Neeraj pal

Drama

1.2  

Neeraj pal

Drama

अपना ज्ञान

अपना ज्ञान

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एक शेरनी थी उसको बच्चा होने वाला था। शिकारी उसका पीछा करने लगे। वह दौड़ती गई, दौड़ती गई और उसे बच्चा हो गया। वहां एक गीदड़ की मां थी, उसने देखा बच्चा अकेला है, वह उसे ले आई और उसका पालन पोषण करने लगी। गीदड़ के बच्चों के साथ वह भी पलने लगा, उन्हीं के साथ खेलता ऐसे ही बड़ा हो गया। गीदडों के साथ रहते -रहते उसका भी स्वभाव गीदड़ जैसा हो गया। एक बार की बात है एक शेर वहां आ पहुंचा। शेर को देखकर सभी भागने लगे। वह भी भागने लगा। तब शेर ने उसे रोककर पूछा कि तुम क्यों भाग रहे हो ,तुम तो शेर हो।

वह बोला मैं तो गीदड़ हूं। शेर ने कहा नहीं जो तू है वही मैं हूं। तब शेर उसे अपने साथ तालाब पर ले गया। उसे पानी में उसकी शक्ल दिखाई और पूछा कि क्या हम दोनों की शक्ल में कोई फर्क है। उसने देखा कि कोई अंतर नहीं है। शेर ने दहाड़ा और उस बच्चे को कहा तुम भी दहाड़ो। दहाड़ने के बाद शेर के बच्चे को ज्ञान हो गया कि वह भी शेर है।

इस कहानी का सार यह है, कि यही दशा हमारे अंदर भी है, हम में और परमात्मा में कोई अंतर नहीं है। प्रकृति के सहयोग से हम अपने आप को मनुष्य समझते हैं अपने को हीन समझते हैं।


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