ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
हक़ीक़त के पत्थरों से,
आप जब टकराओगे।
काँच के मानिन्द ,
टुकड़ों में बिखर जाओगे।।
कुछ दिन समन्दरों के,
साथ रहकर देख लो।
प्यास क्या होती है,
अपने आप जान जाओगे।।
वक़्त के रहमो-करम पे,
ज़िन्दगी न छोड़िये।
ये कभी रुकता नहीं,
इसके निशां न पाओगे।।