आज अपनी इंसानियत भी खो देती
आज अपनी इंसानियत भी खो देती
रोहन बदहवास सा हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर के बाहर चहलकदमी कर रहा था । ऑपरेशन थिएटर की रेड लाइट उसे चिढ़ा रही थी। पिछले 3 घंटे से सोनिया ऑपरेशन थिएटर के अंदर थी। अकेले रोहन की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी। कभी वह सोनिया की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करता ;कभी ऑपरेशन थिएटर की लाइट की तरफ देखता ;कभी घड़ी की तरफ देखता।
तब ही रोहन की नज़र सामने से आती ,सोनिया की मम्मी जयाजी पर पड़ी।जयाजी की मानसिक मजबूती उनके व्यक्तित्व से ही झलकती थी।वक़्त के थपेड़ों ने उन्हें हर परिस्थिति को धैर्य से सम्हालना सीखा दिया था। उनके स्वयं के मन के समंदर के भीतर भारी तूफ़ान आया हुआ था ;लेकिन चिंता की लहरें उनके साहस के किनारों को हिला नहीं पा रही थी। रोहन के फ़ोन के बाद से अब तक उन्होंने अपने को सम्हाल रखा था। वह अच्छे से जानती थी कि अगर वह ज़रा भी बिखरी तो रोहन और सोनिया को कौन समेटेगा।
उधर अब तक रोहन अपने आपको जैसे -तैसे सम्हाल रखा था ;लेकिन जयाजी पर नज़र पड़ते ही रोहन के सब्र का बाँध टूट गया और वह बिलख -बिलख कर रोने लगा।
"रोहन बेटा ,फ़िक्र मत करो। सब ठीक हो जाएगा।
",जयाजी रोहन को दिलासा देने लगी। जयाजी की इकलौती बेटी सोनिया जीवन और मृत्यु के मध्य झूल रही थी। रोहन के घरवालों ने तो उसी दिन रोहन से सारे संबंध तोड़ लिए थे ;जिस दिन उसने जयाजी की बेटी सोनिया का हाथ थामा था।
सोनिया के साथ ऐसा कभी होता ही नहीं अगर वो रोहन के घरवालों को मनाने ना जाती तो, रोहन के बड़े भैया की बिटिया का नामकरण संस्कार था और रोहन इस बात से बहुत दुखी था कि घर में इतना खुशी का मौका और वो जा नहीं पा रहा था, रोहन के बड़े भैया उनकी बेटी शादी के दस साल बाद हुई थी।
उधर रोहन बदहवास सा कभी डॉ के बाहर निकलने का इंतजार करता कभी भगवान से सोनिया के बच जाने की प्रार्थना करता, प्यार बहुत करता था वो सोनिया से।दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और बहुत अच्छे दोस्त थे और यही दोस्ती उनकी प्यार में बदल गयी थी।
जया जी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने इनके रिश्ते को अपनाया लेकिन साथ ही अपना करियर बनाकर ही इस रिश्ते पर मोहर लगाने को कहा।लेकिन रोहन के घरवाले इस रिश्ते से ख़ुश नहीं थे उन्होंने रोहन को घर से निकाल दिया वो सिर्फ इसलिए क्योंकि "जया जी एक सिंगल मदर थी जिन्होंने सोनिया को अकेले पाला था, जब उसके पिता ने उसके अस्तित्व को ही नहीं स्वीकारा और जया जी से शादी करने से मना कर दिया था।
रोहन के घरवालों उससे ने कहा कि..
"रोहन तुम गलती कर रहे हो,सोनिया के तो पिता का भी नहीं पता ना जाने कैसे संस्कार होंगे उसके वो हमारे परिवार के लिए सही नहीं है।
"पापा सोनिया से प्यार करता हूं मैं और जया आंटी ने उसको बहुत ही अच्छे से पाला है आप नहीं जानते।
रोहन के परिवार ने उसकी नहीं सुनी और घर से निकाल दिया, लेकिन जया जी ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा और आज भी जया जी रोहन को सांत्वना दे रहीं थीं।लेकिन रोहन सोनिया की ऐसी हालत के कारण बहुत परेशान था, आखिर कहीं ना कहीं कारण वही था इसके पीछे....
