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Sunil Sharma

Inspirational

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Sunil Sharma

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अयाज़ इन कॉरपोरेट वर्ल्ड

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कल बंगलोर में होटल से एयरपोर्ट जाते समय मेरी मुलाकात मेरी कैब के ड्राइवर मोहम्मद अयाज़ से हुई। होटल से एयरपोर्ट का सफर तकरीब 1 घण्टे का था सो वक़्त बिताने के लिए मैं अयाज़ से बातें करने लगा और उससे उसके नाम का मतलब पूछा। अयाज़ ने कहा कि नाम का मतलब तो मुझे नहीं पता पर मेरे अब्बू बताया करते थे कि किसी कहानी में एक किरदार था अयाज़ नाम का, उन्होंने मेरा नाम उसी किरदार के नाम पर अयाज़ रख दिया। उत्सुकता वश मैंने पूछा कि मुझे भी बताओ उस कहानी और किरदार के बारे में और फिर उस कहानी को सुनने के बाद कई दिलचस्प ख्याल आये मेरे दिमाग में कि कैसे एक बहुत पुरानी कहानी आज के कॉरपोरेट कल्चर में एकदम सटीक फिट बैठती है।


सो कहानी कुछ ऐसी थी कि आज से कई सौ साल पहले किसी राजा के दरबार में बहुत सारे विद्वान मंत्री और सलाहकार थे जिन्हें राजा ने नवरत्नों की संज्ञा दे रखी थी। सारे मंत्री अलग अलग विधाओं में माहिर थे जैसे कोई बहुत बड़ा संगीतज्ञ तो कोई बहुत बड़ा अर्थशास्त्री, कोई ज्योतिषशास्त्र का ज्ञानी तो कोई अजेय योद्धा। लेकिन उन सबके बीच में एक अयाज़ नाम का मंत्री भी था जो किसी भी कला में माहिर नही था, फिर भी राजा के बहुत करीब था और राजा ने उसको भी नवरत्न का दर्जा दे रखा था। सारे विद्वान मंत्रियों को बहुत ताज्जुब होता कि राजा ने बिना किसी काबिलियत के अयाज़ जैसे शख्स को इतना बड़ा पद और सम्मान दे रखा है और एक दिन सभी मंत्रियों ने आपस में मन्त्रणा करके राजा से साफ साफ सवाल कर ही लिया कि आखिर अयाज़ में ऐसी क्या काबिलियत है जो आप इसको इतना श्रेष्ठ मानते है। राजा ने कुछ विचार करके सब मंत्रियों से कहा कि अगर आपको अयाज़ की काबिलियत देखनी है तो 4 दिन बाद राज्य के बाहर बहने वाली नदी के किनारे पर सुबह सुबह आ जाइयेगा, आपको जवाब मिल जायेगा।


सारे मंत्री और राजा और अयाज़, सबके सब निश्चित तिथि पर नदी के किनारे पहुंच गये, जहां नदी अपने पूरे उफान पर थी और तेज बहाव से बह रही थी। राजा ने सभी मंत्रियों को दिखाते हुए अपनी एक अंगूठी बहती नदी में फेंक दी और मंत्रियों से कहा कि क्या आप में से कोई भी इस अंगूठी को खोज कर ला सकता है ?? ये सुनते ही सभी मंत्रियों ने कहा कि इस बहती नदी में अंगूठी खोजना असम्भव है और इसमें जान भी जा सकती है, दूसरा यदि इसमें कोई डूब कर मर गया और उसकी लाश नहीं मिली तो ये पानी विषैला होकर पूरे राज्य की खेती बर्बाद कर सकता है। राजा ने अंत में अयाज़ की तरफ देखा और अयाज़ तुरंत नदी में कूद पड़ा और कई बार पानी में डुबकी लगाने लगा। जब कई बार प्रयास करने के बाद भी राजा की अंगूठी नहीं मिली तो राजा ने स्वयं अयाज़ से बाहर आने को कहा, उसके बाद भी अयाज़ ने कहा कि हुज़ूर मुझे कुछ देर और कोशिश करने दी जाए और फिर से वो नदी की गहराई में डुबकी मारने लगा। अंत में राजा ने कहा कि बस अब बहुत हुआ, तुम बाहर आ जाओ। अयाज़ के बाहर आने के बाद राजा ने सब मंत्रियों की तरफ देखा और कहा कि आप सबने देख लिया न कि अयाज़ की क्या काबिलियत है, इसने जान की परवाह नही की, बिना सही गलत सोचे नदी में कूद गया और अन्त तक प्रयास करता रहा तो बताइये इसे क्यों न नवरत्नों में शामिल किया जाये। मंत्रियों के पास अब कोई जवाब नहीं बचा था।


