दी। संजय भी उसकी प्रोफाइल बार-बार देख कर मुस्कुरा रहा था।

सोशल मीडिया ने बचपन के उस प्यार को मिलवा दिया जो आज अलग शहरों मे है, जिन्होंने कभी बात तक नहीं की थी जो बिल्कुल निर्मल पवित्र था। आज दोनों एक दूसरे का स्टेटस सिंगल देखकर आने वाली जीवन के मीठे सपनों में खो गए।

पूरे २४ घंटे गुजारने के बाद, उन २४ घंटों में १०० बार अदिति का फोटो देखने के बाद आखिर संजय ने हिम्मत करके मैसेंजर पर हाय लिख कर भेजा। अदिति जो दिनभर बेचैन थी ये सोचकर कि कहीं गलती तो नहीं कर दी रिक्वेस्ट भेज कर ? इतना भाव खा रहा है, मुझे गलत तो नहीं समझ रहा होगा ? पूरी खिचड़ी पका ली थी उसने दिमाग में बस एक पापड़ का इंतजार था पर फोन पर मैसेज देख कर उसके जान मे जान आयी। उसकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था, आंखों मे चमक‌ आ गई। अदिति ने भी जवाब दिया, दोनों ने रात को बहुत देर तक बातें की पहली बार, वो भी मैसेज से। दोनों को ये भी नहीं पता था कि अब सामने वाला कैसा होगा ? कैसा बात करता होगा ? पर दोनों ख्यालों में न जाने कहां तक पहुंच गए थे। फिर फोन नंबर एक्सचेंज हुए, रात रात भर बातें होने लगी। अदिति ने अपनी खुशी अपनी स्कूल फ्रेंड के साथ बांटी‌ जिसकी कुछ दिनों मे शादी होने वाली थी।

थोड़ी दिनों बाद आदिति और संजय को एक ईमेल आया। अदिति को उसकी सहेली छाया का और संजय को उसके दोस्त विक्रम का ईमेल। स्कूल में आदिति और संजय के अलावा भी लव स्टोरी चल रही थी जिसको मंज़िल मिलने वाली थी। छाया और विक्रम की शादी नागपुर में थी।

संजय को शादी में जाने का कोई मूड नहीं था, उसने दोस्त से छुट्टी ना मिलने का बहाना बना दिया। अदिति तो जाने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक थी। बातों-बातों में अदिति ने संजय को बताया कि उसकी सहेली की शादी है जिसके लिए वो नागपुर जा रही है। नागपुर वही शहर है जहां दोनों का बचपन बीता, स्कूल में पहला प्यार मिला था। अब संजय को भले ही नौकरी छोड़कर जानी पड़े पर जाने के लिए वो तैयार हो गया। खैर, उसे इतनी कोई मुश्किल नहीं हुई, आसानी से छुट्टी मिल गई। संजय ने अदिति को सरप्राइज देने का तय कर लिया।

दोनों नागपुर पहुंचे, अदिति लड़की वालों के घर और संजय लड़के वालों के घर। लड़के वालों के घर से जब हल्दी लाई गई तो वो देने साथ में संजय भी आया। अदिति नही जानती थी कि संजय भी आ रहा है। संजय की नजर आदिति को ढूंढ रही थी लेकिन अदिति ने तो उसे अचानक छत से देख लिया था और वो छुप गई पहले की तरह। संजय को आखिर मायूस लौटना पड़ा। लेकिन आदिति को बड़ा मजा आ रहा था संजय को सताने‌ मे‌, उसने भी तो नागपुर आने वाली बात छुपाई थी। आदिति खुश थी, उसने तो संजय को इतने सालों बाद देख ही लिया था।

