अन्धविश्वास
अन्धविश्वास
मध्य रात्रि के समय अपने रिश्तेदारों के यहां से पैदल अपने घर आ रहा है एक परिवार कुछ चहचहाहट व आवाज़ सुनकर एकदम से सहम गया। इसका डर उनके दिलों-दिमाग में इस कदर उतर गया था कि घर आकर भी वे इस बात को भुला ना पाएँ। और इस घटना के 2 दिन पश्चात परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला ने कहा कि उसे कुछ दिखाई दे रहा है। और धीरे-धीरे वह कुछ अनहोनी घटना होने का दावा करने लगी। वह कहती कि उसे एक आदमी दिखाई दे रहा है जो कुल्हाड़ी लेकर उसे मारने उसकी तरफ दौड़ रहा है और वह रात को सोते वक्त भी एकदम से डरकर उठ जाती "बचाओ- बचाओ वह मुझे मार देगा!" कहकर चिल्लाने लगती। और उसका पूरा चेहरा पसीने से तर- बतर हो जाता और भय उसके चेहरे पर छलकने लगता था। वह कुछ अनाप-सनाप कहने लगती और उस वक्त उसकी आवाज व उसके चेहरे के हाव-भाव काफी बदल जाते थे। अब परिवार वालों को पूरा विश्वास हो गया था यह सब उस दिन की घटना के बाद हो रहा है मतलब किसी बुरी आत्मा(भूत) ने इसे अपने वश में कर लिया है। और जिस बुजुर्ग महिला पर बुरी आत्मा का साया पड़ा वह इतनी अंधविश्वासी थी कि अगर किसी को बुखार भी आ जाता तो वह डॉक्टर के पास जाने की बजाय "बाबा की खाक¹" लगाने को कहती।
तो अब सिलसिला शुरू हो गया था कि तांत्रिक,पंडित को बुलाया जाए। तांत्रिक को बुलाया गया उसने अपने नुस्खे आजमाएं जैसे बड़ा-सा हवन कुंड बनाया गया कई प्रकार की सामग्री ,फल ,धान इत्यादि मंगवाया और उसने एक लोहे की धातु को तपा कर उस महिला के दाग भी दिया। और प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसने बचा कुचा सारा सामान अपनी गाड़ी में रखवा लिया। चूंकि वह महिला उच्च जाति से थी इसीलिए उसे कुछ नियमों के पालन करने को कहा गया जो इस प्रकार थे जैसे-: नीच(निम्न) जाति के लोगों से ना बोलना, मिलना, अपने मायके ना जाना और भी कई अन्य तरह की शर्तें। और इस प्रकार उसने कहा कि वह बुरी आत्मा उस महिला का साथ छोड़ देगी। लेकिन क
ुछ महीनों बाद स्थिति वैसी ही हो गई और जब उस तांत्रिक के पास दोबारा गए तो उसने कहा कि मैंने जो नियमों की पालना आपको करने को कही थी आपने उनमें चूक कर दी और जिससे भगवान रूठ गए। अब परिवार वालों ने कई और तांत्रिकों,पंडितों को बुलाया, परंतु बुरी आत्मा का साया भी उसका साथ छोड़ने को तैयार नहीं था। और जब भी इन तांत्रिकों से बुरी आत्मा के साया नहीं छोड़ने के विषय में सवाल किया जाता तो सब एक ही कारण बताकर की आस्था व उनके बताए नियमों की पालना में चूक होने के कारण बुरी आत्मा जा नहीं सकी कहकर बात टाल देते।
भगवान तो नहीं माने परंतु इन तांत्रिकों, पंडितों के चक्कर में परिवार कर्जदार हो गया। कभी फलाना मंदिर , कभी ढिंकाना मंदिर जाना और ऊपर से हजारों का चढ़ावा।इसके अलावा इन विशेषज्ञों की शुल्क और इनकी सेवा (आने जाने का खर्चा, खानपान की व्यवस्था ,जनाब गाय का दूध पीते हैं वह भी केसर के साथ ) में आने वाले खर्चों से लाखों के कर्जी हो गए। कुछ वर्षों में उस महिला की मृत्यु हो गई परंतु अब वह परिवार अंधविश्वास के समंदर में इस कदर डूब गया था कि उसका वहां से बाहर आना नामुमकिन-सा प्रतीत हो रहा था। अब उस महिला का नौजवान बेटा जिसके घर में उसके दो बेटे, तीन बेटियां और पत्नी रहते हैं। इतने बड़े परिवार का इकलौता कमाने वाले व्यक्ति की स्थिति भी उस महिला के समान हो गई। अब न तो वो कभी अंधविश्वास से बाहर आ पाएगा बल्कि उसके पीछे उसके बच्चे जो पैसों के अभाव में सही शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाएंगे। वे भी इन्हीं बातों पर विश्वास कर लेंगे और इस प्रकार तीन पीढ़ी अंधविश्वास की वजह से पतन की गर्त में चली जाएगी। कुछ पढ़े-लिखे, भले, समझदार लोगों ने उन्हें किसी मनोचिकित्सक से मिलने की सलाह दी। परंतु उन्होंने किसी की एक न सुनी और स्थिति आज भी यथासंभव बरकरार है।
१ - खाक - अगरबत्ती के अवशेष को मारवाड़ी में खाक कहते है।