हरि शंकर गोयल

Comedy Romance Fantasy

4  

हरि शंकर गोयल

Comedy Romance Fantasy

अप्रैल फूल

अप्रैल फूल

6 mins
382


1 अप्रैल जब भी आता है , न जाने कितनों को अप्रैल फूल बना जाता है। कोई कोई ही ऐसा होगा जो इसकी मार से बच पाता है। उसे पता ही नहीं लगता है कि वह अप्रैल फूल बन रहा है। लोग कहते रह जाते हैं कि कोई उसे अप्रैल फूल बना रहा है। मगर वह उनकी बात नहीं सुनता और अप्रैल फूल बनता रहता है। 

ऐसा ही वाकिया एक बार हमारे साथ हुआ। हम जब कॉलेज में पढ़ते थे तो हमारी क्लास में कई लड़कियां भी थीं। एक लड़की "परी" बिल्कुल परी जैसी थी। इतनी खूबसूरत थी कि जैसे हाथ लगाओ तो मैली हो जाये। दिन रात बस उसी के ख्वाब आते थे। 

हमारा एक साथी भी उसी क्लास में पढ़ता था। नाम था पवन। एक दिन कैंटीन में हमने उसको अपने दिल की बात बता दी। वह तुरंत खड़ा हुआ और एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया हमारे गाल पर। हम कुछ समझ पाते इससे पहले ही वह बोला "साले, भाभी है तेरी वह। भाभी पर बुरी नजर मत डाल वरना ठीक नहीं होगा"। 

हम एकदम से अवाक् रह गए। अबकी बार थप्पड़ मारने की बारी हमारी थी। बोले "साले, पहले क्यों नहीं बताया। पूरा गधा निकला"। 

"क्या बताते ? प्यार हम करते हैं, वो नहीं"। 

"कैसे पता" ? 

"अरे हमें सब पता है"। 

"फिर भी" 

"एक दिन हम उसके रास्ते में खड़े होकर इंतजार करते रहे। जब वह आई तब हमने एक गुलाब का फूल उसे पकड़ाया और 'आई लव यू' बोल डाला। पता है फिर क्या हुआ" ? 

"उसने भी कह दिया होगा। लव यू ठू"। 

"अरे नहीं यार। उसने पहले तो एक कंटाप रसीद किया हमारे गाल पर और फिर हमारे गुलाब के फूल को अपने पैरों तले रोंदकर चली गईं"। 

"फिर भी तू उससे प्यार करता है" ? 

"हां यार , करता हूं और करता रहूंगा"। 

"तो फिर ये बता कि मैं उसे भाभी बोल सकता हूं या नहीं" ? 

"भाभी बोलने में कोई हर्ज नहीं है। जैसे वो मेरी बीवी वैसे ही वो तेरी भाभी" ! पवन ने हंसते हंसते कहा। और हम दोनों क्लास में आ गये। 

वहां पर अलग ही नजारा था। दो लड़के जिनका नाम प्यारे और सनम था "द्वंद्व युद्ध" कर रहे थे। एक दूसरे को उठा उठा कर फेंक रहे थे। हम सबने बड़ी मुश्किल से उन्हे अलग अलग किया। जब "महाभारत" का कारण पूछा तो यहां पर भी वही कारण बताया गया। यानि "द्रोपदी"। मेरा मतलब है "परी"। दोनों उसे प्यार करने का दावा कर रहे थे। 

इस पर पूरी क्लास खिलखिला कर हंस पड़ी। सबने एक स्वर से कहा कि वे सब भी परी से प्यार करते हैं। पर लाख टके का प्रश्न था कि "परी" किससे प्यार करती है ? 

यह पूछने की हिम्मत किसी ने नहीं की। बल्कि जिस जिस ने प्यार जताया अपने गालों पर परी के हाथ का स्पर्श पाया। उसके बाद फिर किसी ने साहस नहीं दिखाया। इससे हमें बड़ा चैन आया। चलो , एक हमने अकेले ने ही परी से प्रसाद नहीं पाया। यहां तो हर कोई है जो इस गंगा में है नहाया। 

हमें अपना भविष्य उज्ज्वल नजर आया। हमें किसी कवि का कहा एक सूत्र याद आया। "सफल वही होता है जो कभी असफलता से नहीं घबराया"। ऐसा सोचकर हमने उत्साह और दर्शाया। 

अब हम उसके आगे पीछे घूमने लगे। उसके छोटे छोटे काम जैसे फीस जमा करने का , मोबाइल रीचार्ज का, लाइब्रेरी से और बाजार से किताबें लाने का काम करने लगे। इसका फायदा यह हुआ कि अब हम उसके साथ हंस लेते थे। बतिया लेते थे। परी की सहेली "चांदनी" भी हमारे साथ होती थी। 

एक दिन चांदनी हमारे पास आई और एक किताब हमें देते हुये बोली "ये परी ने भेजी है, खास तुम्हारे लिये। लो"। 