अब इंतजार था मेहंदी और संगीत का जो लड़के वालों की तरफ से होने वाला था। शाम को लड़के वालों की तरफ से स्वागत के लिए संजय और उसके दोस्त खड़े थे, संजय तो‌ बस आदिति के स्वागत के लिए खड़ा था। लड़की वाले आए पर आदिति उनके साथ नहीं थी, संजय का मन दुखी होने लगा जो उसकी शक्ल से साफ नजर आ रहा था‌। वो अंदर जाकर एक कोने में बैठ गया। आदिति को फोन लगाया, घंटी जा रही थी पर किसी ने उठाया नहीं। इतने में एक बुर्के वाली मोहतरमा संजय के बाजू आकर बैठी, संजय का ध्यान मोबाइल पर था। उस मोहतरमा ने एक ग्रीटिंग कार्ड संजय के हाथ में रखी और संजय कुछ समझ पाता उससे पहले गायब हो गई। संजय ने कार्ड खोला तो उसमें लिखा था "बहुत अच्छे लग रहे हैं! लगता है किसी को ढूंढ रहे हैं, ढूंढिए मिल जाएगी" और नीचे लिखा था A । संजय समझ गया वो बुर्के वाली मोहतरमा अदिति ही थी। सारे मेहमानों के बीच वो पागलों जैसे अदिति को ढूंढ रहा था। थोड़ी देर में जैसे ही संगीत शुरू हुआ अदिति ने स्टेज पर डांस करना शुरू किया, संजय की नजर उस पर पड़ी और उसकी धड़कन आज फिर एक बार जैसे रुक गई। उसने हाथ से ही सुंदर लग रही हो का इशारा किया और मुस्कुरा दिया। अदिति शर्मा गई। परफॉर्मेंस के बाद भी दोनों की लुकाछिपी चलती रही। आखिर दोनों का आमना-सामना हो ही गया जब दूल्हा दुल्हन के साथ फोटो खिंचवाना था। इतने सालों बाद दोनों आमने-सामने थे, दूल्हा दुल्हन से ज्यादा ये दोनों शर्मा रहे थे।

स्टेज से उतरकर संजय ने अदिति से पूछा "फंक्शन के बाद क्या कर रही हो ?"

अदिति ने कहा "कुछ नहीं"

संजय बोला "मेरे साथ चलोगी ?"

अदिति ने पूछा "कहां ?"

संजय बोला "वो सरप्राइज है।"

अदिति ने हां कर दी। फंक्शन खत्म होने से पहले ही छाया और विक्रम को बता कर दोनों दोस्त की गाड़ी लेकर निकल गए। संजय का बचपन का सपना कि अदिति उसकी गाड़ी में उसके साथ बैठी है आज वो पूरा हुआ। संजय ने गाड़ी का शीशा भी अदिति के तरफ मोड‌ दिया। अदिति समझ गई पर अनजान बनते हुए इधर-उधर देख रही थी।

संजय अदिति को गणेश टेकड़ी लेकर गया। उसे क्या पता था बचपन में मां के साथ आकर बचपने में जो एक मन्नत मांगी थी वो आज ऐसे पूरी होगी। दोनों ने दर्शन किये और वहीं थोड़ी देर बैठ गए।

थोड़ी देर बात करने बाद दोनों घर के लिए निकले। संजय अदिति को छाया के घर छोड़कर विक्रम के घर चला गया। रात भर दोनों को नींद नहीं आई। संजय ने अदिति को मैसेज करके पूछा तुम कल शादी होने बाद मेरे साथ एक जगह चलोगी ?

अदिति ने हां लिख कर मेसेज किया।

अगले दिन मंडप में दुल्हन के साथ आदिति को आता देख संजय उसे देखता ही रह गया, बला की खूबसूरत लग रही थी अदिति। संजय भी कुछ कम नहीं लग रहा था। अदिति ने सुंदर दिख रहे हो का इशारा किया और आंख मार दी, संजय शर्मा गया। शादी होने बाद दोनों सबकी नजरों से छुपकर बाहर निकल गये। बिल्ली दूध पीते हुए आंख बंद कर ली तो उसे लगता है उसे कोई नहीं देख पा रहा पर छाया और विक्रम ने उन्हें जाते हुए देख लिया। दोनों खुश हुए कि उनका प्लान काम कर गया क्योंकि दोनों अपने दोस्तों के दिल का हाल‌ जानते थे पर वो‌ चाहते थे कि‌ वो‌ दोनों खुद अपने प्यार का इज़हार करें।

संजय अदिति को अपने उसी स्कूल ले गया जहां उसे अदिति पहली बार दिखी थी। अदिति चौक गई कि यहां क्यों आए हैं। स्कूल की छुट्टी थी तो गेट पर ताला था। संजय वहीं स्कूल के गेट के सामने पॉकेट से अंगुठी निकालकर, घुटने पर बैठकर अदिति को प्रपोज किया। अदिति की आंखों में खुशी के आंसू थे और उसने हंस के हां कर दी। संजय ने अदिति को रिंग पहनाई। गेट के सामने हाथ में रिंग दिखाते हुए दोनों ने सेल्फी ली और अपने दोस्त छाया और विक्रम को भेजी "थैंक यू सो मच गाइज़" लिखकर।

थोड़ी देर बाद छाया ने मोबाइल पर फोटो देखी और विक्रम को दिखाई, दोनों बहुत खुश हुए। अदिति और संजय स्कूल के पीछे की बाउंड्री वॉल से कूदकर स्कूल के अंदर गए। दोनों अपनी क्लास में अपने बेंच पर बैठकर यादों को ताजा कर आएं और उसी स्कूल के सामने नयी यादें साथ बनाने का वादा भी कर दिया।


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