अनकही सी बातें
अनकही सी बातें
कितनी अजीब बात है ना, हमलोग दशहरा , दीपावली में अपने घर को साफ स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए कितने दिन स लग जाते हैं।
दशहरा में हम रावण के पुतले का दहन करते हैं, क्योंकि वो बुराई और अहंकार का प्रतीक है। रावण को हम जलाते हैं और खुश होते हैं, पर क्या हम अपने अंदर अपने मन और दिल को साफ स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए कुछ करते हैं, नहीं क्योंकि हमें बुराई बस दूसरों में दिखाई पड़ती है, अहंकार भी दूसरों की दिखाई पड़ती है।
दशहरा तो पर्व है बुराई पर अच्छाई का, हमें अपने आप की बुराई को खत्म करना चाहिए, तभी हमारा त्योहार सार्थक होगा।
दीपावली में हम घर को स्वच्छ सुंदर और दीयों से जगमगाते हैं, पर अपने मन में अंधकार को लेकर घूमते हैं।
दूसरों के प्रति, द्वेष, घृणा, ईर्ष्या का भाव रहता है मन में, जिससे ना वो व्यक्ति खुद खुश रहता है ना किसी को देख सकता है।
इसलिए असली में पर्व त्यौहार हमें मनाना है तो हमें पहले अपने मन को सुंदर बनाना होगा।
तो ये थी मेरी कुछ" अनकही सी बातें" आपलोगों के समक्ष
धन्यवाद................
