अनंत चक्र
अनंत चक्र
एपिसोड 1: प्रारंभ—एक अधूरी यात्रा भूमिका
रात का तीसरा पहर चल रहा था। चंद्रमा बादलों के पीछे छिपा था, और हल्की-हल्की ठंडी हवा पेड़ों की टहनियों को हिला रही थी। इस शांत वातावरण के बीच एक कमरा था, जिसमें एक युवक बेचैनी से सोया हुआ था। सार्थक—22 वर्षीय एक साधारण युवक, लेकिन उसकी आँखों के पीछे छिपी दुनिया असाधारण थी। अचानक, उसकी साँसें तेज़ होने लगीं। माथे पर पसीना छलक आया। शरीर अकड़ने लगा। वह एक सपना देख रहा था… स्वप्न—एक युद्धक्षेत्र धूल और धुएँ से भरा आकाश। गोलियों की आवाज़। चीखते हुए घायल सैनिक। आग में जलते मकान। सार्थक खुद को एक युद्धक्षेत्र में पाता है। वह सैनिकों के एक समूह के साथ दौड़ रहा है। हाथ में एक पुरानी राइफल है। उसने खुद को देखा—वह जर्मन सेना की वर्दी पहने हुए था! "यह कहाँ हूँ मैं?" उसकी आवाज़ भारी थी, लेकिन चारों ओर कोई सुनने वाला नहीं था। तभी, सामने से एक युवा सैनिक आता है। उसकी आँखें गुस्से से भरी थीं। "आकाश!" सार्थक के मुँह से अनायास ही निकल पड़ा। आकाश के हाथ में भी एक राइफल थी। लेकिन उसकी आँखों में क्रोध और बदले की आग थी। "यह मैं नहीं चाहता था..." सार्थक के मुँह से निकला। अचानक, एक विस्फोट हुआ। ज़मीन काँप उठी। और फिर… सबकुछ अंधकार में डूब गया। अचानक नींद से जागना सार्थक हाँफते हुए उठ बैठा। सीने पर हाथ रखा—धड़कन बहुत तेज़ थी। कमरे में घुप्प अंधेरा था, लेकिन खिड़की से आती हल्की रोशनी में घड़ी दिख रही थी। "रात के 3:45 हो रहे हैं..." पानी की बोतल उठाई, लेकिन हाथ काँप रहा था। "ये सपने… क्या ये सिर्फ़ दिमाग़ का भ्रम हैं?" वह जानता था कि यह कोई सामान्य सपना नहीं था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। पिछले कुछ महीनों से ये सपने लगातार आ रहे थे, और हर बार यह अधिक स्पष्ट और भयावह होता जा रहा था। सुबह की शुरुआत सूरज की पहली किरण खिड़की से कमरे में दाख़िल हुई। घड़ी सुबह के 7:30 बजा रही थी। "आज कॉलेज जाना है…" सार्थक बिस्तर से उठा, लेकिन सपने का असर अभी भी बना हुआ था। जैसे ही उसने फोन उठाया, स्क्रीन पर "मौनी" का मैसेज था— मौनी: "गुड मॉर्निंग! फिर से लेट उठे ना?" सार्थक मुस्कुराया। मौनी उसकी बचपन की दोस्त थी, लेकिन वह हमेशा उससे एक कदम आगे रहती थी। सार्थक: "हाँ, लेकिन आज सपने ने जल्दी जगा दिया।" मौनी: "फिर वही अजीब सपने? प्लीज़, तुम ओवरथिंक करना बंद करो!" कॉलेज में अजीब इत्तेफ़ाक़ कॉलेज पहुँचने पर सब सामान्य था, लेकिन लाइब्रेरी में एक अजीब घटना हुई। सार्थक वहाँ बैठा नोट्स देख रहा था, तभी उसकी नज़र पास की एक पुरानी किताब पर पड़ी— "युद्ध और पुनर्जन्म: एक रहस्यमयी संबंध" उसने किताब खोली, और पहले ही पन्ने पर लिखा था— "कुछ आत्माएँ अधूरे कर्मों को पूरा करने के लिए वापस आती हैं… और उनका पुनर्मिलन नियति द्वारा तय होता है।" सार्थक को एक अजीब झटका लगा। "क्या यह सब सिर्फ़ संयोग है?" तभी, उसकी नज़र किताब के लेखक के नाम पर पड़ी— "डॉ. हेनरिक म्यूलर" वह नाम देखते ही दिमाग़ में अचानक वही सपना कौंध गया—वही युद्ध, वही जर्मन वर्दी… सार्थक ने गहरी साँस ली। अब उसे यह समझ में आने लगा था कि यह कोई साधारण सपना नहीं था। मौनी की शंका सार्थक ने मौनी को फोन किया। सार्थक: "मौनी, मुझे लगता है कि मेरे सपनों का कोई मतलब है। मैंने एक अजीब किताब देखी, और उसमें..." मौनी (हँसते हुए): "अच्छा! अब तुम किसी किताब से अपने सपनों को जोड़ने लगे?" सार्थक: "नहीं, मैं गंभीर हूँ। उसमें वही बातें लिखी थीं जो मेरे सपनों में होती हैं।" मौनी थोड़ा शांत हुई। मौनी: "सार्थक, तुम एक बार साइकोलॉजिस्ट से मिलो। शायद ये कोई मानसिक तनाव है।" सार्थक: "अगर ये बस मेरे दिमाग़ का खेल होता, तो किताब में वही बातें कैसे लिखी होतीं?" मौनी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। एक नई पहेली उसी रात, सार्थक फिर से सपना देखता है। लेकिन इस बार कुछ नया होता है। वह खुद को एक विशाल महल में पाता है। यह कोई युद्धक्षेत्र नहीं, बल्कि एक प्राचीन समय का किला है। दीवारों पर तलवारें टंगी हुई हैं, और चारों ओर मशालें जल रही हैं। तभी, सामने से एक लड़की आती है। उसने लाल रंग की पारंपरिक पोशाक पहनी हुई थी। "सोनी!" सार्थक चौंक गया। यह नाम उसने पहले कभी नहीं सुना था, लेकिन फिर भी यह उसके लिए बहुत जाना-पहचाना लग रहा था। सोनी मुस्कुराई और बोली, "तुमने बहुत देर कर दी, सार्थक।" "देर...? किस चीज़ की?" सोनी ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला, लेकिन तभी माहौल बदल गया। चारों ओर आग फैल गई, और सब कुछ जलने लगा। सार्थक ने डरकर अपनी आँखें बंद कर लीं… और जब खोली, तो वह अपने बिस्तर पर था। घड़ी सुबह के 6 बजा रही थी। अगला भाग: आकाश कौन है, और क्यों उसे देखकर सार्थक डर जाता है? सोनी कौन है, और वह क्यों कह रही थी कि सार्थक ने देर कर दी? क्या यह सब पुनर्जन्म से जुड़ा हुआ है?
(अगले एपिसोड में जारी…)
