STORYMIRROR

Harbhajan Singh

Inspirational Others

3  

Harbhajan Singh

Inspirational Others

बाबा बालक नाथ जी

बाबा बालक नाथ जी

4 mins
177

बाबा बालक नाथ की पावन कथा

हिमाचल प्रदेश की पवित्र भूमि पर स्थित बाबा बालक नाथ का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। कहा जाता है कि बाबा बालक नाथ भगवान कार्तिकेय के अवतार थे और उन्होंने इस धरती पर धर्म और भक्ति का संदेश फैलाने के लिए जन्म लिया था। उनकी कथा अद्भुत चमत्कारों और दिव्य लीलाओं से भरी हुई है, जो आज भी भक्तों के हृदय में गहराई से बसी हुई है।


बालक नाथ का जन्म और बाल्यकाल

बाबा बालक नाथ के जन्म को लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि उनका जन्म गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जन्म के साथ ही उनके दिव्य स्वरूप को देखकर माता-पिता समझ गए कि यह कोई साधारण बालक नहीं है।

बाल्यावस्था से ही बाबा बालक नाथ का मन सांसारिक मोह-माया से विरक्त था। वे हमेशा ध्यान और साधना में लीन रहते थे। जब वे थोड़े बड़े हुए, तो उन्हें इस सांसारिक जीवन से कोई विशेष लगाव नहीं रहा और उन्होंने घर-परिवार त्यागकर तपस्या का मार्ग अपनाया। वे गुरु की खोज में निकल पड़े और हिमालय की ओर प्रस्थान किया।


गुरु दत्तात्रेय से दीक्षा

भक्तों का मानना है कि बाबा बालक नाथ ने गुरु दत्तात्रेय से दीक्षा प्राप्त की थी। गुरु दत्तात्रेय ने उन्हें कठोर तपस्या और साधना की शिक्षा दी और उन्हें ब्रह्मज्ञान का उपदेश दिया।

गुरु की आज्ञा से बाबा बालक नाथ 'शाहतलाई' नामक स्थान पर पहुंचे। यह स्थान हिमाचल प्रदेश में स्थित है और यहीं पर उन्होंने गौचारण (गाय चराना) करना आरंभ किया। उनकी अलौकिक शक्तियों के कारण, वहां के स्थानीय लोग उन्हें पूजने लगे। बाबा बालक नाथ की सेवा में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी और उनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई।


माता रत्नो के पास आगमन और उनका ताना

जब बाबा बालक नाथ शाहतलाई पहुंचे, तो वहां उनकी भेंट माता रत्नो से हुई। माता रत्नो उन्हें अपने पुत्र के समान मानने लगीं और उन्हें अपने घर में रहने के लिए आमंत्रित किया। बाबा बालक नाथ ने उनकी गौशाला में गाय चराने का कार्य स्वीकार कर लिया। वे दिनभर जंगल में गाय चराते और ध्यान साधना में लीन रहते।

एक दिन, बाबा बालक नाथ भक्ति में लीन थे और उनकी गायें जमींदारों के खेतों में घुस गईं, जिससे उनकी फसल को नुकसान पहुंचा। गुस्साए ज़मींदार माता रत्नो के पास पहुंचे और बोले, "तुम्हारा जोगी तो आंखें बंद करके बैठा है और तुम्हारी गाय हमारी सारी फसल नष्ट कर गई। अब तुम ही हमारी फसल का मुआवजा दोगी।"

यह सुनकर माता रत्नो गुस्से में भर गईं और बाबा बालक नाथ के पास जाकर ताने मारते हुए बोलीं, "हे जोगिया, मैंने तुम्हें 12 साल तक रोटियां और लस्सी दी और तुमने मुझे यह सिला दिया?"

बाबा बालक नाथ ने मुस्कुराते हुए कहा, "हे माता, ताना मारने से पहले खेत में जाकर फसल तो देख आतीं।"

माता रत्नो जब खेत में गईं, तो यह देखकर हैरान रह गईं कि वहां की फसल पहले से भी ज्यादा लहलहा रही थी। यह चमत्कार देखकर सभी लोग दंग रह गए और बाबा जी की महिमा को पहचान गए। माता रत्नो और ज़मींदारों ने बाबा जी से क्षमा मांगी।

लेकिन बाबा बालक नाथ बोले, "हे माता, तुम्हें मुझे ताना नहीं मारना चाहिए था।" इसके बाद, उन्होंने अपना चिमटा उठाया और एक पेड़ में साधा, जिससे पेड़ फट गया और उसमें से 12 साल की रोटियां प्रकट हो गईं। फिर उन्होंने अपना चिमटा धूने में साधा, जिससे वहां से 12 साल की लस्सी प्रकट हो गई।

यह देख माता रत्नो फूट-फूटकर रोने लगीं और बाबा जी से क्षमा मांगने लगीं। लेकिन बाबा जी किसी को कुछ कहे बिना वहां से सब कुछ छोड़कर चले गए।


राजा रतन चंद की परीक्षा

जब बाबा बालक नाथ की प्रसिद्धि फैलने लगी, तो हिमाचल प्रदेश के राजा रतन चंद को उनकी सिद्धियों के बारे में पता चला। उन्होंने बाबा की परीक्षा लेने की सोची और उनके पास जाकर कहा कि अगर वे सच्चे संत हैं, तो दूध से भरा बर्तन प्रस्तुत करें। बाबा ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति से गुफा में दूध की एक नदी प्रवाहित कर दी।

यह चमत्कार देखकर राजा रतन चंद उनकी भक्ति में लीन हो गए और उनके चरणों में झुक गए। इस घटना के बाद, बाबा बालक नाथ की ख्याति और भी बढ़ गई और लाखों श्रद्धालु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी गुफा के दर्शन करने लगे।


तपस्या और दिव्य लीला

बाबा बालक नाथ अंततः 'दियोटसिद्ध' नामक स्थान पर पहुंचे, जो आज भी उनकी तपस्या स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान एक गुफा के रूप में स्थित है, जहां बाबा ने वर्षों तक कठोर तपस्या की।

ऐसा माना जाता है कि बाबा ने समाधि लेकर अपनी लौकिक उपस्थिति को त्याग दिया, लेकिन वे आज भी गुफा में अदृश्य रूप में निवास करते हैं। उनकी कृपा आज भी भक्तों पर बनी रहती है और उनकी गुफा के दर्शन करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


बाबा बालक नाथ का आशीर्वाद

आज भी बाबा बालक नाथ के भक्त लाखों की संख्या में उनके मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। हर साल चैत्र मास में यहां विशेष मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां भक्तगण बाबा के चरणों में अपना शीश नवाते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।

बाबा बालक नाथ की कथा हमें भक्ति, त्याग और तपस्या का महत्व सिखाती है। उनकी कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्तों को आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

जय बाबा बालक नाथ!

ये मैंने कोई कहानी नहीं सच्ची बात बताई है...



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational