आख़िरी खत

आख़िरी खत

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“या तो तू उस चुड़ैल को छोड़ दे, या मुझे मरता छोड़ जा !”, भैया की तरफ देखते हुए मम्मी ने अपना फैसला सुनाया। मैं मम्मी के पैर दबा रहा था और बुआ उनके सिर के पास बैठकर हवा कर रही थी। भैया सिर झुकाए बिस्तर के बगल वाली कुर्सी पर बैठे हुए थे।

“माँ रीता नाम है, चुड़ैल नहीं !” भैया ने दबे आवाज़ में फुसफुसाया।

“बुरा लग गया अब तुझे, तो चला जा रुका क्यों है!” मम्मी चिल्ला उठी, “तुझे मेरी टेंशन लेने की जरूरत नहीं है, मैं मरुँ या जियूँ।“

“अरे आप शांत रहो ना, दीदी। समझ जाएगा वो, अभी बच्चा ही तो है। बचपना में ये सब हो जाता है।“ मम्मी को शांत करते हुए बुआ बोली।

मेरी बड़ी बहन दौड़ती हुई हाथ में एक गिलास लेकर आयी और मम्मी की ओर बढ़ाते हुए बोली, “कितनी बार बोली हूँ, टेंशन न लिया करो। अब हो गया ना बी.पी. लो।“

बुआ ने मम्मी को उठाया और उनके हाथ में शरबत की गिलास पकड़ा दिया। शरबत के खत्म होते ही बुआ गिलास पकड़ी और मैं मम्मी का गर्दन पकड़कर सहारा देते हुए लिटा दिया।

“देख सोनू, अब तुम्हारे पापा हैं नहीं। घर और तुम्हारी माँ की जिम्मेवारी तुम्हारे कंधे पर ही है। तुम ही उनके साथ ऐसा करेगा तो, कैसे चलेगा बेटा। बात को समझ। लड़की तुम्हें दुनिया में बहुत मिलेगी, पर माँ तो एक ही है ना बेटा।“ भैया को समझाते हुए बुआ बोली। लेकिन मैं उनके बातों में विघ्न डालते हुए बोल पड़ा, “बुआ, भैया तो बोल रहे हैं कि वो रीता भाभी के अलावा किसी और के साथ नहीं रहेंगे। बहुत प्यार करते है उनको, भैया।“

“चुप कर तू अभी, बड़ा आया भैया का चमचा” मेरे शब्दों का तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए दीदी बोल पड़ी, “अगर तूने एक बार और उसको भाभी बोला तो !”

“छोड़ ना, सोनी। बच्चा है अभी वो !” बीच में ही दीदी को बुआ ने रोक दिया और मेरे तरफ देखते हुए बोली, “जब दो जने काफी नजदीक आ जाते हैं, तो उनको लगता है कि वो दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं जी सकते हैं। पर, जब अलग होते हैं, तो धीरे-धीरे सब ठीक हो जाता है। हम अपने बच्चे की शादी बहुत ही सुंदर लड़की से करवाएंगे।“

भैया की आँखों में आँसू उभर आए और मम्मी को देखते हुए बोले, “ मम्मी मुझे आप दोनों चाहिए, किसी को भी नहीं खोना चाहता हूँ। पर, मैं आपको छोड़कर नहीं जाऊँगा।“ आँसू पोंछते हुए भैया उठकर चले गए।

उसके बाद भैया के शादी की बात जोर-शोर से चलने लगी। हम लोगों ने कई जगह लड़की देखा, पर एक भी हमें पसंद नहीं आयी। भैया काफी उदास रहने लगे थे। उन्हें यह भी याद नहीं रहता कि उन्होंने सुबह नास्ता किया या नहीं। बहुत कम ही वो अपने कमरे से बाहर निकलते थे।

अगले ही दिन उनका जन्मदिन आने वाला था। हम लोगों ने उनके लिए १२ बजे रात में सरप्राइज पार्टी प्लान कर रखा था। अभी १२ बजने में पक्का एक मिनट बचा हुआ था। हम लोग केक लेकर उनके रूम में घुसे। मेरे पैर में एक छोटी-सी शीशे की बोतल टकराई, मैंने लात मारकर उसे साइड कर दिया। भैया अपनी बेड पर लेटे हुए थे। जैसे ही घड़ी ने टिंग-टिंग की आवाज़ लगाई, सबने हैप्पी बर्थडे गाना शुरू कर दिया और मैंने बल्ब का स्विच ऑन कर दिया। अचानक से मम्मी चिल्ला उठी।

भैया की आँख खुली हुई थी। उनके मुँह से झाग निकले हुए थे। एक हाथ बेड से नीचे लटके हुए थे और नीचे काफी खून पसरी हुई थी। दूसरे हाथ ने एक कागज़ पकड़ा हुआ था। यह देखकर सबके होश उड़ गए। सब रोने लगे, मम्मी तो बेहोश ही हो गयी। मैं दौड़कर भैया के हाथ का धमनी चेक किया जो एक दम रुक चुकी थी और उनके छाती पर अपना सिर टिकाकर उनकी धड़कन सुना।

मेरी आँखें बंद हो गयी और मैं भैया से कस कर लिपट गया। मेरे मुँह से आवाज़ निकल नहीं पा रही रही थी, पर मेरी आँखें चीख-चीख कर रो रहीं थी। सब असहाय होकर इधर-उधर गिर पड़े थे।

रोते-बिलखते कब सुबह हो गयी पता ही नहीं चला। धीरे-धीरे सब रिश्तेदार और पड़ोसी आ रहे थे। उन लोगों ने हम सब को शांत कराने का असफल प्रयास किया। मम्मी और दीदी बार-बार बेहोश हो रहीं थी। मैं भैया के बगल में बैठकर उनको एकटक देख रहा था। भैया से जुड़े हर याद मेरे आँखों के सामने होता हुआ प्रतीत हो रहा था।

अचानक से, किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे एक कागज़ पकड़ाया। यह वही कागज़ था जिसे भैया ने पकड़ा हुआ था। अभी भी उसपर उनका खून साफ-साफ लगा हुआ था। जब मैंने उस मुड़े हुए कागज़ को खोला, तो उसपर कुछ लिखा हुआ पाया।

“मेरी प्यारी माँ,

मुझे माफ़ करना, जो मैंने किया है। इन दिनों मैंने आपको बहुत तकलीफ पहुँचाया है। मैंने बहुत प्रयास किया माँ, पर

हो नहीं पाया। बहुत कोशिश की कि उसके बारे में ना सोचूँ, पर जितना भूलना चाहता हूँ उतना ही साफ-साफ चेहरा

आँखों के सामने उभर आता है। माँ, मैं आपको छोड़ के जाता, तो जी नहीं पाता और उससे दूर हूँ, तो भी जी नहीं पा

रहा हूँ। आप दोनों ही मेरे जीवन की आधार हो, मैं किसी एक को भी नहीं खो सकता।

एक लड़की अपने पति में पिता का चेहरा देखती है, वैसे ही एक लड़का अपनी जीवनसंगिनी में अपनी माँ को

तलाशता है और जानती हो माँ, मुझे रीता में ही तुम्हारा चेहरा नज़र आता है। वह मेरे आत्मा में बस चुकी है। जब मैं

किसी और के बारे में सोचता भी हूँ, तो मेरी साँसे रुक सी जाती है। मैं जानता हूँ कि मैं आपके साथ ग़लत कर रहा हूँ,

पर अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा। मुझे माफ़ करना, माँ।“


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