अपने लक्ष्य को न भूलें
अपने लक्ष्य को न भूलें


एक समय की बात है शहर की किसी एक कॉलोनी में विश्व का एक सबसे तेज दौड़ने वाला धावक रहा करता था जो किसी पहचान का मोहताज नहीं था।
एक दिन की बात है की वह धावक अपने घर पर आराम कर रहा था अचानक उसने देखा कि उनकी कॉलोनी में उनके घर के पास कुछ लोग बहुत हल्ला कर रहे थे खिड़की से देखा तो मालूम हुआ कि कॉलोनी के लीग किसी के पीछे दौड़ लगा रहे थे, यह बात यह नजारा उस जाने-माने धावक ने देखा और बिना किसी जानकारी के बिना किसी मकसद के लोग क्यों दौड़ रहे हैं ,किस लिए दौड़ रहे हैं ,क्यों हल्ला कर रहे हैं अब वह रहा धावक वह भी उनके पीछे दौड़ना शुरू कर देता है । अब वह रहा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का धावक कौन उसके बराबर कर सकता था । दौड़ते दौड़ते दौड़ते रास्ते में एक महाशय से उन्होंने पूछा कि भाई क्यों दौड़ रहे हो तो महाशय ने बताया कि वह आगे दौड़ रहा एक व्यक्ति चोर है वो हमारी कॉलोनी में चोरी करके भाग रहा है। उसको पकड़ने के लिए भाग रहे हैं ।
ख्याति प्राप्त धावक ने सोचा की में अंतरराष्ट्रीय स्तर का धावक हूं मेरे से तेज कौन दौड़ता है उसको पकड़ना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है ओर यह सही भी है कि उस चोर को पकड़ना उसके लिये मुश्किल भी नही है धावक ने बहुत तेजी से दौड़ लगाना शुरू किया और उस चोर चोरी करके भाग रहा था उसके बिल्कुल नजदीक पहुंच गया । उसे कहने लगा कि जानते हो में एक अंतरराष्ट्रीय धावक हूं तुम मुझे पीछे नहीं छोड़ सकते और नहीं तुम मेरी बराबरी कर सकते हो । यह कहकर धावक ने और
तेज दौड़ना शुरू किया दौड़ते दौड़ते दौड़ते इतने आगे निकल गया की चोर पीछे छूट गया धावक बहुत आगे निकल गया ।
जब धीरे-धीरे ही सही कॉलोनी के बाकी लोग उनके पास पहुंचे और उनसे पूछा कि "ओ अंतरराष्ट्रीय स्तर के धावक साहब क्या आप उस चोर को पकड़ पाए ?" तो उसके पास कोई उत्तर नहीं था वह दौड़ने के जोश में वह अति विश्वास में जोश में बिना किसी उद्देश्य के दौड़ते दौड़ते बहुत आगे निकल गए जोश जोश में अति विश्वास में वह अपना मकसद अपना उद्देश्य ही भूल चुके थे और उनका मकसद जो चोर था जिसको पकड़ना था वह पीछे छूट गया वह भटक चुका था । अपने मकसद को उनको अहम था कि मैं अंतरराष्ट्रीय धावक हूं कौन मुझे पीछे छोड़ सकता है। उनका उद्देश्य था किसी को पीछे छोड़ना लेकिन शायद भूल चुके थे कि किसी किसी को पीछे छोड़ने की प्रतिस्पर्धा में किसी को गिराने की प्रतिस्पर्धा में वह अपने उद्देश्य से भटक गए हैं।
यह कल भी शाश्वत सत्य था आज भी है और आगे भी रहेगा कि अपने मकसद पर ध्यान दीजिए अपने उद्देश्य को अपना टारगेट बनाइए । किसी को पीछे छोड़ने की सोच को लेकर , किसी से प्रतिस्पर्धा की सोच को लेकर, किसी को गिराने की सोच को लेकर , किसी से आगे निकलने की होड़ को लेकर ,अगर चलोगे और दौड़ लगाओगे तो रास्ता भटक जाओगे उद्देश्य पीछे छूट जाएगा सच ही कहा है ।
"अहम नहीं अहमियत से नाता जोड़ो"अहम ही अहम में रास्ता अपना भटक जाया करते हैं कुछ लोग।यह दुनिया ना मेरी हुई ना तेरी यह सब रुखसत कर दिए जाते हैं यह समझते क्यों नहीं है लोग।