दुर्गा
दुर्गा
शरद नवरात्रि के आठवें दिन कन्या भोज में माँ दुर्गा स्वरूप छोटी बच्चियों को भोजन कराकर उनकी पूजा की जा रही थी। बच्चियों की टोली बहुत खुश थी पूजा, भोजन फिर अलग -अलग गिफ्ट मिल रहे थे। बेबो अपने छोटे से पर्स में दस-बीस, पचास के नोट गिनते हुए झोंपड़ी के अंदर गयी कि उसके पापा रमेश उसके हाथ से नोटों को खींचकर बाहर चले गए जब दो घंटे बाद नशे में धुत्त घर आये तो हैवानियत की सारी सीमा पार करते हुए बेबो के साथ जबरदस्ती करने लगे तो बेबो की चीख से उसकी माँ दुर्गा की नींद खुल गई, पति को इस हैवानियत से रोकने में असफल होने पर दुर्गा कुल्हाड़ी से रमेश पर वार करने लगी और वह थोड़ी देर में बेसुध जमीन पर लुढ़क गया, दुर्गा को लगा रमेश नशे के कारण ऐसे गिर गया। सवेरे रमेश की सांस नहीं चल रही थी बेबो अपनी माँ से चिपकी हुई थी थोड़ी देर में पुलिस आकर छानबीन करने लगी दुर्गा ने कहा मैंने अपनी बेटी की इज्ज़त बचाने के लिए पति पर वार किया मुझे नहीं पता था कि वह हैवान मर जाएगा आप लोग को जो ठीक लगे वह करिये लेकिन मुझे हथकड़ी पहनाने से पहले मेरी बेटी की रक्षा का वचन दीजिये। दोनों पुलिस वालों ने आंखों -आंखों में कुछ इशारा किया और रिपोर्ट में पुष्टि की नशे में धुत्त रमेश दरवाजे से टकराया और सिर में चोट लगने से उसकी मृत्यु हुई है, दोनों बुदबुदा रहे थे हे माँ दुर्गा सभी माँ -बहनों को अस्मिता रक्षा के लिए अपना शक्ति रूप दे माँ।