रोहन बार बार अपने घर फ़ोन कर रहा था लेकिन वो लोग इतने पत्थर दिल थे कि उसका फ़ोन नहीं उठा रहे थे, रोहन को परेशान देख शादी के जया जी से ये सब सहा नहीं गया,आखिर जया जी अपने बच्चों का दुख कैसे बर्दास्त करती। जया जी ने भी तो ऐसी अवहेलना सही थी जब उन्होंने सोनिया को अकेले पैदा करने और पालने का सोचा था उनका साथ किसी ने नहीं दिया और अब वो चाहती थी कि ऐसा उनके बच्चों के साथ ना हो।
यही सोचकर जया जी हॉस्पिटल से सीधा रोहन के घर पहुंची, उन्हें वहां देखकर रोहन के परिवार को कोई खुशी नही हुई फिर भी जया जी ने उनसे कहा...
" मैं जानती हूं आप मेरी बेटी के कारण अपने बेटे से नाराज है,क्योंकि उसने आपका कहा नहीं माना.. लेकिन मैं आप. लोगों से ये पूछने आयी हूं खासकर रोहन की मम्मी से कि " एक माँ अपने बच्चे की हर तकलीफ समझ लेती है, उसकी हर सांस से उसे पता चल जाता है कि उसका बच्चा तकलीफ में है, एक बच्चे के हर कदम का पता उसके पापा को होता है भले ही वो कहे ना लेकिन बच्चे को रोता देख एक बाप भी रोता है तो आप लोगों को रोहन की तकलीफ क्यों नहीं दिखाई दी बताइये ?
"लेकिन हम ऐसी लड़की को क्यों अपनाते जिसके परिवार का ही अता पता नहीं,उसके पिता का नाम तक नहीं उसके साथ। रोहन के पापा बोले
"जी मैं बिल्कुल जानती हूं आप क्या सोच रहे है,जिससे मैं प्यार करती थी उसने मेरा साथ नहीं दिया ना ही मेरे परिवार ने लेकिन मैं एक माँ हूं मैं अपने बच्चे को कैसे मार देती इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। गलती मेरी थी जो मैंने ऐसे इंसान पर भरोसा किया जो भरोसे के लायक नहीं था, लेकिन मेरी बच्ची की इसमें क्या गलती थी आप बताइये, क्या पिता का नाम इतना जरुरी है????
मैं यहाँ बस आपसे विनती करने आयी हूं और यही विनती मेरी बेटी भी करने आयी थी लेकिन आपने उसे धक्के मार कर निकाल दिया और वो इतना स्ट्रेस में थी कि उसे अपना होश नहीं था और तभी उसका एक्सीडेंट हो गया, अब वो जिंदगी और मौत से लड़ रही है आप कुछ नहीं कर सकते लेकिन इस मुसीबत की घड़ी में अपने बेटे का साथ दीजिये बस।
जया जी वहां से वापस हॉस्पिटल चली आयी और वहां आकर उनको पता चला कि सोनिया अब खतरे से बाहर है लेकिन वो कोमा में चली गयी है, कब कोमा से बाहर आएगी डॉ भी कुछ नहीं कह सकते। रोहन बहुत हताश हो गया था लेकिन जया जी ने उसे हिम्मत दी, तभी रोहन की माँ वहां आयी और रोहन को गले लगा लिया।
रोहन अपनी माँ को देखकर बहुत ख़ुश हुआ, रोहन की माँ बोली "आज जया जी ने मुझमें हिम्मत भर दी वरना आज नहीं आती तो मैं माँ के हक़ के साथ साथ अपनी इंसानियत भी खो देती... तेरे पापा माने ना माने मैं हमेशा तेरे साथ हूं और रहूंगी, तू देखना सोनिया जल्दी ही ठीक हो जाएगी"। रोहन अब बहुत ख़ुश था दो दो माओं का प्यार उसके साथ था अब वो हर मुश्किल से लड़ने को तैयार था।