तो ये थी कहानी जो मुझे मेरे ड्राइवर अयाज़ ने सुनाई और कहा कि मेरे अब्बू ने कहा कि अयाज़ का मतलब होता है कभी भी हार न मानने वाला, अंत तक लड़ने वाला और उन्होंने मेरा नाम अयाज़ रख दिया।

अयाज़ की कहानी ने मुझे भी कुछ पल के लिए प्रेरित किया पर मुझे लगा कि क्या किसी इंसान की यही काबिलियत उसको श्रेष्ठ विद्वान मंत्रियों के बराबर या ऊंचा बैठा सकती है ?? मन में ख्याल चलते रहे कि शायद ऐसा ही तो आज के कॉरपोरेट जगत में हो रहा है कि बस हां में हां मिलाने वाला व्यक्ति कैसे हायर पोस्ट के मजे लूटता है। फिर मुझे लगा कि इस कहानी का अंत ऐसे ही नहीं हुआ होगा, सारे मंत्री ऐसे ही चुप नहीं बैठ गए होंगे तो दिमाग में ख्याल आया कि आगे क्या हुआ होगा।


फिर हुआ यूं कि सारे नवरत्न मंत्री राज्य के राजगुरु के पास गए और उनसे कहा कि राजा परफॉर्मेंस बेसिस पर हमारा मूल्यांकन नहीं कर रहा है बल्कि उसको जी हुज़ूरी वाले लोग ही पसन्द है, बताइये हम क्या करे ?? राजगुरु ने मंत्रियों से कहा कि एक सवाल का जवाब दीजिए, क्या आप राजा के वफादार है या राज्य के ?? कुछ मंत्रियों ने कहा कि हम राजा के वफादार है और कुछ ने कहा कि हम राज्य के वफादार है। राजगुरु ने कहा कि जो राजा के वफादार है उन्हें अयाज़ जैसा बन जाना चाहिए, और जो राज्य के वफादार है वो या तो राज्य की बागडोर खुद संभाले या किसी दूसरे राज्य में जाकर वहां के राजा बन जाइये। राजगुरु ने आगे कहा कि अगर आपको अयाज़ बनना है तो आपको भूलना होगा कि आपके पास दिमाग है क्योंकि राजा को कतई बर्दाश्त नहीं होता है कि राज्य में कोई उससे ज़्यादा अक्लमंद हो या उसको सलाह दे, राजा को ये लगता है कि उससे ज़्यादा होशियार कोई नहीं है, कम से कम उसके मंत्री तो बिल्कुल ही नहीं। अयाज़ बनने के लिए आपको राज्य की खेती से ज़्यादा राजा की अंगूठी की परवाह करनी पड़ेगी क्योंकि अयाज़ जैसे लोग सिर्फ राजा के भले के लिए सोचते है, उन्हें इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि उस दिन अंगूठी ढूंढने के चक्कर में अगर किसी की मृत्यु हो जाती तो नदी का विषैला पानी पूरे साल की खेती बर्बाद कर देता। अयाज़ सिर्फ राजा का घर भरने में यकीन करता है, बाकी प्रजा भूखी भी रहे तो कोई ग़म नहीं। ऐसे अयाज़ लोग आपको हर राज्य हर जगह मिल जाएंगे और अगर आप मंत्री लोग राजा भी बन गए तो आपको भी कोई न कोई अयाज़ जरूर चाहिए होगा।


मंत्रियों ने राजगुरु से कहा कि फिर हम सब क्या करे, क्या हमारी कोई ज़रूरत ही नहीं है राजा को ?? राजगुरु मुस्कुराये और बोले किसने कहा कि आपकी ज़रूरत नहीं है, जब जब अयाज़ जैसे लोग राज्य का नुकसान करते रहेंगे, तब तब राजा आपके ही पास आयेगा उस नुकसान की भरपाई करवाने के लिये। आप ही लोग है जो राज्य का राजस्व लायेंगे, राजा की तिजोरी भरेंगे और राजा की तारीफ भी पाएंगे। पर इस बात की उम्मीद कभी मत करियेगा कि आपका दर्जा अयाज़ से ऊंचा हो जाएगा। अयाज़ को आप हरा नहीं सकते क्योंकि उसके लिए आपको अयाज़ बनना पड़ेगा और अयाज़ नहीं बन सकते तो बस अपनी वफादारी राज्य के प्रति निभाते जाओ क्योंकि किसी दूसरे राज्य का राजा बनने की हिम्मत भी नही है तुम्हारे अंदर। सारे मंत्रियों को जवाब मिल चुका था, सबके सब अगले दिन से इस बात को स्वीकार कर चुके थे, कि हमारी काबिलियत अयाज़ की काबिलियत से बहुत नीचे है।


देखिये कहीं आपके आस पास आपकी कंपनी में कोई अयाज़ तो नही जो आर्गेनाइजेशन से ज़्यादा अपने बॉस की सेवा में बिजी हो। या कहीं आप खुद ही तो अयाज़ नहीं है ??



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