हमारा मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया। परी ने खास हमारे लिये किताब भेजी है ! हम खुशी से उछल पड़े। दिल धक धक करने लगा। हमने किस्से कहानियों में पढ़ा था कि कॉलेज में किताबें पढने के काम कम और गुलाब का फूल और प्रेमपत्र भेजने के ज्यादा काम आती हैं। यह बात सच होती दिख रही थी। तो क्या इसमें भी ? और यह सोच सोचकर हम पागल हुए जा रहे थे। हमने एक नजर चांदनी पर डाली। वह भी अर्थपूर्ण मुस्कुराहट उछाल कर चली गईं। 

हमने धड़कते दिल से किताब खोली। हमारा सपना सच हो गया। उसमें एक गुलाब का फूल और एक छोटी सी पर्ची थी जिस पर लिखा था 

आई लव यू 

    परी 

हमने वह पर्ची दसियों बार चूमी। गुलाब के फूल को होठों से लगाकर शर्ट की जेब में रख लिया जिससे दिल को सुकून मिलता रहे। हमको ऐसा महसूस हो रहा था जैसे हमने पानीपत का युद्ध जीत लिया हो। 

खुशी खुशी हम क्लास में आये। वहां पर पवन बैठा हुआ था। एकदम उदास। हमने उसे बाहों में भर लिया और खुशी से रो पड़े। वह समझ गया कि हमें कोई बहुत बड़ी खुशी मिली है। बोला "क्या नौकरी का बंदोबस्त हो गया है" ? 

"अरे , नौकरी नहीं, छोकरी का बंदोबस्त हुआ है। और मालूम है कि वो छोकरी कौन है " ? 

"कौन है वो बदनसीब" ? 

"परी है यार ! परी के अलावा और कौन होगी" ? 

"क्या सबूत है तेरे पास" ?  

सबूत हमारे साथ ही था। हमने वह किताब, गुलाब का फूल और पर्ची उसे दिखाई। उन सबको देखकर पवन बहुत जोर से हंसा। काफी देर हंसने के बाद बोला 

"मालूम है उस किताब का नाम क्या है" ? 

"नहीं" 

"इसीलिए तू इतना खुश हो रहा है। पहले किताब का नाम तो पढ़ ले"। उसने हमारा उपहास उड़ाते हुए कहा 

हम एकदम भौंचक से किताब को देखने लगे। नाम "अप्रैल फूल" लिखा था। हमारी समझ में नहीं आया कि नाम क्यों पढ़वा रहा है यह ? यदि और कोई नाम होता तो क्या उससे गुलाब के फूल की सुगंध कम हो जाती या फिर पर्ची का मजमून बदल जाता ? हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। हमने मूर्खों की तरह पूछा 

"किताब का नाम अप्रैल फूल है। और अगर कुछ और नाम होता तो उससे क्या फर्क पड़ जाता" ? 

"हां पड़ जाता बुद्धूराम। अरे वो तुझसे कोई प्यार व्यार नहीं करती है। वह तुझे अप्रैल फूल बना गई , साले"। अब हंसने की बारी पवन की थी। 

हमने आस नहीं छोड़ी और कहा "पर वह पर्ची तो असली है। मै उसकी राइटिंग पहचानता हूं। परी की ही राइटिंग है यह। अब तो शक की कोई गुंजाइश नहीं है न" ? 

इतने में क्लास के सारे लड़के हमारे पास आ गये। पवन झुंझलाकर बोला " अरे गिरीश भाई, तुम ही समझाओ इस बुड़बक को"। 

गिरीश कहने लगा "पवन एकदम सही कह रहा है"। 

इतने में बाकी लोग भी जोर जोर से बोलने लगे 

"अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया" 

हमें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था। तभी पवन ने अपने बैग से एक किताब निकाली। उस पर भी "अप्रैल फूल" लिखा था। उसे खोला तो उसमें से वही एक गुलाब का फूल और पर्ची निकली। पर्ची हमें पकड़ाते हुए उसने कहा "ले पढ़" 

हमने कांपते हाथों से वह पर्ची ली और पढ़ा 

आई लव यू 

    परी 

अब समझा कुछ ? नहीं समझा ना। मैं समझाता हूं। 

"उसने हम सबको अप्रैल फूल बनाया है। सबको यह किताब, गुलाब का फूल और पर्ची भेजी है उसने। अब तो यकीन हो गया ? 

अब सब लड़कों के हाथों में वही किताब, गुलाब का फूल और पर्ची नजर आ रही थी। अब हमें विश्वास हो गया था कि हम अप्रैल फूल बन चुके थे। 

इतने में परी , चांदनी और बाकी लड़कियां भी आ गई। आते ही वे गाने लगीं 

फूलों में है सबसे प्यारा फूल 

अप्रैल फूल अप्रैल फूल अप्रैल फूल 

भूल के सारी बातें हो जाओ कूल 

आज ये साबित हुआ कि तुम हो "फूल" 

सब लड़के जोर से हंस पड़े। सबने एक स्वर में कहा 

"ये भेंट तुम्हारी है हमें कबूल 

बन गये हम आज अप्रैल फूल"। 

फिर तो सब लोग मस्ती करने लग गये। 

हैप्पी "फूल डे" 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy